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याला ग्लेशियर ( YALA GLACIER ) – UPSC Prelims Pointer 2025

YALA GLACIER

याला ग्लेशियर: जलवायु परिवर्तन का एक गंभीर संकेत

प्रसंग:
नेपाल के हिमालय क्षेत्र में स्थित याला ग्लेशियर के 2040 के दशक तक पूरी तरह गायब हो जाने की आशंका है। हाल के अध्ययनों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों के कारण यह ग्लेशियर तेज़ी से पिघल रहा है, जो एक गंभीर वैश्विक समस्या का प्रतीक है।


पृष्ठभूमि

  1. भौगोलिक महत्व:
    • याला ग्लेशियर नेपाल के लangtang क्षेत्र में लगभग 5,300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
    • यह ग्लेशियर हिमालय के क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझने का एक महत्वपूर्ण साधन है।
  2. वैज्ञानिक अवलोकन:
    • पिछले कुछ दशकों में इस ग्लेशियर का आकार और आयतन काफी घट गया है।
    • पिघलते ग्लेशियर वैश्विक समुद्र स्तर में वृद्धि में योगदान कर रहे हैं।

पिघलने के मुख्य कारण

  1. वैश्विक तापवृद्धि (Global Warming):
    • ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन ने वैश्विक तापमान को बढ़ा दिया है, जिसका हिमालयी ग्लेशियरों पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
    • हिमालयी क्षेत्र में तापमान वृद्धि की दर वैश्विक औसत से लगभग दोगुनी है।
  2. काला कार्बन जमाव (Black Carbon Deposition):
    • जीवाश्म ईंधन और बायोमास जलाने से उत्पन्न कालिख ग्लेशियरों पर जम जाती है, जिससे उनकी परावर्तकता (Albedo) कम हो जाती है और पिघलने की दर बढ़ जाती है।
  3. मौसम के बदलते पैटर्न:
    • कम बर्फबारी और अनियमित मानसून ने ग्लेशियर के प्राकृतिक संतुलन को बाधित कर दिया है।

याला ग्लेशियर के समाप्त होने के परिणाम

  1. जल संकट:
    • यह ग्लेशियर उन नदियों को जल प्रदान करता है जो नेपाल, भारत और बांग्लादेश में लाखों लोगों की जीवनरेखा हैं।
    • इसके गायब होने से कृषि, पीने के पानी और जलविद्युत उत्पादन पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
  2. जैव विविधता पर प्रभाव:
    • ठंडे वातावरण के लिए अनुकूलित विशिष्ट वनस्पतियों और जीव-जंतुओं के आवास समाप्त हो जाएंगे।
  3. आपदाओं का बढ़ता खतरा:
    • ग्लेशियर के तेजी से पिघलने से ग्लेशियर झील विस्फोट बाढ़ (Glacial Lake Outburst Floods – GLOFs) का खतरा बढ़ेगा, जो आसपास के समुदायों के लिए खतरनाक हो सकता है।
  4. सांस्कृतिक और पर्यटन हानि:
    • याला ग्लेशियर स्थानीय समुदायों के लिए सांस्कृतिक महत्व रखता है और पर्वतारोहियों तथा पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। इसके खत्म होने से पर्यटन आधारित आजीविका प्रभावित होगी।

समस्या के समाधान के प्रयास

  1. शोध और निगरानी:
    • वैज्ञानिक उपग्रह इमेजरी और भूमि आधारित अध्ययन के माध्यम से ग्लेशियर की स्थिति की निगरानी कर रहे हैं।
  2. वैश्विक जलवायु कार्रवाई:
    • पेरिस समझौते जैसे फ्रेमवर्क के तहत ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना आवश्यक है।
  3. क्षेत्रीय पहल:
    • हिमालयी देशों द्वारा साझा जल संसाधनों के प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए संयुक्त प्रयास।
    • स्थानीय समुदायों को संसाधनों के सतत उपयोग और आपदा प्रबंधन के प्रति जागरूक करना।

निष्कर्ष

याला ग्लेशियर का 2040 के दशक तक गायब होना जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों का संकेत है। इसका नुकसान न केवल स्थानीय समुदायों, बल्कि वैश्विक पारिस्थितिक तंत्र के लिए भी विनाशकारी होगा। इस संकट को कम करने के लिए तत्काल और सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं, ताकि हिमालयी क्षेत्र के ग्लेशियरों को बचाया जा सके और जीवन के लिए आवश्यक संसाधनों की स्थिरता सुनिश्चित हो।


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