रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (RERA) और इसकी चुनौतियाँ
समाचार में क्यों?
• सुप्रीम कोर्ट ने रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (RERA) की कार्यप्रणाली पर असंतोष व्यक्त किया और इसे “निराशाजनक” करार दिया।
• अदालत ने कहा कि RERA का मुख्य उद्देश्य होमबायर्स के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता लाना था, लेकिन इसकी प्रभावशीलता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
RERA क्या है?
• रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 के तहत स्थापित एक नियामक संस्था है।
• इसका उद्देश्य रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता, जवाबदेही और होमबायर्स के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करना है।
• प्रत्येक राज्य में RERA प्राधिकरण की स्थापना की गई है, जो रियल एस्टेट परियोजनाओं को पंजीकृत करता है और शिकायतों का निवारण करता है।
RERA के प्रमुख प्रावधान
• रियल एस्टेट परियोजनाओं का पंजीकरण अनिवार्य (500 वर्ग मीटर या 8 यूनिट से अधिक की परियोजनाओं के लिए)।
• एडवांस पेमेंट की सीमा – बिल्डर केवल 10% तक की राशि अग्रिम रूप से ले सकता है।
• 70% फंड एस्क्रो अकाउंट में – ताकि बिल्डर खरीदारों के धन का दुरुपयोग न कर सके।
• निर्धारित समयसीमा में प्रोजेक्ट पूरा करना अनिवार्य, अन्यथा पेनल्टी।
• शिकायत निवारण प्रणाली – RERA के तहत राज्य स्तर पर अपीलीय न्यायाधिकरण का गठन।
सुप्रीम कोर्ट की आलोचना के कारण
• RERA में मामलों का धीमा निपटारा, जिससे होमबायर्स को न्याय नहीं मिल रहा।
• राज्यों में RERA के प्रभावी कार्यान्वयन की कमी – कई राज्य इसे कमजोर कर चुके हैं।
• डेवलपर्स द्वारा नियमों का उल्लंघन जारी – प्रोजेक्ट डिले, पारदर्शिता की कमी।
• होमबायर्स को न्याय दिलाने में असफलता – ग्राहकों को रिफंड और मुआवजा मिलने में कठिनाई।
RERA को प्रभावी बनाने के लिए सुझाव
• RERA को अधिक स्वायत्तता और अधिकार दिए जाएं।
• शिकायतों के निपटारे की समयसीमा निर्धारित की जाए।
• होमबायर्स के हितों की सुरक्षा के लिए सख्त नियम लागू किए जाएं।
• डेवलपर्स द्वारा RERA के आदेशों के पालन को अनिवार्य किया जाए।
• डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से पारदर्शिता बढ़ाई जाए।
निष्कर्ष:
RERA अधिनियम को होमबायर्स के हितों की रक्षा और रियल एस्टेट क्षेत्र में सुधार लाने के लिए लागू किया गया था, लेकिन इसके क्रियान्वयन में कई चुनौतियाँ हैं।
सुप्रीम कोर्ट की आलोचना इस ओर इशारा करती है कि RERA को अधिक प्रभावी, पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की आवश्यकता है।
यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु
GS Paper 2:
• शासन और पारदर्शिता।
• नीतिगत सुधार और नियामक संस्थाएँ।
• उपभोक्ता संरक्षण और न्यायिक सक्रियता।
GS Paper 3:
• बुनियादी ढाँचा (Infrastructure) – रियल एस्टेट क्षेत्र।
• आर्थिक सुधार और कानून।
• अर्बन डेवलपमेंट और हाउसिंग सेक्टर।
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