समाचार में क्यों?
• हाल ही में ओडिशा के रत्नागिरि में खुदाई के दौरान यह प्रमाण मिले हैं कि यह स्थान तांत्रिक बौद्ध धर्म (Tantric Buddhism) का एक प्रमुख केंद्र था।
• यह खोज बौद्ध धर्म के विकास, विशेष रूप से महायान और वज्रयान परंपराओं के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
तांत्रिक बौद्ध धर्म (Tantric Buddhism) क्या है?
• इसे वज्रयान (Vajrayana) बौद्ध धर्म भी कहा जाता है।
• यह बौद्ध धर्म की एक शाखा है, जो तंत्र, योग, ध्यान और मंत्रों पर आधारित है।
• इसमें बोधिसत्व, तांत्रिक अनुष्ठान, और दिव्य ऊर्जा (Esoteric Practices) पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
• यह मुख्य रूप से 8वीं शताब्दी के आसपास भारत, तिब्बत और नेपाल में लोकप्रिय हुआ।
रत्नागिरि और तांत्रिक बौद्ध धर्म
• रत्नागिरि, उड़ीसा का एक प्राचीन बौद्ध स्थल है, जो 8वीं-12वीं शताब्दी के बीच बौद्ध शिक्षा और साधना का एक प्रमुख केंद्र था।
• खुदाई में यहाँ बोधिसत्व मूर्तियाँ, तांत्रिक अनुष्ठान से जुड़ी आकृतियाँ, स्तूप, और शिलालेख मिले हैं।
• यह स्थल नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालयों की तरह ही एक प्रमुख बौद्ध शिक्षण केंद्र था।
• यहाँ महायान और वज्रयान बौद्ध धर्म के अभ्यास के प्रमाण मिलते हैं।
तांत्रिक बौद्ध धर्म के प्रमुख सिद्धांत
• गुप्त शिक्षाएँ (Esoteric Teachings) – यह बौद्ध धर्म की अन्य शाखाओं से अलग गूढ़ तंत्र पर आधारित है।
• मंत्र साधना (Mantra Chanting) – बौद्ध मंत्रों और अनुष्ठानों का प्रयोग आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
• योग और ध्यान – विशेष रूप से तांत्रिक ध्यान को आत्मज्ञान प्राप्त करने का माध्यम माना जाता है।
• दैवीय मूर्तियाँ और प्रतीक – तांत्रिक बौद्ध धर्म में तारा, पद्मसम्भव और अन्य देवताओं की पूजा की जाती है।
भारत में तांत्रिक बौद्ध धर्म का प्रभाव
• बिहार और ओडिशा: नालंदा, विक्रमशिला, और रत्नागिरि जैसे स्थानों पर इसका केंद्र था।
• तिब्बत: गुरु पद्मसंभव ने तांत्रिक बौद्ध धर्म को तिब्बत में प्रचारित किया, जिससे यह लामा परंपरा का आधार बना।
• नेपाल और भूटान: यहाँ तांत्रिक बौद्ध धर्म के तत्व आज भी प्रचलित हैं।
यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु
GS Paper 1:
• भारतीय संस्कृति और धर्मों का विकास।
• बौद्ध धर्म का प्रभाव और उसके विभिन्न संप्रदाय।
• पुरातात्विक खोजें और उनका महत्व।
GS Paper 3:
• भारत की सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण।
• पुरातत्व और ऐतिहासिक अनुसंधान।
निष्कर्ष:
रत्नागिरि में तांत्रिक बौद्ध धर्म से जुड़े अवशेष भारत के प्राचीन बौद्ध इतिहास की एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। इससे बौद्ध धर्म के वज्रयान स्वरूप और उसकी तांत्रिक परंपराओं को समझने में मदद मिलती है। यह खोज भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास के अध्ययन के लिए अत्यंत मूल्यवान है।
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