कज़ान घोषणा: 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का प्रमुख परिणाम
कज़ान घोषणा (Kazan Declaration) को 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान जारी किया गया। यह सम्मेलन कज़ान, रूस में आयोजित हुआ, जिसमें ब्रिक्स के सदस्य देशों (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, और दक्षिण अफ्रीका) ने विभिन्न वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की।
यह घोषणा ब्रिक्स देशों के आपसी सहयोग, बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार, और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने के लिए उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
ब्रिक्स के बारे में संक्षेप में जानकारी
- स्थापना: 2009 में।
- सदस्य: ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका (2010 में शामिल)।
- उद्देश्य:
- विकासशील देशों के लिए आर्थिक और राजनीतिक सहयोग बढ़ाना।
- वैश्विक संस्थानों (जैसे, संयुक्त राष्ट्र, IMF, और विश्व बैंक) में सुधार।
- बहुपक्षीय विश्व व्यवस्था को मजबूत करना।
कज़ान घोषणा के मुख्य बिंदु
1. बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार की मांग
- ब्रिक्स देशों ने संयुक्त राष्ट्र, IMF, और विश्व बैंक जैसी संस्थाओं में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया।
- विकासशील देशों को अधिक प्रतिनिधित्व और भागीदारी देने की मांग की गई।
- UNSC (संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद) में सुधार पर विशेष ध्यान दिया गया, जिसमें भारत और ब्राज़ील ने स्थायी सदस्यता की अपनी मांग को दोहराया।
2. वैश्विक दक्षिण (Global South) का सशक्तिकरण
- ब्रिक्स ने विकासशील देशों (वैश्विक दक्षिण) की चिंताओं और आवश्यकताओं को प्राथमिकता दी।
- जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा, और सतत विकास जैसे मुद्दों पर वैश्विक दक्षिण को आर्थिक और तकनीकी सहायता प्रदान करने की आवश्यकता पर चर्चा की।
3. आर्थिक सहयोग और व्यापार
- ब्रिक्स देशों ने आपसी व्यापार को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय मुद्राओं में व्यापार करने की योजना बनाई।
- अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए ब्रिक्स न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) की भूमिका को बढ़ाने पर जोर दिया गया।
- नई नीतियां बनाकर सदस्य देशों के बीच व्यापार और निवेश को आसान बनाने का प्रस्ताव दिया गया।
4. जलवायु परिवर्तन और सतत विकास
- सदस्य देशों ने पेरिस समझौते (Paris Agreement) के लक्ष्यों को प्राप्त करने की प्रतिबद्धता दोहराई।
- हरित ऊर्जा, नवीकरणीय संसाधन, और कार्बन उत्सर्जन में कमी के लिए मिलकर काम करने पर सहमति हुई।
- ब्रिक्स ने तकनीकी हस्तांतरण और वित्तीय सहायता के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने की योजना बनाई।
5. आतंकवाद और सुरक्षा
- आतंकवाद और सीमा पार अपराधों के खिलाफ एकजुट होकर काम करने पर सहमति हुई।
- साइबर सुरक्षा और डिजिटल खतरों का मुकाबला करने के लिए सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया गया।
6. डिजिटल और तकनीकी सहयोग
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), 5G प्रौद्योगिकी, और डिजिटल अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में सहयोग को प्राथमिकता दी गई।
- ब्रिक्स टेक्नोलॉजी नेटवर्क और नॉलेज एक्सचेंज प्रोग्राम्स शुरू करने का प्रस्ताव रखा गया।
कज़ान घोषणा के भारत के लिए महत्व
1. UNSC में स्थायी सदस्यता की दावेदारी
- भारत ने ब्रिक्स मंच पर अपनी UNSC स्थायी सदस्यता के लिए समर्थन प्राप्त किया।
- ब्रिक्स देशों ने भारत की भूमिका को महत्व दिया और वैश्विक संस्थानों में सुधार की आवश्यकता को दोहराया।
2. आर्थिक सहयोग
- भारत ने ब्रिक्स के माध्यम से स्थानीय मुद्रा व्यापार को बढ़ावा देने का समर्थन किया।
- अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करना भारत के आर्थिक हित में है।
3. ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन
- भारत की हरित ऊर्जा परियोजनाओं को ब्रिक्स के सहयोग से और बढ़ावा मिलेगा।
- जलवायु परिवर्तन के खिलाफ भारत की प्रतिबद्धता को ब्रिक्स मंच पर मान्यता मिली।
4. आतंकवाद विरोधी प्रयास
- भारत ने सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे को उठाया, और ब्रिक्स मंच ने इस पर एकजुट होकर काम करने का समर्थन किया।
चुनौतियां और समाधान
चुनौतियां:
- ब्रिक्स के भीतर असमानताएं:
- चीन और रूस की बढ़ती निकटता भारत की चिंताओं को बढ़ा सकती है।
- ब्रिक्स देशों के बीच आपसी व्यापारिक हित और नीतियों में विविधता।
- वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव:
- यूक्रेन युद्ध और अमेरिका-चीन तनाव ब्रिक्स के सहयोग को प्रभावित कर सकते हैं।
- ब्रिक्स विस्तार:
- ब्रिक्स में नए देशों को शामिल करने की प्रक्रिया और उनके योगदान को संतुलित करना।
समाधान:
- ब्रिक्स के भीतर सहयोग को मजबूत करने के लिए अधिक संवाद और पारदर्शिता।
- सदस्य देशों के बीच व्यापारिक नीतियों को सरल और सुसंगत बनाना।
- वैश्विक मुद्दों पर एक समान दृष्टिकोण विकसित करना।
UPSC के लिए प्रासंगिकता
सामान्य अध्ययन – II (अंतर्राष्ट्रीय संबंध):
- ब्रिक्स और भारत की भूमिका।
- वैश्विक संस्थानों में सुधार की आवश्यकता।
- बहुपक्षीय कूटनीति के माध्यम से क्षेत्रीय स्थिरता।
सामान्य अध्ययन – III (आर्थिक और पर्यावरणीय मुद्दे):
- हरित ऊर्जा और सतत विकास।
- जलवायु परिवर्तन और भारत की रणनीति।
- स्थानीय मुद्राओं में व्यापार का प्रभाव।
निबंध और इंटरव्यू:
- ब्रिक्स: वैश्विक शासन में विकासशील देशों की भूमिका।
- क्या ब्रिक्स अमेरिका-प्रभुत्व वाली व्यवस्था का प्रभावी विकल्प बन सकता है?
निष्कर्ष
कज़ान घोषणा ब्रिक्स देशों के आपसी सहयोग और वैश्विक शासन में सुधार की प्रतिबद्धता को मजबूत करती है। यह घोषणा भारत के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत करने और वैश्विक दक्षिण की चिंताओं को उजागर करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
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