- चर्चा में क्यों
- SpaDeX मिशन के मुख्य बिंदु:
- तकनीकी उपलब्धियां:
- SpaDeX मिशन का महत्व:
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)
- इसरो के सभी प्रक्षेपण वाहनों की जानकारी
- 1. सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV)
- 2. एएसएलवी (ASLV – Augmented Satellite Launch Vehicle)
- 3. ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV – Polar Satellite Launch Vehicle)
- 4. भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV – Geosynchronous Satellite Launch Vehicle)
- 5. GSLV मार्क-III (लॉन्च व्हीकल मार्क-III या LVM3)
- 6. साउंडिंग रॉकेट्स
- 7. पुन: प्रयोज्य लॉन्च व्हीकल (RLV – Reusable Launch Vehicle)
- 8. छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV – Small Satellite Launch Vehicle)
- इसरो के अन्य प्रमुख वाहन और परियोजनाएँ
चर्चा में क्यों
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 16 जनवरी 2025 को अपने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (SpaDeX) मिशन के तहत अंतरिक्ष में पहली बार सफलतापूर्वक दो उपग्रहों को डॉक किया, जिससे भारत इस तकनीक को विकसित करने वाला चौथा देश बन गया।
SpaDeX मिशन के मुख्य बिंदु:
उद्देश्य:
- इस मिशन का प्राथमिक उद्देश्य दो छोटे उपग्रहों, ‘चेज़र‘ और ‘टारगेट‘, के बीच स्वायत्त रेंडेज़वस और डॉकिंग तकनीक का प्रदर्शन करना था। यह तकनीक भविष्य में मानव अंतरिक्ष उड़ान, अंतरिक्ष स्टेशन संचालन, और उपग्रह सर्विसिंग जैसे अभियानों के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रक्षेपण:
- दोनों उपग्रहों को 30 दिसंबर 2024 को PSLV-C60 रॉकेट के माध्यम से 470 किमी की गोलाकार कक्षा में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया।
डॉकिंग प्रक्रिया:
- 16 जनवरी 2025 को सुबह 9 बजे, ‘चेज़र’ और ‘टारगेट‘ उपग्रहों ने सफलतापूर्वक डॉकिंग की, जो अंतरिक्ष में स्वायत्त डॉकिंग तकनीक के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
तकनीकी परीक्षण:
- डॉकिंग के बाद, दोनों उपग्रहों के बीच विद्युत ऊर्जा के हस्तांतरण का परीक्षण किया गया, जो भविष्य में अंतरिक्ष में रोबोटिक्स, संयुक्त अंतरिक्ष यान नियंत्रण, और अनडॉकिंग के बाद पेलोड संचालन के लिए आवश्यक है।
तकनीकी उपलब्धियां:
स्वायत्त डॉकिंग:
- दोनों उपग्रहों के बीच स्वायत्त नेविगेशन और थ्रस्ट नियंत्रण का सफल परीक्षण किया गया।
ऊर्जा हस्तांतरण:
- डॉकिंग के बाद, दोनों उपग्रहों के बीच विद्युत ऊर्जा और डेटा का सफलतापूर्वक आदान-प्रदान हुआ।
भविष्य की योजना:
- SpaDeX तकनीक का उपयोग गगनयान मिशन, अंतरिक्ष स्टेशन निर्माण, और कक्षा में उपग्रह मरम्मत के लिए किया जाएगा।
SpaDeX मिशन का महत्व:
मानव अंतरिक्ष उड़ान:
- यह मिशन गगनयान और भविष्य के मानव अंतरिक्ष उड़ान अभियानों के लिए एक बड़ा कदम है।
स्पेस स्टेशन निर्माण:
- भारत के अंतरिक्ष स्टेशन की योजना (2030 तक) में इस तकनीक का महत्वपूर्ण योगदान होगा।
अंतरिक्ष में आत्मनिर्भरता:
- भारत अब अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में सक्षम देशों की सूची में शामिल हो गया है।
खर्च में कमी:
- यह तकनीक अंतरिक्ष अभियानों को कम लागत में पूरा करने में मदद करेगी।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), भारत की अंतरिक्ष एजेंसी है, जिसे 15 अगस्त 1969 को स्थापित किया गया था। यह भारत सरकार के अधीन काम करती है और इसके मुख्यालय बेंगलुरु, कर्नाटक में स्थित हैं। इसरो का उद्देश्य अंतरिक्ष विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोगों का उपयोग करके भारत को आत्मनिर्भर बनाना और विभिन्न क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देना है।
इसरो का इतिहास
- 1962: डॉ. विक्रम साराभाई ने भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) की स्थापना की।
- 1969: INCOSPAR को इसरो में परिवर्तित किया गया।
- 1975: भारत ने अपना पहला उपग्रह आर्यभट्ट लॉन्च किया।
- 1980: पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान SLV-3 से रोहिणी उपग्रह लॉन्च किया गया।
मुख्य उपलब्धियां
- चंद्रयान मिशन:
- चंद्रयान-1 (2008): चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी का पता लगाया।
- चंद्रयान-2 (2019): चंद्रमा की सतह पर लैंडर और रोवर भेजा गया।
- चंद्रयान-3 (2023): सफल सॉफ्ट लैंडिंग के साथ भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बना।
- मंगलयान (2013):
- यह भारत का पहला मंगल मिशन था और पहले ही प्रयास में सफल हुआ। इसे MOM (Mars Orbiter Mission) भी कहते हैं।
- PSLV (Polar Satellite Launch Vehicle):
- यह इसरो का सबसे सफल प्रक्षेपण यान है, जिसने 104 उपग्रहों को एक साथ प्रक्षेपित कर विश्व रिकॉर्ड बनाया।
- गगनयान मिशन (निर्धारित 2024):
- भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन।
- नविक (NAVIC):
- भारत का स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम।
इसरो के प्रक्षेपण केंद्र
- सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश): मुख्य प्रक्षेपण स्थल।
- थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन (TERLS) (केरल): प्रारंभिक रॉकेट प्रक्षेपण स्थल।
मुख्य संस्थापक और वैज्ञानिक
- डॉ. विक्रम साराभाई: इसरो के जनक।
- डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम: मिसाइल मैन और PSLV प्रक्षेपण यान के विकास में योगदान।
इसरो के उद्देश्य
- उपग्रह विकास और प्रक्षेपण।
- दूरसंचार, कृषि, आपदा प्रबंधन और मौसम पूर्वानुमान में मदद।
- अंतरिक्ष विज्ञान और अनुसंधान को बढ़ावा देना।
- कम लागत वाले अंतरिक्ष मिशन विकसित करना।
भविष्य की परियोजनाएं
- गगनयान मिशन: 3 अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की कक्षा में भेजना।
- शुक्रयान मिशन: शुक्र ग्रह का अध्ययन।
- सौर मिशन (आदित्य L1): सूर्य का अध्ययन करने के लिए।
इसरो ने अपनी दक्षता और कम लागत वाले अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए वैश्विक पहचान बनाई है। आज यह भारत को अंतरिक्ष विज्ञान में अग्रणी देशों की सूची में स्थान दिला चुका है।
इसरो के सभी प्रक्षेपण वाहनों की जानकारी
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने विभिन्न प्रकार के प्रक्षेपण वाहनों (Launch Vehicles) का विकास किया है, जो उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। इन वाहनों को उनकी क्षमता और उपयोग के आधार पर विकसित किया गया है। नीचे इसरो के प्रमुख प्रक्षेपण वाहनों की जानकारी दी गई है:
1. सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV)
- परिचय: यह इसरो का पहला प्रक्षेपण वाहन था। इसका उद्देश्य 40 किलोग्राम तक के उपग्रहों को निम्न पृथ्वी कक्षा (LEO) में स्थापित करना था।
- प्रमुख मिशन: SLV-3 ने 1980 में रोहिणी उपग्रह (RS-1) को कक्षा में स्थापित किया।
- उपयोग: सीमित क्षमता वाला वाहन।
2. एएसएलवी (ASLV – Augmented Satellite Launch Vehicle)
- परिचय: यह SLV का उन्नत संस्करण था। इसमें 150 किलोग्राम तक के उपग्रहों को निम्न पृथ्वी कक्षा में भेजने की क्षमता थी।
- प्रमुख मिशन: ASLV-D2 ने 1992 में सफल प्रक्षेपण किया।
- विशेषता: चार चरण वाला यह वाहन अधिक स्थिरता प्रदान करता है।
3. ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV – Polar Satellite Launch Vehicle)
- परिचय: यह इसरो का सबसे सफल और बहुउद्देश्यीय प्रक्षेपण वाहन है। इसका उपयोग पृथ्वी अवलोकन और नेविगेशन उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने के लिए किया जाता है।
- क्षमता:
- 1,750 किलोग्राम तक के उपग्रहों को सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा (SSO) में।
- 1,420 किलोग्राम तक के उपग्रहों को भू-स्थैतिक कक्षा (GTO) में।
- प्रमुख मिशन:
- चंद्रयान-1 (2008)
- मंगलयान (2013)
- उपयोग: 300+ उपग्रहों का प्रक्षेपण।
4. भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV – Geosynchronous Satellite Launch Vehicle)
- परिचय: GSLV का उपयोग भारी उपग्रहों को भूस्थिर कक्षा में स्थापित करने के लिए किया जाता है।
- क्षमता: 2,500 किलोग्राम तक के उपग्रहों को भू-स्थिर कक्षा में ले जाने की क्षमता।
- प्रमुख मिशन:
- जीसैट-1 से लेकर जीसैट-7A तक कई प्रक्षेपण।
- विशेषता: इसमें क्रायोजेनिक अपर स्टेज (CUS) का उपयोग किया गया।
5. GSLV मार्क-III (लॉन्च व्हीकल मार्क-III या LVM3)
- परिचय: यह इसरो का सबसे भारी और शक्तिशाली प्रक्षेपण वाहन है।
- क्षमता:
- 4,000 किलोग्राम तक के उपग्रहों को भू-स्थिर कक्षा में।
- 10,000 किलोग्राम तक के उपग्रहों को निम्न पृथ्वी कक्षा में।
- प्रमुख मिशन:
- चंद्रयान-2 (2019)
- गगनयान मिशन (प्रस्तावित)।
- उपयोग: मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए उपयुक्त।
6. साउंडिंग रॉकेट्स
- परिचय: छोटे और वैज्ञानिक अनुसंधान हेतु उपयोग किए जाने वाले रॉकेट।
- प्रमुख उपयोग: वायुमंडलीय अध्ययन और माइक्रोग्रेविटी अनुसंधान।
- उदाहरण: RH-200, RH-300।
7. पुन: प्रयोज्य लॉन्च व्हीकल (RLV – Reusable Launch Vehicle)
- परिचय: यह इसरो का भविष्य का प्रोजेक्ट है। इसका उद्देश्य लागत प्रभावी प्रक्षेपण प्रणाली विकसित करना है।
- विशेषता:
- रॉकेट को पुन: उपयोग में लाना।
- अंतरिक्ष यान जैसा डिजाइन।
8. छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV – Small Satellite Launch Vehicle)
- परिचय: छोटे उपग्रहों के लिए इसरो का सबसे नया और कम लागत वाला प्रक्षेपण वाहन।
- क्षमता: 500 किलोग्राम तक के उपग्रहों को निम्न पृथ्वी कक्षा में ले जाने की क्षमता।
- विशेषता:
- त्वरित उत्पादन और प्रक्षेपण।
- कम समय में मिशन की तैयारी।
इसरो के अन्य प्रमुख वाहन और परियोजनाएँ
- गगनयान मिशन: भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन, जो 2024-25 में लॉन्च होने की संभावना है।
- चंद्रयान और मंगलयान: वैज्ञानिक और गहरे अंतरिक्ष मिशनों में योगदान।
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