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नुकसान और क्षति कोष (Loss and Damage Fund)

समाचार में क्यों?

संयुक्त राज्य अमेरिका ने “नुकसान और क्षति कोष” (Loss and Damage Fund – LDF) से पीछे हटने की घोषणा की।
• यह कोष जलवायु परिवर्तन से प्रभावित विकासशील देशों को मुआवजा देने के लिए बनाया गया था।
• अमेरिका के इस फैसले को वैश्विक जलवायु न्याय (Climate Justice) के लिए झटका माना जा रहा है।


नुकसान और क्षति कोष (Loss and Damage Fund) क्या है?

• यह एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय कोष है, जिसे COP27 (शर्म अल-शेख जलवायु सम्मेलन, 2022) में स्थापित किया गया था।
• इसका उद्देश्य उन विकासशील देशों की मदद करना है, जो जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित हैं।
• यह जलवायु परिवर्तन से जुड़े नुकसान (बाढ़, सूखा, चक्रवात, समुद्र स्तर में वृद्धि आदि) की भरपाई के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है।


मुख्य विशेषताएँ:

जलवायु परिवर्तन के कारण हुई क्षति का वित्तीय मुआवजा।
प्राकृतिक आपदाओं और चरम जलवायु घटनाओं से प्रभावित देशों को सहायता।
विकसित देशों से योगदान की उम्मीद, क्योंकि वे जलवायु परिवर्तन के लिए अधिक जिम्मेदार माने जाते हैं।
संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (UNFCCC) के तहत कार्यान्वित।


अमेरिका के पीछे हटने के प्रभाव

प्रभाव क्षेत्रसंभावित परिणाम
जलवायु वित्तपोषणविकासशील देशों को कम वित्तीय सहायता मिलेगी।
जलवायु न्यायगरीब देशों को नुकसान उठाना पड़ेगा, जबकि विकसित देश उत्सर्जन जारी रख सकते हैं।
वैश्विक जलवायु वार्ताएँजलवायु परिवर्तन वार्ताओं में विकसित और विकासशील देशों के बीच मतभेद बढ़ सकते हैं।
अन्य देशों का रुखअमेरिका के इस कदम के बाद अन्य विकसित देश भी फंडिंग में कटौती कर सकते हैं।

भारत और नुकसान व क्षति कोष

भारत एक विकासशील देश है और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित देशों में शामिल है।
• भारत ने COP27 में इस कोष की स्थापना का समर्थन किया था और विकसित देशों से अधिक जिम्मेदारी लेने की मांग की थी।
• अमेरिका के पीछे हटने से भारत जैसे देशों के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है।


चुनौतियाँ और समाधान

चुनौतीसंभावित समाधान
विकसित देशों का योगदान न देनाजलवायु वित्त पोषण के लिए सख्त नियम बनाना।
फंड के वितरण में पारदर्शिता की कमीसंयुक्त राष्ट्र और अन्य संस्थानों के माध्यम से निगरानी बढ़ाना।
राजनीतिक असहमतिजलवायु न्याय पर वैश्विक समझौते को मजबूत करना।

निष्कर्ष

अमेरिका का “नुकसान और क्षति कोष” से पीछे हटना जलवायु न्याय के लिए एक झटका है।
विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से होने वाली क्षति की भरपाई के लिए इस कोष की सख्त जरूरत है।
भविष्य में, भारत और अन्य प्रभावित देशों को इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाना होगा, ताकि विकसित देश अपनी जिम्मेदारी से पीछे न हटें।


यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु

GS Paper 2 (अंतरराष्ट्रीय संबंध और नीतियाँ)

• जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक संधियाँ और भारत की भूमिका।
• विकसित और विकासशील देशों के बीच जलवायु वित्तपोषण विवाद।

GS Paper 3 (पर्यावरण और पारिस्थितिकी)

• जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाएँ।
• जलवायु वित्तीय तंत्र और वैश्विक न्याय।
• सतत विकास और अंतरराष्ट्रीय जलवायु वार्ताएँ।


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