चर्चा में क्यों?
केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री ने खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने और इथेनॉल उत्पादन को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से 2024-25 के लिए खुला बाजार बिक्री योजना (घरेलू) नीति में संशोधन की घोषणा की है।
खुला बाजार बिक्री योजना (Open Market Sale Scheme – OMSS)
OMSS का उद्देश्य सरकार के स्टॉक में रखे अनाज (जैसे गेहूं और चावल) को खुले बाजार में उपलब्ध कराना है। यह योजना खाद्य पदार्थों की कीमतों को नियंत्रित करने, मांग-आपूर्ति का संतुलन बनाए रखने और संकट के समय खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करती है।
नीति में संशोधन के प्रमुख बिंदु
- इथेनॉल उत्पादन के लिए अनाज की बिक्री:
- सरकार अब OMSS के तहत अनाज (मुख्यतः चावल) की आपूर्ति इथेनॉल उत्पादन के लिए करेगी।
- यह कदम भारत की राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति को बढ़ावा देने और पेट्रोल में इथेनॉल सम्मिश्रण (Ethanol Blending) को बढ़ाने के लिए उठाया गया है।
- खाद्य सुरक्षा का ध्यान:
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लिए खाद्यान्न की आपूर्ति प्राथमिकता बनी रहेगी।
- खुले बाजार में कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त स्टॉक जारी करेगी।
- कीमत नियंत्रण:
- गेहूं और चावल की कीमतों में अस्थिरता को रोकने के लिए सरकार समय-समय पर अनाज की बिक्री की निगरानी करेगी।
इसका महत्व
- खाद्य सुरक्षा:
- सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि गरीब और वंचित वर्गों के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत अनाज की उपलब्धता में कोई कमी न हो।
- इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा:
- भारत इथेनॉल सम्मिश्रण के लक्ष्य को तेजी से प्राप्त करना चाहता है।
- इथेनॉल उत्पादन में वृद्धि से कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम होगी और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आएगी।
- कीमत स्थिरता:
- खुले बाजार में अनाज की उपलब्धता बढ़ने से खाद्य महंगाई पर नियंत्रण रहेगा।
- किसानों को लाभ:
- इथेनॉल उत्पादन के लिए अनाज की बढ़ती मांग किसानों को अपनी उपज का बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद करेगी।
चुनौतियां
- खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव:
- अगर इथेनॉल उत्पादन के लिए बड़े पैमाने पर अनाज का उपयोग होता है, तो इससे खाद्य सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
- प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव:
- इथेनॉल उत्पादन के लिए अधिक फसल उत्पादन से पानी और भूमि उपयोग पर अतिरिक्त दबाव बढ़ सकता है।
- महंगाई का खतरा:
- खुले बाजार में अनाज की कीमतों में वृद्धि की संभावना बनी रहेगी, खासकर गरीब वर्ग के लिए।
निष्कर्ष
खुला बाजार बिक्री योजना (घरेलू) नीति में संशोधन, खाद्य सुरक्षा और इथेनॉल उत्पादन के बीच संतुलन बनाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। हालांकि, यह आवश्यक है कि सरकार अनाज की उपलब्धता और मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करे ताकि इस नीति का सकारात्मक प्रभाव समाज के हर वर्ग तक पहुंचे।
भारतीय खाद्य निगम (FCI)
भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India – FCI) भारत सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के तहत एक प्रमुख संगठन है, जिसकी स्थापना 14 जनवरी 1965 को हुई थी। इसका मुख्यालय पहले चेन्नई में था, जिसे बाद में नई दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया।
स्थापना का उद्देश्य
भारतीय खाद्य निगम की स्थापना भारतीय खाद्य नीति के तहत निम्नलिखित उद्देश्यों को पूरा करने के लिए की गई थी:
- खाद्यान्न की खरीद: किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर अनाज की खरीद सुनिश्चित करना।
- भंडारण और वितरण: खाद्यान्न को सुरक्षित तरीके से संग्रहीत करना और इसे पूरे देश में वितरित करना।
- कीमत स्थिरता: खाद्य पदार्थों की कीमतों में स्थिरता बनाए रखना।
- खाद्य सुरक्षा: सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से गरीब और वंचित वर्गों को सस्ती दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराना।
प्रमुख कार्य
- खरीद (Procurement):
- FCI मुख्य रूप से गेहूं और चावल जैसे प्रमुख अनाज की खरीद करता है।
- यह खरीदारी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के आधार पर किसानों से की जाती है।
- भंडारण (Storage):
- FCI खाद्यान्न को सुरक्षित रखने के लिए गोदामों और साइलोज का प्रबंधन करता है।
- यह भंडारण Central Warehousing Corporation (CWC) और State Warehousing Corporations (SWC) के सहयोग से किया जाता है।
- वितरण (Distribution):
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) और विभिन्न सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के तहत खाद्यान्न का वितरण किया जाता है।
- आयात और निर्यात (Import and Export):
- खाद्यान्न के आयात और निर्यात में सरकार की नीतियों के तहत FCI की अहम भूमिका होती है।
- कीमत नियंत्रण (Price Control):
- खुले बाजार में खाद्यान्न की कीमतों को स्थिर बनाए रखने के लिए अनाज की बिक्री।
एफसीआई की संरचना
- मुख्यालय: नई दिल्ली
- पाँच क्षेत्रीय कार्यालय:
- उत्तर क्षेत्र (North Zone)
- दक्षिण क्षेत्र (South Zone)
- पूर्व क्षेत्र (East Zone)
- पश्चिम क्षेत्र (West Zone)
- उत्तर-पूर्व क्षेत्र (North-East Zone)
- राज्य और जिला कार्यालय: प्रत्येक राज्य में कार्यालय, जो स्थानीय स्तर पर काम करते हैं।
चुनौतियाँ
- भंडारण की समस्या:
- अनाज को सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त और आधुनिक गोदामों की कमी।
- कई स्थानों पर खाद्यान्न खराब हो जाता है।
- परिवहन का खर्च:
- खाद्यान्न के परिवहन में उच्च लागत, विशेष रूप से दुर्गम क्षेत्रों में।
- लागत और सब्सिडी का बढ़ता बोझ:
- सरकार द्वारा सब्सिडी प्रदान करने के कारण वित्तीय दबाव।
- अनाज की बर्बादी:
- खराब प्रबंधन और गोदामों की कमी के कारण अनाज बर्बाद हो जाता है।
- भ्रष्टाचार और पारदर्शिता की कमी:
- खाद्यान्न की खरीद, भंडारण और वितरण में पारदर्शिता की कमी।
हाल के सुधार और प्रयास
- गोदामों का डिजिटलीकरण:
- भंडारण प्रक्रिया को पारदर्शी और कुशल बनाने के लिए गोदामों का डिजिटलीकरण।
- साइलो सिस्टम का विस्तार:
- अनाज के दीर्घकालिक भंडारण के लिए आधुनिक साइलो का निर्माण।
- ई-नीलामी (E-Auction):
- खुले बाजार में खाद्यान्न की बिक्री के लिए ई-नीलामी प्रक्रिया शुरू की गई है।
- वन नेशन, वन राशन कार्ड:
- पूरे देश में खाद्यान्न वितरण को सुगम बनाने के लिए इस योजना को लागू किया गया।
निष्कर्ष
भारतीय खाद्य निगम देश में खाद्य सुरक्षा और कृषि समर्थन का प्रमुख स्तंभ है। हालांकि, इसे अपने कामकाज में और सुधार करने की आवश्यकता है ताकि खाद्यान्न के प्रबंधन में कुशलता और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके। FCI का सुदृढ़ और प्रभावी कार्यान्वयन देश के गरीब और जरूरतमंद लोगों तक भोजन पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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