समाचार में क्यों?
• 3 मार्च को हर साल विश्व वन्यजीव दिवस (World Wildlife Day – WWD) के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य वन्यजीवों और पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।
• यह दिन CITES (Convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora) की स्थापना की वर्षगांठ को भी चिह्नित करता है।
विश्व वन्यजीव दिवस: इतिहास और महत्व
• घोषणा: संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने 2013 में 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस के रूप में घोषित किया।
• उद्देश्य:
• वनस्पतियों और जीवों के संरक्षण को बढ़ावा देना।
• वन्यजीवों के प्रति जागरूकता फैलाना।
• CITES जैसे अंतरराष्ट्रीय समझौतों के महत्व को उजागर करना।
• थीम 2024: “Connecting People and Planet: Exploring Digital Innovation in Wildlife Conservation”
CITES (Convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora)
• स्थापना: 3 मार्च 1973
• मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्जरलैंड
• सदस्य देश: 180+
• उद्देश्य:
• संकटग्रस्त जीवों और वनस्पतियों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार को नियंत्रित करना।
• अवैध शिकार और वन्यजीव तस्करी को रोकना।
• CITES की सूची:
• परिशिष्ट I: विलुप्ति के कगार पर प्रजातियाँ (उदाहरण: बाघ, गोरिल्ला)।
• परिशिष्ट II: संरक्षित प्रजातियाँ, जिनका नियंत्रित व्यापार संभव (उदाहरण: भारतीय अजगर, कछुए)।
• परिशिष्ट III: वे प्रजातियाँ जिन्हें किसी देश द्वारा राष्ट्रीय संरक्षण प्राप्त है और जिनके व्यापार पर नियंत्रण की आवश्यकता है।
CITES कैसे काम करता है?
CITES के तहत शामिल प्रजातियों को उनकी आवश्यक सुरक्षा के अनुसार तीन परिशिष्टों (Appendices) में सूचीबद्ध किया गया है।
- परिशिष्ट-I (Appendix I): इसमें वे प्रजातियाँ शामिल हैं जो विलुप्ति के कगार पर हैं। इन प्रजातियों के नमूनों का व्यापार बहुत ही दुर्लभ मामलों में, केवल “असाधारण परिस्थितियों” में अनुमति प्राप्त करता है।
उदाहरण – भारतीय गैंडा, एशियाई शेर, भारतीय स्टार कछुआ। - परिशिष्ट-II (Appendix II): इसमें वे प्रजातियाँ शामिल हैं जो अभी विलुप्ति के खतरे में नहीं हैं, लेकिन उनके अस्तित्व को बनाए रखने के लिए उनके व्यापार को नियंत्रित करना आवश्यक है।
उदाहरण – कुछ प्रकार की लोमड़ियाँ और दरियाई घोड़े। - परिशिष्ट-III (Appendix III): इसमें वे प्रजातियाँ शामिल हैं जो कम से कम एक देश में संरक्षित हैं और जिसने अन्य CITES सदस्य देशों से उनके व्यापार को नियंत्रित करने में सहायता मांगी है।
उदाहरण – भारत से बंगाल लोमड़ी और सोनकुत्ता (गोल्डन जैकाल)।
प्रत्येक सूची में दी गई प्रजातियों के व्यापार को विनियमित करने के लिए श्रेणी-वार विभिन्न प्रक्रियाएँ अपनाई जाती हैं।
भारत और वन्यजीव संरक्षण
• वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: भारत में वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करता है।
• पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986: पर्यावरण संरक्षण की व्यापक योजना।
• प्रोजेक्ट टाइगर (1973): बाघों के संरक्षण के लिए शुरू किया गया कार्यक्रम।
• प्रोजेक्ट एलीफेंट (1992): हाथियों के संरक्षण के लिए।
• CAMPA (Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority): वनों की भरपाई के लिए।
यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु
GS Paper 3:
• पर्यावरण और जैव विविधता संरक्षण।
• वन्यजीवों के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय संधियाँ।
• अवैध वन्यजीव व्यापार और उससे जुड़े मुद्दे।
GS Paper 2:
• वैश्विक संगठनों और भारत की भागीदारी।
• वन्यजीव संरक्षण के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नीतियाँ।
निष्कर्ष:
विश्व वन्यजीव दिवस और CITES का महत्व वन्यजीवों और पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत जैसे जैव विविधता से समृद्ध देश के लिए यह आवश्यक है कि वह अपनी वन्यजीव संरक्षण नीतियों को और सख्त बनाए और वैश्विक प्रयासों में सक्रिय रूप से भाग ले।
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