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प्लास्टिक प्रदूषण (Plastic Pollution) – UPSC PRELIMS TARGET 2025


2.1 प्लास्टिक प्रदूषण (Plastic Pollution)

समाचार में क्यों?

भारत ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (Plastic Waste Management – PWM) नियमों में हाल ही में कई संशोधन किए हैं और विभिन्न कदम उठाए हैं जैसे:

  • एकल उपयोग प्लास्टिक (SUP) पर प्रतिबंध।
  • EPR (Extended Producer Responsibility) के अंतर्गत दिशानिर्देश जारी करना।
  • STAR Rating Framework का शुभारंभ।

महत्वपूर्ण पहलें और अपडेट्स:

(A) Extended Producer Responsibility (EPR) Guidelines, 2022

  • यह Plastic Waste Management Rules, 2016 के तहत एक संशोधन है।
  • EPR का अर्थ है कि उत्पादक, आयातक और ब्रांड मालिक (PIBOs) को उनके उत्पादों से उत्पन्न प्लास्टिक अपशिष्ट के प्रबंधन और पुनर्चक्रण की जिम्मेदारी लेनी होगी।

(B) एकल उपयोग प्लास्टिक (SUP) पर प्रतिबंध

  • 1 जुलाई 2022 से भारत सरकार ने ऐसे 19 एकल उपयोग प्लास्टिक आइटम्स के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगाया जो अक्सर उपयोग में आकर कचरा बन जाते हैं।
  • उदाहरण: प्लास्टिक स्टिक वाले झंडे, चम्मच, प्लेट, स्ट्रॉ, ईयरबड्स, कटलरी आदि।

(C) STAR Rating Framework

  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा आरंभ की गई एक पहल है।
  • यह स्थानीय निकायों की प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन में प्रदर्शन के आधार पर स्टार रेटिंग प्रदान करता है।

प्लास्टिक प्रदूषण की स्थिति:

विश्व स्तर पर

  • UNEP के अनुसार, हर वर्ष लगभग 30 करोड़ टन प्लास्टिक उत्पादित होता है।
  • इसका एक बड़ा हिस्सा समुद्रों और जल निकायों में पहुंच जाता है, जिससे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान होता है।

भारत में

  • भारत प्रतिवर्ष लगभग 35 लाख टन प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पन्न करता है, जिसमें से केवल लगभग 60% का ही पुनर्चक्रण होता है।
  • शेष कचरा लैंडफिल या खुले में फेंका जाता है।

प्रभाव (Impacts):

पर्यावरण पर:

  • मिट्टी और जल प्रदूषण बढ़ता है।
  • प्लास्टिक के छोटे टुकड़े (माइक्रोप्लास्टिक्स) मिट्टी की उर्वरता को प्रभावित करते हैं।

मानव स्वास्थ्य पर:

  • माइक्रोप्लास्टिक्स भोजन और पानी के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं।
  • ये हार्मोनल असंतुलन, कैंसर, और प्रतिरक्षा तंत्र को कमजोर कर सकते हैं।

वन्यजीवों पर:

  • जानवर प्लास्टिक को भोजन समझकर निगल जाते हैं जिससे आंतरिक चोटें या मृत्यु हो सकती है।
  • समुद्री जीवों पर विशेष प्रभाव देखा गया है।

प्रमुख पहलें:

पहलविवरण
India Plastic PactCII और WWF द्वारा शुरू किया गया, इसका उद्देश्य 2030 तक प्लास्टिक अपशिष्ट को 100% पुनः प्रयोग योग्य, पुनर्चक्रण योग्य या खाद योग्य बनाना है।
Swachh Bharat Missionप्लास्टिक मुक्त शहरों और ग्रामों को प्रोत्साहित करता है।
UN Clean Seas Campaignसमुद्री प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ वैश्विक अभियान।

आगे की राह (Way Forward):

  • सख्त प्रवर्तन: प्लास्टिक नियमों को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।
  • जागरूकता अभियान: नागरिकों को प्लास्टिक के खतरों के बारे में शिक्षित करना।
  • वैकल्पिक विकल्प: बायोडिग्रेडेबल और पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों को बढ़ावा देना।
  • रीसायक्लिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर: पुनर्चक्रण सुविधाओं का विस्तार।
  • शून्य अपशिष्ट नीति (Zero Waste Policy): प्रत्येक स्तर पर अपशिष्ट को न्यूनतम करने की नीति।

निष्कर्ष:

प्लास्टिक प्रदूषण न केवल पर्यावरणीय संकट है बल्कि यह जनस्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी एक गंभीर खतरा है। EPR, SUP बैन और STAR Rating जैसी पहलें स्वागत योग्य हैं, लेकिन इनका प्रभाव तभी होगा जब समाज, सरकार और उद्योग मिलकर काम करें।



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