अगर आपका सपना PT 2025 में शानदार सफलता पाना है, तो यह मौका आपके लिए है! मैं सभी विषयों के लिए एक संपूर्ण अध्ययन सामग्री तैयार कर रहा हूँ, जो आपकी तैयारी को आसान, प्रभावी और सुनियोजित बनाएगी।

क्या है ज़ॉम्बी डियर डिज़ीज़ ( What is Zombie Deer Disease? ) – UPSC PRELIMS FACTS

What is Zombie Deer Disease?

ज़ॉम्बी डियर डिज़ीज़ का वैज्ञानिक नाम क्रॉनिक वेस्टिंग डिज़ीज़ (Chronic Wasting Disease – CWD) है। यह एक घातक न्यूरोलॉजिकल (मस्तिष्क से जुड़ी) बीमारी है, जो हिरण, मूस (moose), और एल्क जैसे जंगली जानवरों को प्रभावित करती है। इसे ज़ॉम्बी डियर डिज़ीज़ इसलिए कहा जाता है क्योंकि इससे पीड़ित जानवरों का व्यवहार और शरीर की हालत बहुत डरावनी और असामान्य दिखने लगती है।


1. ज़ॉम्बी डियर डिज़ीज़ का कारण

  • यह बीमारी प्रायन (Prion) नामक संक्रमित प्रोटीन के कारण होती है।
  • प्रायन एक असामान्य प्रोटीन है, जो जानवर के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में मौजूद सामान्य प्रोटीन को संक्रमित कर उन्हें विकृत कर देता है।
  • यह संक्रमण धीरे-धीरे मस्तिष्क के ऊतकों को नष्ट कर देता है, जिससे जानवर का व्यवहार और शारीरिक संरचना बदलने लगती है।

2. बीमारी के लक्षण

इस बीमारी के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं और संक्रमित जानवर में निम्नलिखित बदलाव देखे जा सकते हैं:

  1. असामान्य व्यवहार:
    • भ्रमित होना
    • लोगों या वस्तुओं से असामान्य डर या साहस दिखाना
    • तालमेल खो देना
  2. भूख और वजन कम होना:
    • संक्रमित जानवर खाने में रुचि खो देता है और धीरे-धीरे कमजोर हो जाता है।
  3. शारीरिक गिरावट:
    • शरीर का झुकना
    • अत्यधिक लार टपकना
    • आँखों की चमक खोना
  4. अत्यधिक प्यास और पेशाब:
    • बार-बार पानी पीना और पेशाब करना।

3. यह बीमारी कैसे फैलती है?

  • संक्रमित जानवरों के लार, मूत्र, मल, खून, या संक्रमित ऊतकों से।
  • जमीन, पानी, और पौधों में प्रायन कई सालों तक सक्रिय रह सकते हैं।
  • अगर कोई स्वस्थ जानवर इस संक्रमित स्थान पर भोजन करता है या संपर्क में आता है, तो वह भी संक्रमित हो सकता है।

4. क्या यह इंसानों को प्रभावित करती है?

  • अब तक यह बीमारी इंसानों में नहीं पाई गई है।
  • हालांकि, वैज्ञानिक इसे संभावित रूप से खतरनाक मानते हैं, क्योंकि यह अन्य प्रायन-जनित बीमारियों जैसे मैड काउ डिज़ीज़ (Mad Cow Disease) से समानता रखती है।
  • संक्रमित जानवर के मांस का सेवन करने से यह इंसानों में फैल सकती है, लेकिन इसके प्रमाण सीमित हैं।

5. यह बीमारी कहाँ पाई जाती है?

  • यह बीमारी मुख्यतः उत्तरी अमेरिका (अमेरिका और कनाडा) में पाई गई है।
  • कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, यह दक्षिण कोरिया, नॉर्वे, और फिनलैंड जैसे देशों में भी पाई गई है।

6. रोकथाम और नियंत्रण

CWD के लिए कोई उपचार उपलब्ध नहीं है। इसे रोकने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाते हैं:

  1. शिकार पर नियंत्रण:
    • संक्रमित क्षेत्रों में शिकार को प्रतिबंधित करना।
  2. जांच और निगरानी:
    • संक्रमित जानवरों की पहचान के लिए परीक्षण।
  3. संक्रमण को फैलने से रोकना:
    • संक्रमित जानवरों के शवों को सही तरीके से नष्ट करना।
    • संदिग्ध मांस और ऊतकों का उपयोग रोकना।

7. इंसानों और पर्यावरण पर प्रभाव

  • पारिस्थितिकी तंत्र:
    यह बीमारी हिरण और अन्य जंगली जानवरों की आबादी को कम कर सकती है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बिगड़ सकता है।
  • शिकार और मांस उद्योग:
    जिन क्षेत्रों में यह बीमारी पाई जाती है, वहाँ शिकार और मांस के व्यवसाय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

8. क्या यह “ज़ॉम्बी” जैसा बनाता है?

  • इस बीमारी के अंतिम चरण में, जानवर असामान्य रूप से कमजोर और भ्रमित हो जाता है।
  • जानवरों की आंखें सुनी-सुनी लगती हैं और वे अजीब तरीके से चलते हैं, जिससे वे “ज़ॉम्बी” जैसे दिखते हैं।

निष्कर्ष

ज़ॉम्बी डियर डिज़ीज़ (CWD) एक गंभीर बीमारी है, जो जानवरों की मौत और पर्यावरणीय असंतुलन का कारण बन सकती है। इसे रोकने और नियंत्रित करने के लिए सतर्कता और वैज्ञानिक शोध की आवश्यकता है। इंसानों के लिए इसका खतरा सीमित है, लेकिन सावधानी बरतनी जरूरी है।


Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *