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ट्रम्प ने जन्म से प्राप्त नागरिकता को समाप्त किया (TRUMP TO END BIRTHRIGHT CITIZENSHIP)

ट्रम्प का जन्मसिद्ध नागरिकता को समाप्त करने का प्रस्ताव:

संदर्भ:
हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने यह प्रस्ताव रखा है कि अमेरिका में जन्म लेने वाले सभी बच्चों को स्वतः नागरिकता (Birthright Citizenship) का अधिकार नहीं दिया जाएगा। यह कदम अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन में बदलाव करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण चुनौती बन सकता है।


क्या है जन्मसिद्ध नागरिकता (Birthright Citizenship)?

  • जन्मसिद्ध नागरिकता का अर्थ है कि कोई भी बच्चा जो अमेरिका की भूमि पर जन्म लेता है, वह स्वचालित रूप से अमेरिकी नागरिक बन जाता है।
  • यह अधिकार अमेरिका के संविधान के 14वें संशोधन के तहत दिया गया है, जो 1868 में पारित हुआ था।

भारत में नागरिकता

परिचय:
भारत में नागरिकता का विषय संविधान और नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत संचालित होता है। यह विषय भारतीय राजनीति और सामाजिक ढांचे का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो यह निर्धारित करता है कि कौन भारतीय नागरिक है और कौन नहीं।


भारतीय नागरिकता का संवैधानिक आधार

  1. संविधान के अनुच्छेद 5-11 (भाग II):
    • भारतीय संविधान का भाग II नागरिकता से संबंधित है।
    • इसमें नागरिकता के लिए बुनियादी प्रावधान दिए गए हैं।

मुख्य अनुच्छेद:

  • अनुच्छेद 5:
    भारत के संविधान लागू होने के समय, भारत में जन्मे, भारत में निवास करने वाले, या जिनके माता-पिता भारत में जन्मे हैं, वे नागरिक माने जाएंगे।
  • अनुच्छेद 6:
    भारत विभाजन के बाद, पाकिस्तान से भारत आने वाले लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान।
  • अनुच्छेद 7:
    जो लोग भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए थे और वापस लौटे, उनके लिए विशेष प्रावधान।
  • अनुच्छेद 8:
    भारत के बाहर रहने वाले व्यक्ति (भारतीय वंश) नागरिकता के पात्र हैं।
  • अनुच्छेद 9:
    यदि किसी व्यक्ति ने स्वेच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता ले ली, तो वह भारतीय नागरिकता का पात्र नहीं होगा।
  • अनुच्छेद 10:
    एक बार नागरिकता मिलने के बाद, इसे कानून के अनुसार ही समाप्त किया जा सकता है।
  • अनुच्छेद 11:
    संसद को नागरिकता के सभी मामलों में कानून बनाने का अधिकार।

नागरिकता प्राप्त करने के तरीके (नागरिकता अधिनियम, 1955):

भारत में नागरिकता पाँच तरीकों से प्राप्त की जा सकती है:

  1. जन्म के आधार पर (By Birth):
    • 1955-1987:
      कोई भी व्यक्ति जो भारत में जन्मा हो, वह नागरिक होगा।
    • 1987-2004:
      कम से कम एक माता-पिता का भारतीय नागरिक होना आवश्यक।
    • 2004 के बाद:
      माता-पिता में से एक भारतीय नागरिक हो और दूसरा अवैध प्रवासी न हो।
  2. वंश के आधार पर (By Descent):
    • यदि कोई व्यक्ति भारत के बाहर जन्मा है, लेकिन उसके माता-पिता या दादा-दादी भारतीय नागरिक हैं, तो वह नागरिकता प्राप्त कर सकता है।
  3. पंजीकरण के आधार पर (By Registration):
    • भारत में रह रहे भारतीय वंश के लोग, जिनकी अन्य देशों में नागरिकता है, पंजीकरण के माध्यम से नागरिक बन सकते हैं।
  4. स्वाभाविककरण (By Naturalization):
    • वह व्यक्ति जो लगातार 12 साल तक भारत में रह चुका है, और अन्य कानूनी शर्तें पूरी करता है।
  5. क्षेत्र के विलय के माध्यम से (By Incorporation of Territory):
    • भारत के साथ किसी नए क्षेत्र के विलय के बाद वहां के लोगों को नागरिकता दी जा सकती है।
    • उदाहरण: 1975 में सिक्किम के भारत में विलय के बाद सिक्किमवासियों को नागरिकता दी गई।

नागरिकता समाप्त करने के तरीके:

  1. त्याग (Renunciation):
    • यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से अपनी नागरिकता छोड़ना चाहता है।
  2. समापन (Termination):
    • यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता ग्रहण करता है।
  3. स्वाभाविककरण रद्द (Deprivation):
    • सरकार विशेष परिस्थितियों में नागरिकता समाप्त कर सकती है, जैसे कि धोखाधड़ी से नागरिकता प्राप्त करना।

नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (CAA):

मुख्य प्रावधान:

  • पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, और ईसाई समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान।
  • इन प्रवासियों को 31 दिसंबर 2014 तक भारत में प्रवेश करना आवश्यक है।
  • इसमें मुस्लिम समुदाय को शामिल नहीं किया गया, जिससे यह विवादास्पद बन गया।

विवाद और आलोचना:

  • इसे धार्मिक भेदभाव का प्रतीक माना गया।
  • राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के साथ मिलाकर इसे अल्पसंख्यक समुदाय के लिए खतरा बताया गया।

राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC):

  1. परिभाषा:
    • NRC एक रजिस्टर है जिसमें भारतीय नागरिकों की सूची बनाई जाती है।
    • 2019 में असम में NRC लागू किया गया।
  2. उद्देश्य:
    • अवैध प्रवासियों की पहचान और उन्हें बाहर करना।
  3. चुनौतियाँ:
    • लाखों लोगों के दस्तावेजों की कमी के कारण वे सूची में शामिल नहीं हो पाए।
    • इसमें सामाजिक और राजनीतिक विवाद उत्पन्न हुए।

भारतीय नागरिकता और वैश्विक तुलना:

पैरामीटरभारतअमेरिका
जन्मसिद्ध नागरिकताशर्तों के अधीन।बिना शर्त।
वंश आधारित नागरिकताउपलब्ध।सीमित।
दोहरे नागरिकता की अनुमतिनहीं।हाँ।
अवैध अप्रवासियों की स्थितिनागरिकता का कोई अधिकार नहीं।बच्चों को नागरिकता का अधिकार।

वर्तमान स्थिति और चुनौतियाँ:

  1. अवैध प्रवासी:
    • बांग्लादेश, पाकिस्तान और अन्य पड़ोसी देशों से आए अप्रवासियों की पहचान और समाधान।
    • भारत में अनुमानित 2 करोड़ से अधिक अवैध प्रवासी हो सकते हैं।
  2. CAA और NRC का विरोध:
    • इन नीतियों को असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण बताते हुए व्यापक प्रदर्शन हुए।
    • सरकार ने इन्हें भारत की सुरक्षा और संसाधनों की रक्षा के लिए आवश्यक बताया।
  3. दोहरी नागरिकता का अभाव:
    • कई भारतीय जो अन्य देशों में बस गए हैं, वे दोहरी नागरिकता की मांग कर रहे हैं।
    • वर्तमान में, प्रवासी भारतीय नागरिक (OCI) का दर्जा दिया जाता है, जो सीमित अधिकार प्रदान करता है।

आगे की राह:

  1. संतुलित नीति निर्माण:
    • नागरिकता कानूनों को समानता और समावेशिता के सिद्धांतों पर आधारित करना।
  2. अवैध प्रवासियों की समस्या का समाधान:
    • स्पष्ट और मानवीय दृष्टिकोण अपनाना।
  3. दोहरी नागरिकता:
    • भारत को दोहरी नागरिकता के प्रावधान पर विचार करना चाहिए।

निष्कर्ष:

भारत में नागरिकता का विषय राष्ट्रीय सुरक्षा, सामाजिक एकता और मानवाधिकारों के संतुलन से जुड़ा हुआ है।
नागरिकता से संबंधित कानूनों को संवेदनशीलता और निष्पक्षता के साथ लागू करना आवश्यक है, ताकि भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की जा सके।

डोनाल्ड ट्रम्प का प्रस्ताव

  1. प्रस्ताव का उद्देश्य:
    • अवैध प्रवासियों के बच्चों को नागरिकता देने की प्रक्रिया पर रोक लगाना।
    • ट्रम्प का तर्क है कि यह नीति अप्रवासियों को अमेरिका में आने के लिए प्रेरित करती है।
  2. संभावित कार्यप्रणाली:
    • ट्रम्प ने घोषणा की है कि वे यह बदलाव एक कार्यकारी आदेश (Executive Order) के माध्यम से लागू करना चाहेंगे।
    • यह आदेश उन बच्चों को नागरिकता से वंचित कर देगा जिनके माता-पिता अमेरिकी नागरिक या कानूनी प्रवासी नहीं हैं।

संवैधानिक और कानूनी प्रश्न

  1. संविधान का 14वां संशोधन:
    • यह संशोधन कहता है:
      “सभी व्यक्ति जो अमेरिका में जन्मे हैं या प्राकृतिक रूप से अमेरिका में नागरिक बने हैं, वे अमेरिका के नागरिक हैं।”
    • इस संशोधन में बदलाव करना कठिन है क्योंकि इसके लिए कांग्रेस और राज्यों की सहमति आवश्यक होगी।
  2. संवैधानिक विवाद:
    • ट्रम्प का प्रस्ताव कानूनी लड़ाई का कारण बन सकता है क्योंकि यह संशोधन सीधे अमेरिकी मूल अधिकारों से संबंधित है।
    • कई विशेषज्ञों का मानना है कि एक कार्यकारी आदेश संविधान को ओवरराइड नहीं कर सकता।

समाज और राजनीति पर प्रभाव

  1. प्रवासी समुदाय पर प्रभाव:
    • लाखों अप्रवासी परिवार प्रभावित हो सकते हैं।
    • यह नीति अमेरिका के अप्रवासी समुदाय में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा कर सकती है।
  2. राजनीतिक ध्रुवीकरण:
    • ट्रम्प का यह कदम उनके समर्थकों के बीच लोकप्रिय हो सकता है, लेकिन विपक्षी दल इसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ कदम के रूप में देख सकते हैं।
    • इससे अमेरिका की राजनीति में नस्ल और प्रवास के मुद्दे पर और अधिक ध्रुवीकरण हो सकता है।

विपक्ष और समर्थन

  1. समर्थन:
    • ट्रम्प के समर्थक इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और संसाधनों के संरक्षण के लिए आवश्यक मानते हैं।
    • वे इसे गैर-कानूनी प्रवासियों को रोकने का प्रभावी तरीका मानते हैं।
  2. विपक्ष:
    • मानवाधिकार कार्यकर्ता और डेमोक्रेटिक पार्टी इसे असंवैधानिक और विभाजनकारी कदम मानते हैं।
    • यह अमेरिकी समाज में असमानता और भेदभाव को बढ़ावा दे सकता है।

अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य

  • जन्मसिद्ध नागरिकता केवल कुछ देशों में मान्य है, जैसे:
    • अमेरिका, कनाडा, ब्राज़ील।
  • यदि अमेरिका इस नीति को बदलता है, तो यह अंतरराष्ट्रीय अप्रवासी नीतियों पर भी प्रभाव डाल सकता है।

आगे की राह

  1. कानूनी प्रक्रिया:
    • इस प्रस्ताव पर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में कानूनी चुनौती दी जा सकती है।
    • इसे लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा।
  2. नीति में संतुलन:
    • यह जरूरी है कि अप्रवासी नीतियों और मानवाधिकारों के बीच संतुलन बनाया जाए।
    • अप्रवासी समुदायों के योगदान को ध्यान में रखते हुए समावेशी नीति बनानी चाहिए।

निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रम्प का जन्मसिद्ध नागरिकता समाप्त करने का प्रस्ताव अमेरिका के राजनीतिक, कानूनी और सामाजिक ताने-बाने पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। यह न केवल संविधान के मूल अधिकारों को चुनौती देता है, बल्कि वैश्विक अप्रवासी नीतियों पर भी प्रभाव डाल सकता है।
इस प्रस्ताव को लागू करने में कानूनी और राजनीतिक बाधाएं होंगी, लेकिन यह अमेरिका में अप्रवासी नीतियों के प्रति दृष्टिकोण को नया आयाम दे सकता है।


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