UPSC Geography Syllabus in Hindi: Geography is one of the optional subjects in the UPSC CSE Mains exam.
- यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा के लिए भूगोल पाठ्यक्रम
- यूपीएससी भूगोल वैकल्पिक पाठ्यक्रम क्या है?
- यूपीएससी भूगोल पाठ्यक्रम 2025: पेपर 1
- यूपीएससी भूगोल पेपर 2: भारत का भूगोल (GEOGRAPHY OF INDIA)
- 1. भौतिक संरचना (Physical Setting):
- 2. संसाधन (Resources):
- 3. कृषि (Agriculture):
- 4. उद्योग (Industry):
- 5. परिवहन, संचार और व्यापार (Transport, Communication and Trade):
- 6. सांस्कृतिक संरचना (Cultural Setting):
- 7. बस्तियां (Settlements):
- 8. क्षेत्रीय विकास और योजना (Regional Development and Planning):
- 9. राजनीतिक पहलू (Political Aspects):
- 10. समकालीन मुद्दे (Contemporary Issues):
- UPSC के लिए भूगोल सिलेबस की तैयारी कैसे करें
यूपीएससी भूगोल पाठ्यक्रम: भूगोल यूपीएससी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा (CSE Mains) में एक वैकल्पिक विषयों में से एक है। यह प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) के सामान्य अध्ययन (General Studies) पेपर और मुख्य परीक्षा के जीएस पेपर 1 में भी शामिल है। यूपीएससी भूगोल वैकल्पिक में दो पेपर होते हैं – पेपर 1 और पेपर 2, प्रत्येक का कुल अंक 250 है।
यूपीएससी पेपर 1 के भूगोल पाठ्यक्रम में भूगोल के सिद्धांत (Principles of Geography) शामिल हैं, जबकि पेपर 2 में भारत का भूगोल (Geography of India) शामिल है। इस लेख में यूपीएससी भूगोल वैकल्पिक के दोनों पेपर (पेपर 1 और पेपर 2) का पाठ्यक्रम, इस विषय की तैयारी के लिए कुछ सुझाव, और इस विषय के महत्वपूर्ण टॉपिक्स पर चर्चा की गई है।
यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा के लिए भूगोल पाठ्यक्रम
यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा के लिए भूगोल का पाठ्यक्रम भारत और विश्व का भूगोल – भौतिक, सामाजिक, और आर्थिक भूगोल को कवर करता है। इसमें महासागरीय विज्ञान (Oceanography), जलवायु विज्ञान (Climatology), भूआकृतिविज्ञान (Geomorphology), और भारत के भौतिक स्वरूप जैसे नदियाँ, पर्वतमालाएँ और दर्रे शामिल हैं।
मैपिंग (मानचित्रण) यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा के लिए भूगोल की तैयारी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उम्मीदवार नियमित रूप से मानचित्रण का अभ्यास करें और समाचार में आने वाले स्थानों से अवगत रहें, क्योंकि यूपीएससी मैपिंग से संबंधित प्रश्नों में “समाचार में रहे स्थानों” के बारे में पूछता है।
यूपीएससी भूगोल वैकल्पिक पाठ्यक्रम क्या है?
UPSC GEOGRAPHY उम्मीदवारों के बीच सबसे लोकप्रिय वैकल्पिक विषयों में से एक है। भूगोल एक ऐसा विषय है जो वैज्ञानिक और मानवीय दोनों दृष्टिकोणों को जोड़ता है। इसके विविध और जटिल स्वभाव के कारण, यह इंजीनियरों, डॉक्टरों और कला पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों के लिए उपयुक्त है।
मुख्य परीक्षा के कुल 1750 अंकों में से वैकल्पिक पेपर का भार 500 अंक है (प्रत्येक पेपर के लिए 250 अंक)। यह विषय उम्मीदवारों के लिए सहायक हो सकता है क्योंकि इसका कुछ भाग जीएस पेपर 1 और निबंध पेपर में भी उपयोगी है।
यूपीएससी भूगोल पाठ्यक्रम 2025: पेपर 1
भूगोल के सिद्धांत (Principles of Geography)
1. भौतिक भूगोल (Physical Geography):
- भूआकृतिविज्ञान (Geomorphology): भूमि रूप विकास को नियंत्रित करने वाले कारक; अंतर्जन्य और बहिर्जन्य बल; पृथ्वी की पपड़ी की उत्पत्ति और विकास; भू-चुंबकत्व के मूल सिद्धांत; पृथ्वी के आंतरिक भौतिक स्थिति; प्लेट विवर्तनिकी; पर्वत निर्माण पर नवीनतम दृष्टिकोण; ज्वालामुखी, भूकंप और सुनामी; भूआकृति चक्र और परिदृश्य विकास; नदी चैनल आकारिकी; कटाव सतहें; ढलान विकास।
- जलवायु विज्ञान (Climatology): पृथ्वी का ताप संतुलन; वायुमंडलीय स्थिरता और अस्थिरता; मौसमी हवाएं और जेट स्ट्रीम; चक्रवात (शीतोष्ण और उष्णकटिबंधीय); जलवायु वर्गीकरण (कोपेन, थॉर्नथवेट)।
- महासागरीय विज्ञान (Oceanography): महासागरों का तापमान और लवणता; महासागरों का तल-तल स्वरूप; समुद्री संसाधन; प्रवाल भित्तियाँ और समुद्री प्रदूषण।
- जैव भूगोल (Biogeography): मिट्टी की उत्पत्ति; वनों की समस्या और संरक्षण; सामाजिक वानिकी और कृषि वानिकी।
- पर्यावरणीय भूगोल (Environmental Geography): पारिस्थितिकी के सिद्धांत; पर्यावरणीय समस्याएं और समाधान; जैव विविधता और सतत विकास।
2. मानव भूगोल (Human Geography):
- मानव भूगोल में दृष्टिकोण: क्षेत्रीय भिन्नता; पर्यावरणीय दृष्टिकोण; सांस्कृतिक क्षेत्रों और मानव विकास सूचकांक।
- आर्थिक भूगोल (Economic Geography): विश्व आर्थिक विकास; कृषि और उद्योगों का स्थान।
- जनसंख्या और बसावट भूगोल: विश्व जनसंख्या वितरण; शहरीकरण की समस्याएं और समाधान।
- क्षेत्रीय योजना: क्षेत्रीय असंतुलन और विकास रणनीतियां।
- मानव भूगोल में मॉडल और सिद्धांत: मलकथुस, वॉन थ्यूनन, वेबर, ह्रदयभूमि और परिधि भूमि सिद्धांत।
यूपीएससी भूगोल पेपर 2: भारत का भूगोल (GEOGRAPHY OF INDIA)
1. भौतिक संरचना (Physical Setting):
- भारत और पड़ोसी देशों के बीच अंतरिक्ष संबंध।
- संरचना और स्थलरूप (Structure and relief)।
- जल निकासी प्रणाली और जलग्रहण क्षेत्र।
- भौतिकीय क्षेत्र।
- भारतीय मानसून और वर्षा के पैटर्न का तंत्र।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात और पश्चिमी विक्षोभ।
- बाढ़ और सूखा।
- जलवायु क्षेत्र।
- प्राकृतिक वनस्पति।
- मृदा के प्रकार और उनका वितरण।
2. संसाधन (Resources):
- भूमि, सतह और भूजल।
- ऊर्जा, खनिज, जैविक और समुद्री संसाधन।
- वन और वन्यजीव संसाधन और उनका संरक्षण।
- ऊर्जा संकट।
3. कृषि (Agriculture):
- बुनियादी ढांचा: सिंचाई, बीज, उर्वरक, ऊर्जा।
- संस्थागत कारक: भूमि स्वामित्व, भूमि सुधार।
- फसल पैटर्न, कृषि उत्पादकता और कृषि तीव्रता।
- कृषि और सामाजिक वानिकी।
- हरित क्रांति और उसके सामाजिक-आर्थिक एवं पारिस्थितिक प्रभाव।
- शुष्क कृषि का महत्व।
- पशुधन संसाधन और श्वेत क्रांति।
- जलीय कृषि (Aqua-culture), रेशम उत्पादन (Sericulture), कृषि और पोल्ट्री।
- कृषि क्षेत्रीयकरण।
- कृषि-जलवायु क्षेत्र और कृषि-पारिस्थितिक क्षेत्र।
4. उद्योग (Industry):
- उद्योगों का विकास।
- कपास, जूट, वस्त्र, लोहा और इस्पात, एल्यूमीनियम, उर्वरक, कागज, रासायनिक, औषधीय, ऑटोमोबाइल, कुटीर और कृषि आधारित उद्योगों के स्थानिक कारक।
- सार्वजनिक उपक्रमों सहित औद्योगिक समूह और परिसर।
- नई औद्योगिक नीति।
- बहुराष्ट्रीय कंपनियां और उदारीकरण।
- विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ)।
- पर्यटन और इको-टूरिज्म।
5. परिवहन, संचार और व्यापार (Transport, Communication and Trade):
- सड़क, रेलवे, जलमार्ग, हवाई मार्ग और पाइपलाइन नेटवर्क।
- राष्ट्रीय और विदेशी व्यापार में बंदरगाहों का महत्व।
- व्यापार संतुलन और व्यापार नीति।
- निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र।
- संचार और सूचना प्रौद्योगिकी में प्रगति और इसका समाज व अर्थव्यवस्था पर प्रभाव।
- भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम।
6. सांस्कृतिक संरचना (Cultural Setting):
- भारतीय समाज का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य।
- नस्लीय, भाषाई और जातीय विविधताएं।
- धार्मिक अल्पसंख्यक।
- प्रमुख जनजातियां और उनके क्षेत्र; समस्याएं।
- सांस्कृतिक क्षेत्र।
- जनसंख्या वृद्धि, वितरण और घनत्व।
- जनसांख्यिकीय विशेषताएं: लिंगानुपात, आयु संरचना, साक्षरता दर, कार्यबल।
- आंतरिक और अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन और इससे संबंधित समस्याएं।
- जनसंख्या समस्याएं और नीतियां।
- स्वास्थ्य संकेतक।
7. बस्तियां (Settlements):
- ग्रामीण बस्तियों के प्रकार, पैटर्न और संरचना।
- शहरी विकास।
- भारतीय शहरों की संरचना।
- भारतीय शहरों का कार्यात्मक वर्गीकरण।
- महानगरीय क्षेत्र और शहरी फैलाव।
- झुग्गी और संबंधित समस्याएं।
- नगर नियोजन।
- शहरीकरण की समस्याएं और समाधान।
8. क्षेत्रीय विकास और योजना (Regional Development and Planning):
- भारत में क्षेत्रीय योजना का अनुभव।
- पंचवर्षीय योजनाएं।
- एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम।
- पंचायती राज और विकेन्द्रीकृत योजना।
- कमांड एरिया विकास।
- जलग्रहण प्रबंधन।
- पिछड़े क्षेत्र, रेगिस्तान, सूखा-प्रवण, पर्वतीय और जनजातीय क्षेत्रों के लिए योजना।
- बहु-स्तरीय योजना।
- द्वीपीय क्षेत्रों का क्षेत्रीय विकास।
9. राजनीतिक पहलू (Political Aspects):
- भारतीय संघवाद का भौगोलिक आधार।
- राज्य पुनर्गठन।
- नए राज्यों का उदय।
- क्षेत्रीय चेतना और अंतर-राज्यीय मुद्दे।
- भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमाएं और संबंधित मुद्दे।
- सीमा पार आतंकवाद।
- विश्व मामलों में भारत की भूमिका।
- दक्षिण एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र का भू-राजनीतिक महत्व।
10. समकालीन मुद्दे (Contemporary Issues):
- पारिस्थितिक मुद्दे: पर्यावरणीय खतरें (भूस्खलन, भूकंप, सुनामी, बाढ़ और सूखा)।
- पर्यावरण प्रदूषण से संबंधित समस्याएं।
- भूमि उपयोग पैटर्न में बदलाव।
- पर्यावरण प्रभाव आकलन और प्रबंधन के सिद्धांत।
- जनसंख्या विस्फोट और खाद्य सुरक्षा।
- पर्यावरणीय क्षरण, वनों की कटाई, मरुस्थलीकरण और मृदा कटाव।
- कृषि और औद्योगिक अशांति की समस्याएं।
- आर्थिक विकास में क्षेत्रीय असमानताएं।
- सतत विकास और वृद्धि की अवधारणा।
- नदियों का जोड़।
- वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था।
UPSC के लिए भूगोल सिलेबस की तैयारी कैसे करें
भूगोल UPSC की परीक्षा में एक महत्वपूर्ण विषय है, जो प्रिलिम्स, मेंस और इंटरव्यू तीनों चरणों में पूछा जाता है। भूगोल सिलेबस को एक संपूर्ण दृष्टिकोण से समझना आवश्यक है क्योंकि कई विषयों में प्रिलिम्स और मेंस के बीच ओवरलैप होता है। यहां भूगोल की तैयारी के लिए एक व्यापक मार्गदर्शिका दी गई है:
1. सिलेबस को समझें
तैयारी शुरू करने से पहले भूगोल के सिलेबस को पूरी तरह से समझना चाहिए। इससे यह स्पष्ट होगा कि किसे पढ़ना है और किन विषयों को छोड़ना है।
कदम:
- UPSC भूगोल सिलेबस को अच्छे से देखें (पेपर 1 और पेपर 2 दोनों)।
- पिछले वर्षों के प्रश्न को देखें ताकि आपको यह समझ में आ सके कि किस विषय से प्रश्न ज्यादा आते हैं।
- प्रिलिम्स और मेंस के बीच ओवरलैप होने वाले विषयों पर ध्यान दें।
2. मजबूत आधार बनाएं
सभी अवधारणाओं को स्पष्ट करने के लिए आसान और समझने में सरल स्रोतों से शुरुआत करें।
मुख्य स्रोत:
- NCERT किताबें (कक्षा 6-12):
- कक्षा 11th: “भौतिक भूगोल की बुनियादी बातें” और “भारत: भौतिक पर्यावरण।”
- कक्षा 12th: “मानव भूगोल” और “भारत: जनसंख्या और अर्थव्यवस्था।”
- GC Leong का “Certificate Physical and Human Geography” – भौतिक भूगोल के लिए सरल और बुनियादी किताब।
3. मानक किताबों का अध्ययन करें
NCERT के बाद मानक किताबों से विषय को गहरे से समझें।
पेपर 1 के लिए किताबें:
- भौतिक भूगोल – साविंद्र सिंह।
- मॉडल और थ्योरीज़ – माजिद हुसैन।
- भौगोलिक विचार – आरडी दीक्षित।
पेपर 2 के लिए किताबें:
- भारतीय भूगोल – डी.आर. खुल्लर।
- भारत का भूगोल – माजिद हुसैन।
- सेटलमेंट भूगोल – के. सिद्धार्थ।
4. पिछले वर्षों के प्रश्न हल करें
- पिछले वर्षों के प्रश्नपत्र को हल करें: इससे आपको महत्वपूर्ण विषयों की पहचान करने में मदद मिलेगी।
- सामान्य विषयों का पुनरावलोकन करें और समझें कि किस प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं।
5. उत्तर लेखन का अभ्यास करें
उत्तर लेखन मेंस परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
उत्तर लेखन के टिप्स:
- एक या दो यूनिट समाप्त करने के बाद उत्तर लेखन का अभ्यास शुरू करें।
- संरचना और प्रस्तुति पर ध्यान दें: परिचय, मुख्य भाग, निष्कर्ष।
- पेपर 1 और पेपर 2 को इंटरलिंक करें ताकि उत्तर और अधिक समृद्ध बन सके।
- केस स्टडीज़, आंकड़े और चित्र जोड़ने से उत्तर को बेहतर बनाएं।
- टॉपर्स के उत्तर देखें और उनसे उत्तर संरचना का अध्ययन करें।
6. मानचित्र और चित्र
- मानचित्र और चित्र भूगोल की तैयारी का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो आपको अधिक अंक दिला सकते हैं।
- उत्तरों में मानचित्र या चित्र जोड़ने की कोशिश करें। उदाहरण:
- जलवायु पैटर्न
- कृषि क्षेत्र
- जनसंख्या घनत्व
अभ्यास आवश्यक:
- क्षेत्रीय और विषय-वार मानचित्र बनाएं।
- नियमित अभ्यास करें ताकि मानचित्रों और चित्रों को आसानी से जोड़ सकें।
7. वर्तमान मामलों से जोड़ना
वर्तमान घटनाओं से भूगोल को जोड़ना महत्वपूर्ण है, क्योंकि आजकल स्थैतिक और वर्तमान विषयों को मिलाकर प्रश्न पूछे जाते हैं।
वर्तमान मामलों के स्रोत:
- समाचार पत्र: The Hindu, Indian Express.
- पत्रिकाएं: Yojana, Kurukshetra, Down to Earth.
- उदाहरण:
- कलापानी विवाद (UPSC Mains 2022) – भौगोलिक राजनीति से जुड़ा हुआ प्रश्न।
- चक्रवात या मानसून की असमानताएँ – जलवायु भूगोल से जुड़े प्रश्न।
8. नियमित पुनरावलोकन
- स्थैतिक और गतिशील दोनों हिस्सों का नियमित रूप से पुनरावलोकन करें।
- संक्षिप्त नोट्स या फ्लैशकार्ड्स का उपयोग करें ताकि जल्दी से जानकारी दोहराई जा सके।
UPSC भूगोल सिलेबस के लिए किताबों की सूची
स्रोत | उद्देश्य |
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NCERT कक्षा 11 और 12 | बुनियादी अवधारणाओं का निर्माण। |
GC Leong का “Certificate Physical and Human Geography” | शुरुआती स्तर पर भौतिक भूगोल की समझ। |
Savindra Singh का “Physical Geography” | भौतिक भूगोल के उन्नत विषय। |
D.R. Khullar का “Indian Geography” | भारतीय भूगोल की गहरी समझ। |
Majid Hussain का “Human Geography” | मानव भूगोल का विस्तृत अध्ययन। |
Majid Hussain का “Geography of India” | पेपर 2 के लिए महत्वपूर्ण। |
K Siddhartha का “Settlement Geography” | सेटलमेंट भूगोल के लिए उपयुक्त। |
R.D. Dikshit का “Geographical Thought” | भूगोल के विचार, मॉडल और सिद्धांत। |
सारांश:
- NCERT से शुरुआत करें और फिर मानक किताबों की ओर बढ़ें।
- पिछले वर्षों के प्रश्न हल करें और उत्तर लेखन का अभ्यास करें।
- मानचित्र, चित्र और केस स्टडीज़ का उपयोग उत्तरों को प्रभावी बनाने के लिए करें।
- वर्तमान मामलों को स्थैतिक भूगोल के साथ जोड़ें।
- नियमित अभ्यास और पुनरावलोकन से लंबे समय तक जानकारी बनाए रखें।
नियमित प्रयास और रणनीतिक तैयारी से भूगोल UPSC में एक बेहद लाभकारी वैकल्पिक विषय बन सकता है।
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