चर्चा में क्यों
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर में जेड-मोड़ सुरंग का उद्घाटन किया है। यह सुरंग रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
1. भौगोलिक दृष्टिकोण
- स्थान और क्षेत्रीय महत्व:
- जेड-मोड़ सुरंग सोनमर्ग को कारगिल से जोड़ती है। यह ज़ोजिला पास के पास स्थित है, जो भारत के सबसे खतरनाक पहाड़ी दर्रों में से एक है।
- इस क्षेत्र में भारी बर्फबारी के कारण हर साल सर्दियों में 5-6 महीने तक संपर्क कट जाता था, जिससे लोगों और सैनिकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था।
- कनेक्टिविटी का प्रभाव:
- यह सुरंग श्रीनगर-लेह राजमार्ग पर स्थायी संपर्क सुनिश्चित करती है।
- हिमालयी क्षेत्र में सड़क संपर्क का विकास पर्यटन, व्यापार और आपूर्ति श्रृंखला को प्रोत्साहित करता है।
2. रणनीतिक और सुरक्षा दृष्टिकोण
- सीमा सुरक्षा का महत्वपूर्ण योगदान:
- लद्दाख और सियाचिन ग्लेशियर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में तेजी से सैनिकों और आपूर्ति का परिवहन सुनिश्चित करेगी।
- भारत-चीन और भारत-पाकिस्तान सीमा के बढ़ते तनाव के बीच यह सुरंग रणनीतिक रूप से अहम है।
- भारतीय सेना के लिए लाभ:
- हिमालयी क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को अब आपूर्ति और लॉजिस्टिक्स के लिए मौसम पर निर्भर नहीं रहना होगा।
- आपातकालीन परिस्थितियों में यह सुरंग मौसम की परवाह किए बिना त्वरित प्रतिक्रिया को सुनिश्चित करेगी।
3. आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
- पर्यटन का विस्तार:
- सोनमर्ग, कारगिल और लद्दाख जैसे क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जो राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है।
- पूरे साल कनेक्टिविटी होने से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी।
- स्थानीय रोजगार और विकास:
- सुरंग निर्माण और उसके बाद रखरखाव से स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हुए हैं।
- कनेक्टिविटी के कारण क्षेत्रीय व्यापार, कृषि उत्पादों और शिल्प कला का राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार तक विस्तार होगा।
- कार्गो और व्यापार:
- व्यापारिक माल की आवाजाही तेज और सस्ती हो जाएगी, जिससे स्थानीय और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
4. तकनीकी और पर्यावरणीय पहलू
- तकनीकी उपलब्धियां:
- यह सुरंग डबल-लेन डिज़ाइन के साथ अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए बनाई गई है।
- इसमें वेंटिलेशन सिस्टम, अग्नि सुरक्षा उपाय, और अन्य आपातकालीन सुविधाएं शामिल हैं।
- पर्यावरणीय संरक्षण:
- निर्माण के दौरान पारिस्थितिकी को नुकसान न पहुंचे, इसका विशेष ध्यान रखा गया।
- हिमालयी पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए स्थानीय वनस्पति और जीवों के संरक्षण के प्रयास किए गए।
5. वैश्विक और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य
- अन्य देशों के संदर्भ में तुलना:
- जेड-मोड़ सुरंग को स्विट्जरलैंड और चीन के पर्वतीय बुनियादी ढांचे की तुलना में भारत की प्रगति के प्रतीक के रूप में देखा जा सकता है।
- यह भारत की सामरिक और आधारभूत संरचना परियोजनाओं में आत्मनिर्भरता को दर्शाता है।
- भारत की उत्तर-पूर्वी परियोजनाओं से तुलना:
- अरुणाचल प्रदेश में हाल ही में उद्घाटित सी-ला सुरंग और जेड-मोड़ सुरंग भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में कनेक्टिविटी के बढ़ते प्रयासों को दर्शाती हैं।
6. भविष्य के प्रभाव और चुनौतियां
- लंबे समय तक लाभ:
- यह सुरंग केवल वर्तमान के लिए ही नहीं, बल्कि आने वाले दशकों में भी सामरिक और आर्थिक स्थिरता का महत्वपूर्ण हिस्सा बनेगी।
- संभावित चुनौतियां:
- हिमालयी क्षेत्रों में भू-स्खलन, ग्लेशियरों का पिघलना और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं इस परियोजना के लिए दीर्घकालिक चुनौती हो सकती हैं।
- इसके रखरखाव और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लगातार निवेश और निगरानी की आवश्यकता होगी।
UPSC दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बिंदु
- जीएस पेपर III (आधारभूत संरचना और रणनीतिक महत्व):
- जेड-मोड़ सुरंग भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए एक मील का पत्थर है।
- एसेज़ (विकास और सुरक्षा के बीच संतुलन):
- “इन्फ्रास्ट्रक्चर फॉर स्ट्रैटेजिक सिक्योरिटी एंड रिजनल डिवेलपमेंट।”
- “पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन: भारत के हिमालयी क्षेत्रों का अध्ययन।”
- भौगोलिक अध्ययन:
- हिमालयी क्षेत्र में भारत का आधारभूत संरचना विकास।
- सियाचिन ग्लेशियर और लद्दाख क्षेत्र की रणनीतिक भौगोलिक स्थिति।
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