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ऑनर किलिंग की रोकथाम हेतु सुधार ( Reforms to prevent honor killing ) – UPSC PRELIMS POINTER 2025

UPSC PRELIMS BASED CURRENT AFFAIRS

चर्चा में क्यों?

मध्य प्रदेश में झूठी शान के चलते एक लड़की को उसके परिवार वालों ने इसलिये गोली मार दी क्योंकि वह उनकी इच्छा के विरुद्ध अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह करना चाहती थी। 

पृष्ठभूमि

ऑनर किलिंग एक अत्यंत गंभीर और संवेदनशील सामाजिक समस्या है, जिसमें किसी व्यक्ति को परिवार या समुदाय द्वारा केवल उनके व्यक्तिगत निर्णयों, जैसे कि प्रेम विवाह, धर्म परिवर्तन या अन्य व्यक्तिगत मामलों में हस्तक्षेप करने के कारण हत्या कर दी जाती है। यह हत्या अक्सर समाज में पारंपरिक मान्यताओं, जातिवाद, और परिवार की इज्जत (honor) की रक्षा के नाम पर की जाती है। ऑनर किलिंग भारतीय समाज में एक गंभीर मुद्दा है और इसके खिलाफ सुधार की आवश्यकता है।

ऑनर किलिंग की परिभाषा और उत्पत्ति

  • ऑनर किलिंग का अर्थ है किसी व्यक्ति की हत्या केवल इस कारण कि उसने पारिवारिक या सामाजिक “मानकों” के खिलाफ जाकर किसी को पसंद किया है, विवाह किया है, या अपनी स्वतंत्र इच्छाओं का पालन किया है।
  • यह प्रथा विशेष रूप से जातिवाद, पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं और पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण से प्रेरित होती है।

ऑनर किलिंग के कारण

  • पारंपरिक और सांस्कृतिक दबाव: पारंपरिक भारतीय समाज में परिवार की इज्जत का बहुत महत्व है। यदि किसी सदस्य का व्यवहार समाज की पारंपरिक धारा से अलग होता है, तो परिवार के सम्मान की रक्षा के लिए उस व्यक्ति को सजा दी जाती है।
  • जातिवाद और कास्टिज्म: जाति व्यवस्था भी ऑनर किलिंग के एक प्रमुख कारण के रूप में उभरती है। अंतरजातीय विवाह को कई समाजों में स्वीकार नहीं किया जाता, और इसे परिवार या समुदाय की इज्जत के खिलाफ माना जाता है।
  • पितृसत्तात्मक मानसिकता: पुरुष प्रधान समाज में महिला का स्वायत्त अधिकार सीमित किया जाता है, और महिला के निर्णयों को अक्सर परिवार और समाज की प्रतिष्ठा के साथ जोड़कर देखा जाता है।

ऑनर किलिंग का सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भ

ऑनर किलिंग का प्रचलन उन समुदायों में अधिक देखने को मिलता है, जहां पारंपरिक मान्यताएँ और जातिवाद की प्रथा व्याप्त हैं। ऐसे समाजों में किसी महिला या पुरुष द्वारा अपने विवाह या व्यक्तिगत जीवन के बारे में निर्णय लेना, परिवार की प्रतिष्ठा के खिलाफ माना जाता है।

  • आकड़े: भारत में ऑनर किलिंग के मामलों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। भारतीय राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) और विभिन्न नागरिक संगठनों के अनुसार, भारत में हर साल अंतरजातीय विवाह और महिला के स्वतंत्र निर्णय लेने पर सैकड़ों ऑनर किलिंग के मामले सामने आते हैं।
    • 2015 में, आल इंडिया डेमोक्रेटिक वुमन एसोसिएशन ने रिपोर्ट की थी कि प्रति वर्ष भारत में 1000 से अधिक ऑनर किलिंग की घटनाएँ हो रही हैं।
    • 2016 में National Crime Records Bureau (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, 60% से अधिक ऑनर किलिंग के मामले जातिवाद और धार्मिक प्रतिबंधों के कारण उत्पन्न हुए थे।

कानूनी दृष्टिकोण और न्यायिक निर्णय

भारत में ऑनर किलिंग के खिलाफ कोई विशेष कानून नहीं है, लेकिन भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत इसे हत्या के रूप में माना जाता है। हालांकि, इस संदर्भ में न्यायपालिका ने कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं, जो ऑनर किलिंग के मामलों में कानून की भूमिका और इसके प्रभावी अनुपालन को स्पष्ट करते हैं।

  • न्यायिक निर्णय:
    • सुप्रीम कोर्ट का निर्णय (2011): सुप्रीम कोर्ट ने शिव कुमार यादव मामले में कहा कि “ऑनर किलिंग” का कोई औचित्य नहीं हो सकता और यह मानवाधिकारों का उल्लंघन है। कोर्ट ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति का विवाह या व्यक्तिगत निर्णय परिवार या समुदाय की इच्छाओं के खिलाफ है, तो इसे स्वीकार किया जाना चाहिए।
    • प्रेसिडेंट नेशनल कमीशन फॉर वुमेन (NCW) रिपोर्ट: 2017 में NCW ने अपने रिपोर्ट में यह सिफारिश की कि ऑनर किलिंग को एक विशेष अपराध माना जाए और इसके खिलाफ कड़े कानून बनाए जाएं।
    • लुधियाना हाईकोर्ट का आदेश: एक प्रमुख फैसले में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने ऑनर किलिंग के आरोपियों को कड़ी सजा दी और समाज में इसे बढ़ावा देने वाले व्यक्तियों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई का आदेश दिया।

मौलिक अधिकार और संविधान

ऑनर किलिंग, मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, विशेषकर धार्मिक स्वतंत्रता, व्यक्तिगत स्वतंत्रता, और जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार (अनुच्छेद 21)

  • संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार, हर नागरिक को जीने का अधिकार और स्वतंत्रता प्राप्त है। ऑनर किलिंग के मामलों में यह अधिकार सीधे तौर पर प्रभावित होता है, क्योंकि इस प्रकार की हत्याओं से किसी व्यक्ति को स्वतंत्रता और जीवन का अधिकार छिन जाता है।
  • अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 19 (व्यक्तिगत स्वतंत्रता) भी इस संदर्भ में महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इन अधिकारों के तहत किसी भी व्यक्ति को अपने जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय स्वयं लेने की स्वतंत्रता प्राप्त है।

ऑनर किलिंग की रोकथाम हेतु सुधार

ऑनर किलिंग के मामलों में सुधार के लिए कई पहलू हैं, जिनमें कानूनी, सामाजिक और प्रशासनिक सुधार शामिल हैं:

1. कानूनी सुधार:

  • ऑनर किलिंग के लिए विशेष कानून: भारत सरकार को ऑनर किलिंग (रोकथाम) विधेयक बनाने की आवश्यकता है। इस विधेयक में, दोषियों को अधिकतम सजा देने के प्रावधानों के साथ-साथ ऐसे अपराधों को गंभीरता से निपटने का मार्गदर्शन किया जा सकता है।
  • सख्त सजा और न्यायिक कार्रवाई: न्यायपालिका को ऑनर किलिंग के मामलों में त्वरित और कड़ी सजा सुनिश्चित करने के लिए विशेष अदालतों का गठन करना चाहिए।
  • सुरक्षा प्रावधान: ऑनर किलिंग के शिकार होने वाले व्यक्तियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए विशेष सुरक्षा बलों और गवाहों के लिए सुरक्षा उपायों की व्यवस्था करनी चाहिए।

2. सामाजिक सुधार:

  • जागरूकता और शिक्षा: समाज में ऑनर किलिंग के खिलाफ जागरूकता फैलाना आवश्यक है। यह विशेष रूप से युवाओं और ग्रामीण क्षेत्रों में आवश्यक है, ताकि वे स्वतंत्र जीवन के अधिकार को समझें।
  • समानता और महिला सशक्तिकरण: महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए उन्हें कानूनी सुरक्षा देने के साथ-साथ सामाजिक दृष्टिकोण को बदलने की आवश्यकता है। महिलाओं को उनके जीवन, विवाह, और निर्णयों में स्वतंत्रता देनी चाहिए।

3. प्रभावी प्रशासनिक उपाय:

  • पुलिस और प्रशासन की भूमिका: पुलिस और प्रशासन को ऑनर किलिंग के मामलों में त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए और आरोपियों को जल्द से जल्द सजा दिलवानी चाहिए।
  • सामाजिक दबावों का मुकाबला: परिवारों और समुदायों में दबाव बनाने वाले तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि वे ऑनर किलिंग जैसी हिंसा को बढ़ावा न दें।

आगे की राह

ऑनर किलिंग की समस्या को समाप्त करने के लिए कानूनी, सामाजिक और शिक्षा क्षेत्रों में सुधारों की आवश्यकता है। सरकार को इस विषय पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है और इसके खिलाफ एक व्यापक राष्ट्रीय नीति तैयार करनी चाहिए। इसके साथ ही, समाज में पारंपरिक और पितृसत्तात्मक मानसिकता को बदलने के लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है।

UPSC के लिए महत्त्वपूर्ण बिंदु:

  • समाजशास्त्र और राजनीति विज्ञान में ऑनर किलिंग और इसके खिलाफ कानून पर प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
  • मौलिक अधिकारों और महिला सशक्तिकरण के संदर्भ में यह महत्वपूर्ण मुद्दा है।
  • न्यायिक प्रणाली और कानूनी सुधार के विषय पर UPSC के विभिन्न पेपरों में सवाल पूछा जा सकता है, विशेष रूप से सामाजिक सुधारों और मानवाधिकार के संदर्भ में।

ऑनर किलिंग पर विस्तृत अध्ययन UPSC परीक्षा में आपके दृष्टिकोण को गहरा करेगा और समाज में इस मुद्दे की गंभीरता को समझने में मदद करेगा।


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