- भारतीय दूरसंचार नेटवर्क और आपदा तैयारी: CDRI की रिपोर्ट का विश्लेषण
- 1️⃣ टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर की संवेदनशीलता
- 2️⃣ प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव
- 3️⃣ बिजली कटौती और बैकअप सिस्टम की समस्या
- 4️⃣ साइबर सुरक्षा खतरे
- ✅ टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाना
- ✅ बिजली आपूर्ति और बैकअप व्यवस्था में सुधार
- ✅ साइबर सुरक्षा उपायों को मजबूत करना
- ✅ आपदा प्रबंधन के लिए त्वरित प्रतिक्रिया टीम (DRT) बनाना
भारतीय दूरसंचार नेटवर्क और आपदा तैयारी: CDRI की रिपोर्ट का विश्लेषण
“Coalition for Disaster Resilient Infrastructure (CDRI)” एक बहुपक्षीय संगठन है, जिसे 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लॉन्च किया गया था। इस संगठन का उद्देश्य आपदा-प्रतिरोधी इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देना है, ताकि प्राकृतिक आपदाओं के दौरान महत्वपूर्ण सेवाओं को बनाए रखा जा सके।
हाल ही में CDRI ने भारतीय दूरसंचार नेटवर्क की आपदा तैयारी पर एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की, जिसमें यह अध्ययन किया गया कि भूकंप, बाढ़, चक्रवात और साइबर हमलों जैसी आपदाओं के दौरान भारत की टेलीकॉम सेवाएं कितनी सुरक्षित और प्रभावी हैं।
मुख्य निष्कर्ष और चुनौतियाँ
1️⃣ टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर की संवेदनशीलता
🔹 भारत का दूरसंचार नेटवर्क अत्यधिक विस्तृत है, लेकिन यह बाढ़, चक्रवात, भूकंप और बिजली कटौती के प्रति संवेदनशील बना हुआ है।
🔹 कई मोबाइल टावर और फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क कमजोर स्थानों पर स्थित हैं, जिससे वे आसानी से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।
🔹 साइबर हमलों के बढ़ते खतरे ने भी दूरसंचार सेवाओं की सुरक्षा को एक प्रमुख चिंता बना दिया है।
2️⃣ प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव
📌 2019 का फानी चक्रवात (ओडिशा) → मोबाइल नेटवर्क का 40% से अधिक क्षतिग्रस्त हो गया था।
📌 2020 का अम्फान चक्रवात (पश्चिम बंगाल) → लाखों टेलीकॉम उपभोक्ता 72 घंटे तक सेवाओं से वंचित रहे।
📌 उत्तराखंड बाढ़ (2013) → टेलीकॉम टावर गिरने से पूरे क्षेत्र का संचार बाधित हुआ था।
3️⃣ बिजली कटौती और बैकअप सिस्टम की समस्या
🔸 मोबाइल टावरों का बैकअप सिस्टम (डीजल जनरेटर, बैटरी) सीमित समय तक ही काम करता है, जिससे आपदा के समय नेटवर्क लंबे समय तक ठप हो सकता है।
🔸 रिमोट इलाकों में बिजली कटौती से नेटवर्क की बहाली में काफी समय लगता है।
4️⃣ साइबर सुरक्षा खतरे
🔹 CDRI की रिपोर्ट में टेलीकॉम सेक्टर पर बढ़ते साइबर हमलों पर भी चिंता जताई गई है।
🔹 5G नेटवर्क के आने से साइबर सुरक्षा उपायों को और मजबूत करने की आवश्यकता है।
CDRI की सिफारिशें और समाधान
✅ टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाना
✔ भूकंप, बाढ़ और चक्रवात प्रभावित क्षेत्रों में स्ट्रॉन्ग मोबाइल टावर और अंडरग्राउंड केबल का उपयोग किया जाए।
✔ 5G टावरों को अधिक स्थिर और आपदा-रोधी बनाया जाए।
✔ आपातकालीन स्थिति में सैटेलाइट कम्युनिकेशन सिस्टम का उपयोग किया जाए।
✅ बिजली आपूर्ति और बैकअप व्यवस्था में सुधार
✔ टेलीकॉम टावरों के लिए सोलर पैनल और लॉन्ग-लाइफ बैटरी का उपयोग किया जाए।
✔ बिजली कटौती के दौरान स्वचालित जनरेटर बैकअप सिस्टम को प्राथमिकता दी जाए।
✅ साइबर सुरक्षा उपायों को मजबूत करना
✔ 5G और अन्य टेलीकॉम नेटवर्क के लिए एडवांस साइबर सुरक्षा सिस्टम अपनाया जाए।
✔ डेटा सुरक्षा और साइबर हमलों की रोकथाम के लिए नई नीतियाँ बनाई जाएँ।
✅ आपदा प्रबंधन के लिए त्वरित प्रतिक्रिया टीम (DRT) बनाना
✔ तेज़ नेटवर्क बहाली के लिए राष्ट्रीय टेलीकॉम आपदा प्रबंधन यूनिट बनाई जाए।
✔ रिमोट इलाकों में मोबाइल नेटवर्क को जल्द से जल्द बहाल करने के लिए विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम लागू किए जाएँ।
निष्कर्ष
CDRI की रिपोर्ट भारत के दूरसंचार नेटवर्क में आपदा-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव देती है। भारत को साइबर सुरक्षा, टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर की मजबूती और आपदा प्रबंधन तंत्र को मजबूत करने की जरूरत है। यदि ये सुधार लागू किए जाते हैं, तो भविष्य में प्राकृतिक आपदाओं और साइबर खतरों के दौरान टेलीकॉम सेवाओं की विश्वसनीयता बढ़ाई जा सकती है।
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