भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 6 दिसंबर 2024 को अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत रेपो दर को 6.5% पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया।
मुख्य बिंदु:
- रेपो दर में कोई बदलाव नहीं: RBI ने रेपो दर को 6.5% पर स्थिर रखा है, जिससे बैंकिंग प्रणाली में तरलता बनी रहती है और ऋण की लागत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
- मुद्रास्फीति अनुमान: RBI ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए महंगाई दर का अनुमान 4.5% रखा है, जो पहले 4.8% था। हालांकि, तीसरी तिमाही में महंगाई दर 4.8% रहने का अनुमान है, जो पहले 4.7% था।
- विकास दर अनुमान: वित्त वर्ष 2024-25 के लिए वास्तविक GDP वृद्धि दर का अनुमान 7.2% से घटाकर 6.6% किया गया है। तीसरी तिमाही में यह 6.8% रहने का अनुमान है।
- सीआरआर में कमी: RBI ने नकद आरक्षित अनुपात (CRR) को 4.5% से घटाकर 4% कर दिया है, जिससे बैंकों के पास अतिरिक्त ₹1.16 लाख करोड़ की तरलता उपलब्ध होगी।
- मौद्रिक नीति रुख में बदलाव: RBI ने मौद्रिक नीति के रुख को ‘तटस्थ’ कर दिया है, जिससे विकास को समर्थन देते हुए मुद्रास्फीति को लक्ष्य के साथ टिकाऊ आधार पर संरेखित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
प्रभाव:
- उधारी की लागत: रेपो दर में कोई बदलाव नहीं होने से बैंक अपनी उधारी की लागत को स्थिर रखेंगे, जिससे उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए ऋण की दरें अपरिवर्तित रहेंगी।
- मुद्रास्फीति नियंत्रण: मुद्रास्फीति के अनुमान में कमी से यह संकेत मिलता है कि RBI महंगाई को नियंत्रित करने में सफल रहा है, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है।
- आर्थिक विकास: GDP वृद्धि दर के अनुमान में कमी से यह संकेत मिलता है कि अर्थव्यवस्था में कुछ मंदी आ सकती है, जिससे विकास की गति धीमी हो सकती है।
- बैंकिंग प्रणाली: CRR में कमी से बैंकों के पास अतिरिक्त तरलता होगी, जिससे वे अधिक ऋण देने में सक्षम होंगे, जो आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित कर सकता है।
कुल मिलाकर, RBI के ये निर्णय आर्थिक स्थिरता बनाए रखने और विकास को समर्थन देने के उद्देश्य से लिए गए हैं।
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