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कॉपर के लिए वैश्विक प्रतिस्पर्धा और भारत का प्रयास ( RACE FOR COPPER )

समाचार में क्यों?

• हाल ही में भारत सरकार ने ज़ाम्बिया में 9,000 वर्ग किमी क्षेत्र में तांबा (Copper) और कोबाल्ट (Cobalt) की खोज के लिए ब्लॉक सुरक्षित किया है।
• ज़ाम्बिया तांबे के उच्च-ग्रेड भंडार (High-Grade Copper Deposits) के लिए जाना जाता है।
• यह पहल भारत की महत्वपूर्ण खनिज (Critical Minerals) सुरक्षा रणनीति का हिस्सा है।


कॉपर: एक महत्वपूर्ण धातु

संकेतक: प्रतीक Cu, परमाणु क्रमांक 29
प्रमुख उपयोग:
• बिजली और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग।
• नवीकरणीय ऊर्जा और बैटरियों में महत्वपूर्ण भूमिका।
• निर्माण और दूरसंचार क्षेत्र।
वैश्विक उत्पादन:
शीर्ष उत्पादक देश: चिली, पेरू, चीन, अमेरिका, कांगो।
• भारत में प्रमुख भंडार – राजस्थान, झारखंड, मध्य प्रदेश।

मुख्य बिंदु

कॉपर की बढ़ती मांग और वैश्विक आपूर्ति

  • इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बैटरियों और स्वच्छ ऊर्जा तकनीकों से प्रेरित कॉपर की मांग 2035 तक खदानों से होने वाली आपूर्ति से अधिक हो जाएगी
  • देशों में आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित करने और घरेलू क्षमताओं को मजबूत करने की होड़ मची हुई है।
  • अधिक रिसाइक्लिंग और वैकल्पिक बैटरी रसायन आपूर्ति पर दबाव कम कर सकते हैं, लेकिन खनन अभी भी आवश्यक रहेगा

भारत का अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण

  • भारत में कॉपर को एक महत्वपूर्ण खनिज के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
  • 2023-24 में घरेलू अयस्क उत्पादन 3.78 मिलियन टन रहा, जो 2018-19 की तुलना में 8% कम है।
  • अप्रैल 2023 – जनवरी 2024 के बीच, हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (HCL) द्वारा उत्पादन वर्ष-दर-वर्ष 6% कम रहा।
  • स्थानीय उत्पादन में ठहराव के कारण, भारत का कॉपर कंसंट्रेट आयात दोगुना होकर ₹26,000 करोड़ (2023-24) हो गया।
  • भारत में बड़े कॉपर भंडार हैं, लेकिन खनन शुरू करने से पहले व्यापक अन्वेषण की आवश्यकता है।
  • वैश्विक स्तर पर, एक कॉपर खदान को चालू करने में औसतन 17 साल लगते हैं।
  • भारत, तांबा-समृद्ध देशों (ज़ाम्बिया, चिली और DRC) में ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड खनिज संपत्तियाँ सुरक्षित करने की कोशिश कर रहा है।

अफ्रीका पर विशेष ध्यान

  • अफ्रीका का योगदान तांबा, लिथियम और प्राकृतिक ग्रेफाइट जैसे महत्वपूर्ण खनिजों के उत्पादन में बढ़ रहा है।
  • यह पहले से ही वैश्विक कोबाल्ट उत्पादन का 70% और तांबे का 16% उत्पादन करता है।
  • DRC 2030 तक दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तांबा आपूर्तिकर्ता बनने की राह पर है।
  • भारत को ज़ाम्बिया के नॉर्थवेस्टर्न प्रांत में 9,000 वर्ग किलोमीटर का खनन ब्लॉक सरकारी स्तर पर आवंटित हुआ है।
  • भारत का भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग (GSI) इस भूमि की खोज करेगा, जो दिल्ली के आकार से 6 गुना बड़ी है।
  • ज़ाम्बिया दुनिया का सातवां सबसे बड़ा तांबा उत्पादक है, जबकि चिली, पेरू और DRC पहले तीन स्थानों पर हैं।


ज़ाम्बिया में भारत की खनन पहल

महत्व: ज़ाम्बिया अफ्रीका का दूसरा सबसे बड़ा तांबा उत्पादक देश है।
साझेदारी: यह सौदा भारत और ज़ाम्बिया के द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग को मजबूत करेगा।
कोबाल्ट की उपलब्धता: ज़ाम्बिया कोबाल्ट का भी प्रमुख उत्पादक है, जो इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बैटरियों में इस्तेमाल होता है।


कॉपर और कोबाल्ट: रणनीतिक खनिज क्यों?

ऊर्जा परिवर्तन: हरित ऊर्जा तकनीकों में आवश्यक।
इलेक्ट्रिक वाहन (EVs): बैटरी और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में महत्वपूर्ण।
औद्योगिक महत्व: उच्च चालकता और संक्षारण प्रतिरोध के कारण विभिन्न उद्योगों में उपयोगी।


भारत में तांबे का उत्पादन और आयात

घरेलू उत्पादन:
• प्रमुख खदानें – बालाघाट (मध्य प्रदेश), खेड़ी (राजस्थान), सिंहभूम (झारखंड)
• हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (HCL) भारत की प्रमुख तांबा उत्पादक कंपनी।
आयात निर्भरता:
• भारत अपनी तांबा आवश्यकता का बड़ा हिस्सा आयात करता है।
• ज़ाम्बिया में निवेश आयात निर्भरता कम कर सकता है।


वैश्विक तांबा प्रतिस्पर्धा

चीन: अफ्रीका में भारी निवेश, विशेष रूप से तांबा और कोबाल्ट खनन में।
अमेरिका और यूरोप: खनिज सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं।
भारत: खनिज संसाधनों के लिए अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में निवेश बढ़ा रहा है।


यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु

GS Paper 3:

• खनिज संसाधन और उनकी रणनीतिक महत्ता।
• भारत की खनिज सुरक्षा नीति।
• नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग में खनिजों की भूमिका।

GS Paper 2:

• भारत-अफ्रीका आर्थिक सहयोग।
• वैश्विक खनिज आपूर्ति श्रृंखला में भारत की स्थिति।

निष्कर्ष:

भारत का ज़ाम्बिया में तांबा और कोबाल्ट खनन में निवेश खनिज आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह ऊर्जा सुरक्षा, औद्योगिक विकास और भारत-अफ्रीका संबंधों को मजबूत करने में सहायक होगा।


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