- भारत का केंद्रीय बजट 2025-26:
- 1. प्रमुख आर्थिक आँकड़े:
- 2. बजट की मुख्य घोषणाएँ:
- 3. प्रमुख नीतिगत सुधार:
- बजट क्या होता है?
- सरकारी बजट क्या होता है?
- बजट के प्रकार:
- भारत में बजट प्रक्रिया:
- बजट का महत्व:
- बजट के प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:
- मुख्य व्यय और सब्सिडी आवंटन:
- प्रमुख बुनियादी ढांचा और विकास आवंटन:
- राजस्व के प्रमुख स्रोत और व्यय:
- केंद्र सरकार के प्रमुख व्यय (बजट अनुमान):
भारत का केंद्रीय बजट 2025-26:
वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत केंद्रीय बजट 2025-26 में आर्थिक विकास को गति देने, मध्यम वर्ग को राहत देने, बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने और वित्तीय संतुलन बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इस बजट में विभिन्न क्षेत्रों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।
1. प्रमुख आर्थिक आँकड़े:
निम्नलिखित तालिका में भारत के केंद्रीय बजट 2024-25 और 2025-26 के प्रमुख आर्थिक आँकड़े प्रस्तुत किए गए हैं,
आर्थिक संकेतक | 2024-25 अनुमानित आँकड़े | 2025-26 अनुमानित आँकड़े | स्रोत |
---|---|---|---|
कुल व्यय | 48.21 लाख करोड़ रुपये | 50.65 लाख करोड़ रुपये | PIB प्रेस विज्ञप्ति |
कुल प्राप्तियाँ | 34.96 लाख करोड़ रुपये | 34.96 लाख करोड़ रुपये | PIB प्रेस विज्ञप्ति |
शुद्ध कर प्राप्तियाँ | 28.37 लाख करोड़ रुपये | 28.37 लाख करोड़ रुपये | PIB प्रेस विज्ञप्ति |
राजकोषीय घाटा | जीडीपी का 4.9% | जीडीपी का 4.4% | PIB प्रेस विज्ञप्ति |
पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) | 11.1 लाख करोड़ रुपये | 11.21 लाख करोड़ रुपये | PIB प्रेस विज्ञप्ति |
वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर | 6.4% | 6.3% – 6.8% | आर्थिक समीक्षा 2024-25 |
निम्नलिखित तालिका में भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 के संशोधित अनुमान (RE) और 2025-26 के बजट अनुमान (BE) प्रस्तुत किए गए हैं। ये आंकड़े भारत सरकार के बजट दस्तावेजों से लिए गए हैं।
मंत्रालय/विभाग | 2024-25 संशोधित अनुमान (करोड़ रुपये) | 2025-26 बजट अनुमान (करोड़ रुपये) |
---|---|---|
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय | 1,30,000 | 1,35,000 |
रक्षा मंत्रालय | 5,50,000 | 5,75,000 |
रेल मंत्रालय | 2,52,000 | 2,75,000 |
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय | 89,000 | 92,000 |
शिक्षा मंत्रालय | 1,10,000 | 1,15,000 |
ग्रामीण विकास मंत्रालय | 1,65,000 | 1,70,000 |
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय | 1,90,000 | 2,00,000 |
विद्युत मंत्रालय | 16,000 | 18,000 |
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय | 12,000 | 15,000 |
महिला और बाल विकास मंत्रालय | 27,000 | 30,000 |
स्रोत: भारत सरकार का बजट पोर्टल
2. बजट की मुख्य घोषणाएँ:
(1) आयकर में राहत:
- नई कर व्यवस्था में 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं लगेगा।
- 12-18 लाख रुपये की आय पर कर दर को 10% तक घटाया गया।
- अधिकतम 30% कर अब 24 लाख रुपये या उससे अधिक की आय पर लागू होगा।
(2) कृषि क्षेत्र के लिए बड़े सुधार:
- 100 पिछड़े कृषि जिलों में सिंचाई, फसल भंडारण और कृषि-प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए नई योजना शुरू की गई।
- कृषि ऋण लक्ष्यों को बढ़ाकर 25 लाख करोड़ रुपये किया गया।
- प्राकृतिक खेती और जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए विशेष कोष बनाया गया।
(3) बुनियादी ढांचे में भारी निवेश:
- राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (NIP) के तहत 11.21 लाख करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय।
- रेलवे, सड़क और हवाई अड्डों के विस्तार पर विशेष ध्यान।
- शहरी विकास के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का आवंटन।
(4) डिजिटल और स्टार्टअप सेक्टर को बढ़ावा:
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और क्लाउड कंप्यूटिंग में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए नई योजनाएँ।
- डिजिटल पेमेंट्स और साइबर सुरक्षा के लिए विशेष पैकेज।
- स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए 15,000 करोड़ रुपये का कोष।
(5) सामाजिक कल्याण और रोजगार:
- प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत 5 लाख नए रोजगार सृजन का लक्ष्य।
- महिलाओं और युवाओं के लिए मुद्रा योजना के तहत विशेष ऋण प्रावधान।
- ग्रामीण और शहरी गरीबी उन्मूलन के लिए नई योजनाएँ लागू की गईं।
(6) रक्षा और आंतरिक सुरक्षा:
- रक्षा बजट 6.8 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाया गया।
- स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मेक इन इंडिया पहल को सशक्त किया गया।
- साइबर सुरक्षा और आधुनिक रक्षा प्रणाली पर अतिरिक्त निवेश।
3. प्रमुख नीतिगत सुधार:
✔️ महंगाई नियंत्रण: आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को स्थिर रखने के लिए नए उपाय लागू किए गए।
✔️ हरित ऊर्जा: सौर ऊर्जा, हाइड्रोजन मिशन और नवीकरणीय ऊर्जा में 10,000 करोड़ रुपये का निवेश।
✔️ बिजली और जल आपूर्ति: ग्रामीण क्षेत्रों में 24×7 बिजली और जल जीवन मिशन के लिए अतिरिक्त बजट।
✔️ राजकोषीय अनुशासन: घाटे को कम करने और अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखने की दिशा में प्रयास।
बजट क्या होता है?
बजट एक वित्तीय योजना होती है, जिसमें किसी विशेष अवधि (आमतौर पर एक वर्ष) के लिए अनुमानित आय और व्यय का विवरण दिया जाता है। सरकार, कंपनियाँ, संगठन और व्यक्ति अपने संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करने के लिए बजट तैयार करते हैं।
सरकारी बजट क्या होता है?
सरकारी बजट वह वार्षिक वित्तीय योजना होती है, जिसमें सरकार अपने अनुमानित राजस्व (आय) और व्यय (खर्च) को निर्धारित करती है। इसे वित्त मंत्री संसद में प्रस्तुत करते हैं और यह आगामी वित्तीय वर्ष के लिए सरकार की आर्थिक नीतियों और प्राथमिकताओं को दर्शाता है।
बजट के मुख्य घटक:
- राजस्व (Income): सरकार को मिलने वाली कुल आय, जिसमें करों से मिलने वाली राशि और गैर-कर राजस्व शामिल होते हैं।
- व्यय (Expenditure): सरकार द्वारा किए जाने वाले कुल खर्च, जैसे—सार्वजनिक सेवाएँ, रक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढाँचा।
बजट के प्रकार:
1. आधार पर वर्गीकरण:
(a) राजस्व बजट (Revenue Budget): इसमें सरकार की नियमित आय और खर्च का विवरण होता है।
(b) पूंजीगत बजट (Capital Budget): इसमें बुनियादी ढाँचे के विकास और पूंजीगत व्यय का विवरण होता है।
2. संतुलन के आधार पर:
(a) संतुलित बजट (Balanced Budget): जब सरकार की आय और व्यय समान होते हैं।
(b) घाटे का बजट (Deficit Budget): जब सरकार का व्यय उसकी आय से अधिक होता है।
(c) अधिशेष बजट (Surplus Budget): जब सरकार की आय उसके व्यय से अधिक होती है।
3. उद्देश्य के आधार पर:
(a) विकासात्मक बजट: जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढाँचे पर अधिक खर्च किया जाता है।
(b) गैर-विकासात्मक बजट: जिसमें रक्षा, प्रशासन, और ब्याज भुगतान जैसे खर्च शामिल होते हैं।
भारत में बजट प्रक्रिया:
- तैयारी: बजट को वित्त मंत्रालय विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से जानकारी लेकर तैयार करता है।
- प्रस्तुति: वित्त मंत्री इसे संसद में प्रस्तुत करते हैं।
- संसदीय चर्चा: बजट पर बहस होती है और विभिन्न मंत्रालयों के खर्च पर चर्चा होती है।
- मंजूरी: संसद द्वारा बजट पारित किया जाता है और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इसे लागू किया जाता है।
बजट का महत्व:
✔️ आर्थिक स्थिरता बनाए रखता है।
✔️ सरकारी योजनाओं के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराता है।
✔️ महंगाई और विकास दर को नियंत्रित करता है।
✔️ विभिन्न क्षेत्रों (जैसे—कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य) को प्राथमिकता देने में मदद करता है।
बजट के प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:
आयकर में राहत:
- कर-मुक्त आय सीमा में वृद्धि: नए कर ढांचे के तहत, अब ₹12 लाख तक की वार्षिक आय पर कोई आयकर नहीं लगेगा, जिससे मध्यम वर्ग को सीधा लाभ मिलेगा।
- स्टैंडर्ड डिडक्शन: वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए ₹75,000 की मानक कटौती की घोषणा की गई है, जिससे उनकी कर योग्य आय में कमी आएगी।
कृषि और ग्रामीण विकास:
- उच्च उपज फसल कार्यक्रम: 17 मिलियन किसानों को लक्षित करते हुए, उच्च उपज वाली फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया गया है।
- कृषि ऋण: किसानों के लिए सब्सिडी युक्त ऋण की सुविधा बढ़ाई गई है, जिससे उन्हें कृषि कार्यों के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता मिलेगी।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) समर्थन:
- परिभाषा में संशोधन: MSME की परिभाषा में बदलाव करके निवेश और कारोबार की सीमा बढ़ाई गई है, ताकि अधिक व्यवसाय इस श्रेणी में आ सकें और लाभ उठा सकें।
- क्रेडिट गारंटी: सूक्ष्म उद्यमों के लिए विशेष क्रेडिट गारंटी योजनाएं शुरू की गई हैं, जिससे 10 लाख छोटे व्यवसायों को वित्तीय सहायता मिलेगी।
बुनियादी ढांचा और शहरी विकास:
- अर्बन चैलेंज फंड: शहरी पुनर्विकास और जल प्रबंधन के लिए ₹1 लाख करोड़ का अर्बन चैलेंज फंड स्थापित किया गया है।
- राज्यों के लिए पूंजीगत व्यय: राज्यों के लिए ₹1.5 लाख करोड़ का पूंजीगत व्यय (ब्याज-मुक्त ऋण सहित) आवंटित किया गया है, जिससे बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा मिलेगा।
तकनीकी और शैक्षिक सुधार:
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पहल: AI के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए नई पहल शुरू की गई हैं।
- शैक्षिक संस्थानों का सुदृढ़ीकरण: ग्रामीण स्कूलों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी बढ़ाने, कौशल विकास के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने, और IITs के विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है।
वित्तीय क्षेत्र सुधार:
- बीमा क्षेत्र में FDI: बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा बढ़ाई गई है, जिससे विदेशी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।
- ग्रामीण क्रेडिट स्कोर: ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ‘ग्रामीण क्रेडिट स्कोर’ और केवाईसी प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है, ताकि ऋण प्रक्रिया को तेज़ और सुगम बनाया जा सके।
मुख्य व्यय और सब्सिडी आवंटन:
- ब्याज भुगतान: ₹12,76,338 करोड़
- रक्षा क्षेत्र: ₹4,91,732 करोड़
- पेंशन: ₹2,76,618 करोड़
- खाद्य सब्सिडी: ₹2,03,420 करोड़
- उर्वरक सब्सिडी: ₹1,67,887 करोड़
- पेट्रोलियम सब्सिडी: ₹12,100 करोड़
प्रमुख बुनियादी ढांचा और विकास आवंटन:
- ग्रामीण विकास: ₹2,66,817 करोड़
- शिक्षा: ₹1,28,650 करोड़
- स्वास्थ्य देखभाल: ₹98,311 करोड़
- शहरी विकास: ₹96,777 करोड़
- परिवहन अवसंरचना: ₹5,48,649 करोड़
राजस्व के प्रमुख स्रोत और व्यय:

केंद्र सरकार के प्रमुख व्यय (बजट अनुमान):

वित्तीय प्रवृत्तियाँ और बजटीय अनुमान (2023-24 एवं 2024-25) क्या हैं?
- प्राप्तियाँ और व्यय: वर्ष 2023-24 में राजस्व प्राप्तियाँ ₹27.3 लाख करोड़ थीं, जो वर्ष 2024-25 में बढ़कर ₹31.3 लाख करोड़ (BE) हो गईं।
- प्रभावी पूंजीगत व्यय ₹17.1 लाख करोड़ से घटकर ₹16.3 लाख करोड़ (संशोधित अनुमान) हो गया। राजस्व व्यय ₹34.9 लाख करोड़ से बढ़कर ₹37.0 लाख करोड़ (संशोधित अनुमान) हो गया।
- पूंजीगत व्यय ₹12.5 लाख करोड़ से बढ़कर ₹15.0 लाख करोड़ (BE) हो गया, किंतु बाद में इसे संशोधित कर ₹13.2 लाख करोड़ किया गया।
- घाटे की प्रवृत्तियाँ (GDP के प्रतिशत के रूप में): वित्तीय घाटा वर्ष 2023-24 में 3.3% था और वर्ष 2024-25 (संशोधित अनुमान) में यह अपरिवर्तित रहते हुए 3.3% पर बना हुआ है।
- राजस्व घाटा वित्त वर्ष 2023-24 में 0.3% था, जो वर्ष 2024-25 (संशोधित अनुमान) में मामूली वृद्धि के साथ 0.8% हो गया।
- प्रभावी राजस्व घाटा वर्ष 2023-24 में 0.3% था, जो वर्ष 2024-25 (संशोधित अनुमान) में बढ़कर 0.8% पर पहुँच गया।
- राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कुल अंतरण: वित्त वर्ष 2023-24 में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कुल ₹20.65 लाख करोड़ अंतरित किये गए।
- यह आँकड़ा वित्त वर्ष 2024-25 (संशोधित अनुमान) में बढ़कर ₹22.76 लाख करोड़ हो गया तथा वर्ष 2025-26 (बजट अनुमान) में इसके और बढ़कर ₹25.60 लाख करोड़ तक पहुँचने का अनुमान है।
- केंद्र सरकार की निवल प्राप्तियाँ: वित्त वर्ष 2024-25 (संशोधित अनुमान) में केंद्र सरकार द्वारा एकत्रित निवल कर राजस्व ₹28.4 लाख करोड़ रहा, जबकि गैर-कर राजस्व₹5.8 लाख करोड़ रहा।
- इसके अतिरिक्त गैर–ऋण पूंजी प्राप्तियाँ (जिनमें विनिवेश से प्राप्त राजस्व और ऋणों की वसूली शामिल है) वर्ष 2024-25 (संशोधित अनुमान) में ₹0.8 लाख करोड़ रहीं।

निष्कर्ष
“सबका विकास” थीम पर आधारित केंद्रीय बजट 2025-26 समावेशी विकास, गरीबी उन्मूलन, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और आर्थिक सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के साथ विकसित भारत के लिये एक मज़बूत आधार तैयार करने पर केंद्रित है। युवाओं, महिलाओं, किसानों और मध्यम वर्ग को प्राथमिकता देते हुए इस बजट का उद्देश्य सामाजिक समानता सुनिश्चित करने के साथ सतत् विकास एवं निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करना है। यदि इसे प्रभावी ढंग से लागू किया जाए, तो ये उपाय भारत को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्द्धी तथा आर्थिक रूप से सशक्त राष्ट्र बनाने की दिशा में अग्रसर कर सकते हैं।
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