इंदौर और उदयपुर: रामसर संधि के तहत भारत के पहले ‘वेटलैंड सिटी’
परिचय
इंदौर और उदयपुर भारत के पहले दो शहर बन गए हैं, जिन्हें रामसर संधि के तहत ‘वेटलैंड सिटी’ (Wetland City) का दर्जा प्राप्त हुआ है। यह मान्यता जल संरक्षण, जैव विविधता संरक्षण और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए दी जाती है। यह उपलब्धि इन शहरों की पर्यावरणीय स्थिरता और जल निकायों के संरक्षण की दिशा में की गई प्रभावी नीतियों को दर्शाती है।
1. रामसर संधि क्या है?
✅ रामसर संधि (Ramsar Convention) एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है, जो वेटलैंड्स (आर्द्रभूमियों) के संरक्षण और उनके सतत उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए 1971 में ईरान के रामसर शहर में अपनाई गई थी।
✅ इसका उद्देश्य वेटलैंड्स की पारिस्थितिकी, जैव विविधता, और जल प्रबंधन को संरक्षित करना है।
✅ भारत इस संधि का सदस्य देश है और देश में कुल 75 रामसर स्थल मौजूद हैं।
2. ‘वेटलैंड सिटी’ का दर्जा क्या है?
🌿 ‘वेटलैंड सिटी’ टैग उन शहरों को दिया जाता है जो अपने जल निकायों, झीलों, और आर्द्रभूमियों के संरक्षण और सतत प्रबंधन में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं।
🌿 यह दर्जा स्थानीय प्रशासन, सरकार और समुदायों द्वारा वेटलैंड्स के संरक्षण की दिशा में किए गए प्रयासों को मान्यता देता है।
🌿 अब तक केवल पचास से अधिक शहरों को यह मान्यता मिली है, जिनमें इंदौर और उदयपुर भारत के पहले शहर बन गए हैं।
3. इंदौर और उदयपुर को यह मान्यता क्यों मिली?
(A) इंदौर: भारत का सबसे स्वच्छ शहर
✅ इंदौर को स्वच्छ भारत मिशन में लगातार 7 बार सबसे स्वच्छ शहर का खिताब मिला है।
✅ शहर में सरस्वती और खान नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए कई प्रयास किए गए हैं।
✅ चोरल, यशवंत सागर, सिरपुर झील और अन्य जल निकायों के संरक्षण को प्राथमिकता दी गई है।
✅ कचरा प्रबंधन और जल पुनर्चक्रण (Water Recycling) में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया गया है।
(B) उदयपुर: झीलों का शहर
✅ उदयपुर झीलों और प्राकृतिक जल निकायों के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें पिछोला झील, फतेहसागर झील, स्वरूप सागर, और उदयसागर झील शामिल हैं।
✅ झील संरक्षण समितियों और नागरिक भागीदारी से जल निकायों की सफाई और प्रबंधन किया गया है।
✅ वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting) और झील संरक्षण परियोजनाओं पर विशेष ध्यान दिया गया है।
✅ यह शहर पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण के संतुलन का उदाहरण प्रस्तुत करता है।
4. वेटलैंड सिटी टैग मिलने के फायदे
✅ अंतरराष्ट्रीय पहचान: इंदौर और उदयपुर को अब वैश्विक मंच पर पर्यावरणीय स्थिरता के उदाहरण के रूप में पहचाना जाएगा।
✅ पर्यटन और आर्थिक विकास: यह टैग इको-टूरिज्म और सतत पर्यटन को बढ़ावा देगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ मिलेगा।
✅ संरक्षण के लिए वित्तीय सहायता: यह मान्यता जल निकायों के संरक्षण और स्वच्छता कार्यक्रमों के लिए अधिक निवेश और सरकारी सहायता प्राप्त करने में मदद करेगी।
✅ जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद: शहरों में वेटलैंड्स का संरक्षण बाढ़ नियंत्रण, जल पुनर्भरण और तापमान संतुलन में सहायता करेगा।
5. भारत में वेटलैंड संरक्षण की स्थिति
✅ भारत में 75 रामसर स्थल हैं, जो देश के कुल भूभाग के लगभग 1.3 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करते हैं।
✅ सतत शहरी विकास, जल पुनर्चक्रण, और वेटलैंड प्रबंधन पर जोर दिया जा रहा है।
✅ केंद्र और राज्य सरकारें राष्ट्रीय वेटलैंड संरक्षण कार्यक्रम (NWCP) और स्थानीय संरक्षण योजनाओं के माध्यम से जल निकायों के संरक्षण पर काम कर रही हैं।
6. UPSC और सरकारी परीक्षाओं के लिए मुख्य बिंदु
1️⃣ रामसर संधि का महत्व – 1971 में स्थापित, वेटलैंड संरक्षण पर केंद्रित।
2️⃣ वेटलैंड सिटी टैग क्या है? – जल निकायों के संरक्षण में उत्कृष्टता प्राप्त शहरों को दिया जाता है।
3️⃣ इंदौर और उदयपुर को यह मान्यता क्यों मिली? – स्वच्छता, जल संरक्षण, और सतत विकास में बेहतरीन प्रदर्शन।
4️⃣ इस मान्यता के क्या लाभ हैं? – अंतरराष्ट्रीय पहचान, पर्यटन में वृद्धि, और आर्थिक लाभ।
5️⃣ भारत में वेटलैंड संरक्षण के प्रयास – 75 रामसर स्थल, राष्ट्रीय वेटलैंड संरक्षण कार्यक्रम (NWCP)।
7. निष्कर्ष
इंदौर और उदयपुर को ‘वेटलैंड सिटी’ टैग मिलने से भारत की वैश्विक पर्यावरणीय साख मजबूत हुई है। यह उपलब्धि शहरी जल प्रबंधन, झीलों और नदियों के संरक्षण, और सतत विकास के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यदि अन्य भारतीय शहर भी इसी तरह जल संरक्षण और प्रबंधन को प्राथमिकता दें, तो भारत में जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय संकटों से निपटने में महत्वपूर्ण सफलता मिल सकती है।
यह विषय UPSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से पर्यावरण, सतत विकास, और भूगोल से जुड़े विषयों के लिए।
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