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नांकेई ट्रफ ( NANKAI TROUGH ) – UPSC CURRENT AFFAIRS

NANKAI TROUGH

संदर्भ: दक्षिणी जापान में सोमवार को एक शक्तिशाली भूकंप आया।

पृष्ठभूमि

नांकेई ट्रफ लगभग हर 100-150 वर्षों में बड़े भूकंप उत्पन्न करता है। इसके आस-पास के शक्तिशाली भूकंपों को एक संभावित संकेत माना जाता है कि एक मेगाभूकंप अधिक संभव हो सकता है।

मुख्य बिंदु

  • नांकेई ट्रफ एक समुद्र के नीचे स्थित सबडक्शन जोन है, जो जापान के तट से लगभग 900 किलोमीटर (559 मील) दूर स्थित है। यह जापान के मुख्य द्वीप, होंशू के समानांतर फैलता है।
  • यह वह स्थान है जहां फिलीपीन्स सागर प्लेट, युरेशिया प्लेट के नीचे समा रही है, जो जापान के दक्षिण-पश्चिमी तट के समुद्र में स्थित है। इन प्लेटों के बीच संचित टेक्टोनिक तनाव भूकंप उत्पन्न कर सकते हैं।
  • नांकेई ट्रफ मेगाथ्रस्ट भूकंप उत्पन्न करने के लिए जाना जाता है, जो भूकंप के सबसे शक्तिशाली प्रकारों में से एक हैं। इस क्षेत्र में सबसे हालिया महत्वपूर्ण घटना 1946 में हुई थी, जब 8.0 तीव्रता का भूकंप और उसके बाद सूनामी आई थी।
  • यह क्षेत्र प्रशांत महासागर के “रिंग ऑफ फायर” का हिस्सा है, जो विश्व के सबसे सक्रिय भूकंपीय क्षेत्रों में से एक माना जाता है।

अतिरिक्त जानकारी

  • संयुक्त राज्य भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, भूकंप की तीव्रता उस दोष की लंबाई से संबंधित होती है, जिस पर वह घटित होता है।
  • अब तक दर्ज किया गया सबसे बड़ा भूकंप 22 मई 1960 को चिली में आया था, जिसकी तीव्रता 9.5 थी, और यह भूकंप लगभग 1,000 मील लंबे एक दोष पर हुआ था।

भूकंप

1. भूकंप की परिभाषा

भूकंप पृथ्वी की आंतरिक सतह (कोर और मेंटल) में उत्पन्न ऊर्जा की रिलीज़ के कारण होती है। यह ऊर्जा भूकंपीय तरंगों (seismic waves) के रूप में पृथ्वी की सतह पर फैल जाती है और इससे पृथ्वी की सतह में कंपन (vibration) होता है। जब यह कंपन किसी क्षेत्र में महसूस होता है, तो उसे भूकंप कहा जाता है। भूकंप का प्रभाव कभी हल्का तो कभी अत्यधिक विनाशकारी हो सकता है।

2. भूकंप के कारण

भूकंप के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

  • भूकंपीय प्लेटों का गति (Tectonic Plate Movements): पृथ्वी की सतह पर कई विशाल प्लेटें होती हैं जो निरंतर एक दूसरे के पास या दूर जाती हैं। जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं, खिसकती हैं या एक दूसरे से दूर होती हैं, तो उनमें ऊर्जा संचित हो जाती है। जब यह ऊर्जा अचानक मुक्त होती है, तो भूकंप उत्पन्न होता है।
  • वोल्केनिक क्रियाएं (Volcanic Activity): ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान भी ऊर्जा का रिलीज़ होता है, जिससे भूकंप उत्पन्न हो सकता है।
  • मानवजनित गतिविधियाँ (Human-Induced Activities): जैसे कि भारी निर्माण कार्य, खनन, जलाशयों का निर्माण या भूजल का अत्यधिक उपयोग, जो कभी-कभी भूकंप का कारण बन सकते हैं।

3. भूकंप के प्रकार

भूकंप के मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं:

  • टेक्टोनिक भूकंप (Tectonic Earthquakes): यह भूकंप प्लेटों के गतिज तनाव के कारण होते हैं।
  • वोल्केनिक भूकंप (Volcanic Earthquakes): ज्वालामुखी के विस्फोट से उत्पन्न होने वाले भूकंप।
  • मानवजनित भूकंप (Induced Earthquakes): मानव गतिविधियों के कारण उत्पन्न भूकंप जैसे कि भारी निर्माण या पानी के स्टोर के कारण।

4. भूकंप के प्रभाव

भूकंप के प्रभाव कई प्रकार के हो सकते हैं:

  • सतही नुकसान (Surface Damage): भूकंप के दौरान धरती की सतह में दरारें आ सकती हैं, जिससे भवनों का गिरना, सड़कें टूटना, पुलों का ढहना आदि हो सकता है।
  • सुनामी (Tsunami): समुद्र में आने वाले भूकंपों के कारण विशाल समुद्री लहरें उत्पन्न हो सकती हैं, जो तटीय क्षेत्रों में भारी तबाही मचा सकती हैं।
  • मलबे में दबना (Debris): भूकंप के कारण इमारतों, दीवारों और अन्य संरचनाओं का गिरना लोगों के लिए खतरे का कारण बन सकता है।
  • भूस्खलन (Landslides): भूकंप के दौरान पर्वतों में भूस्खलन हो सकते हैं, जिससे अधिक जनहानि हो सकती है।
  • जल आपूर्ति और शुद्धिकरण में बाधा (Disruption of Water Supply and Purification): भूकंप के बाद जल आपूर्ति तंत्र को नुकसान हो सकता है, जिससे पानी की कमी और साफ पानी की समस्या हो सकती है।

5. भूकंप की तीव्रता और पैमाना

भूकंप की तीव्रता का माप करने के लिए विभिन्न पैमाने होते हैं:

  • रिक्टर स्केल (Richter Scale): यह भूकंप की तीव्रता का माप करता है। एक उच्च रिच्टर स्कोर (जैसे 7.0 या उससे अधिक) अत्यधिक विनाशकारी हो सकता है।
  • मैग्निचूड (Magnitude): भूकंप की ऊर्जा का स्तर।
  • इंटेन्सिटी (Intensity): भूकंप का प्रभाव और क्षेत्र में महसूस होने वाली शक्ति।

6. भूकंप का पूर्वानुमान और चेतावनी प्रणाली

भूकंप का पूर्वानुमान करना अभी तक मुश्किल है, क्योंकि भूकंप अत्यधिक अप्रत्याशित होते हैं। हालांकि, वैज्ञानिक विभिन्न तकनीकों का उपयोग करके भूकंप के बाद चेतावनी प्रणाली (Earthquake Early Warning Systems) विकसित कर रहे हैं:

  • भूकंपीय सेंसर (Seismic Sensors): इन सेंसरों का उपयोग भूकंप के तरंगों को जल्दी पहचानने के लिए किया जाता है।
  • मूल्यांकन और डेटा एकत्रित करना (Data Collection and Evaluation): वैज्ञानिक क्षेत्रीय भूकंपीय गतिविधियों का मूल्यांकन करते हैं और इसके आधार पर संभावित भूकंप का अंदाजा लगाने की कोशिश करते हैं।

7. भूकंप से सुरक्षा के उपाय

  • भूकंप-प्रतिरोधी निर्माण (Earthquake-resistant Construction): इमारतों और अन्य संरचनाओं का निर्माण इस तरह से किया जाना चाहिए कि वे भूकंप के झटकों का सामना कर सकें।
  • आपातकालीन योजनाएं (Emergency Plans): भूकंप के दौरान क्या करना चाहिए, इस पर परिवार और समुदायों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
  • स्थानीय आपातकालीन सेवाएं (Local Emergency Services): भूकंप के बाद राहत कार्यों में तत्परता के लिए आपातकालीन सेवाओं की योजना बनाई जानी चाहिए।
  • शैक्षिक कार्यक्रम (Educational Programs): लोगों को भूकंप से बचने के तरीके, जैसे कि सुरक्षा कवच के नीचे छिपना या खुले मैदान में जाना, के बारे में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।

8. प्रसिद्ध भूकंप उदाहरण

  • 1999 तुर्की भूकंप (1999 Turkey Earthquake): यह 7.6 की तीव्रता के साथ आया था, जिसमें लगभग 17,000 लोग मारे गए थे।
  • 2004 इंडोनेशिया भूकंप और सुनामी (2004 Indonesia Earthquake and Tsunami): 9.1 की तीव्रता वाला भूकंप समुद्र के नीचे आया और इसने भारतीय महासागर में एक विनाशकारी सुनामी उत्पन्न की।
  • 2011 जापान भूकंप (2011 Japan Earthquake): यह भूकंप 9.0 की तीव्रता का था और इसने विशाल सुनामी का निर्माण किया, जिसने जापान के उत्तर-पूर्व तट को तबाह कर दिया।

9. भूकंप से बचाव और पुनर्वास

  • पुनर्निर्माण और पुनर्वास (Reconstruction and Rehabilitation): भूकंप के बाद प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्निर्माण और पुनर्वास का कार्य किया जाता है, ताकि लोगों को उनके जीवन को फिर से सामान्य बनाने में मदद मिल सके।
  • वित्तीय सहायता (Financial Assistance): भूकंप प्रभावित लोगों को राहत के रूप में वित्तीय सहायता और पुनर्निर्माण के लिए धनराशि दी जाती है।

निष्कर्ष

भूकंप एक अत्यधिक विनाशकारी प्राकृतिक आपदा है, जिसका पूरी दुनिया में प्रभाव पड़ता है। इसकी तीव्रता और प्रभाव भूकंप के कारण होने वाली प्राकृतिक और मानवजनित परिस्थितियों पर निर्भर करते हैं। भूकंप से बचाव, पूर्वानुमान और सुरक्षा उपायों पर निरंतर ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि इसके प्रभावों को कम किया जा सके और जीवन को सुरक्षित रखा जा सके।


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