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कर्नाटक उच्च न्यायालय ने विद्युत अधिनियम, 2022 को रद्द किया ( Karnataka High Court strikes down Electricity Act, 2022 ) – UPSC

Karnataka High Court strikes down Electricity Act, 2022

हाल ही में, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित विद्युत (ग्रीन एनर्जी ओपन एक्सेस के माध्यम से अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देना) नियम, 2022 (GEOA नियम, 2022) को रद्द कर दिया है।

न्यायालय का निर्णय और उसका आधार

  • न्यायालय का निर्णय: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने GEOA नियम, 2022 को रद्द करते हुए कहा कि केंद्र सरकार के पास विद्युत अधिनियम, 2003 के तहत ऐसे नियम बनाने का अधिकार नहीं है, क्योंकि ये शक्तियाँ राज्य विद्युत विनियामक आयोगों (जैसे कर्नाटक विद्युत विनियामक आयोग – KERC) को सौंपी गई हैं।
  • कर्नाटक सरकार को आदेश: न्यायालय ने KERC द्वारा तैयार किये गए कर्नाटक विनियामक आयोग (ग्रीन एनर्जी ओपन एक्सेस के लिये नियम और शर्तें) विनियम, 2022 को भी रद्द कर दिया, क्योंकि यह अब अमान्य हो चुके GEOA नियम, 2022 के आधार पर तैयार किया गया था।

GEOA नियम, 2022 की मुख्य विशेषताएँ

  • केंद्र सरकार ने 6 जून, 2022 को भारत के नवीकरणीय ऊर्जा कार्यक्रमों को अधिक गति देने के लिए विद्युत (ग्रीन एनर्जी ओपन एक्सेस के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहन) नियम, 2022 अधिसूचित किया था।
  • इसका उद्देश्य सभी के लिए सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और हरित ऊर्जा तक पहुँच सुनिश्चित करना था।

न्यायालय का तर्क

  • न्यायालय ने कहा कि केंद्र सरकार ने अपनी सीमाओं का अतिक्रमण किया है, क्योंकि विद्युत अधिनियम, 2003 इस क्षेत्र को विनियमित करने का अधिकार विशेष रूप से राज्य विद्युत विनियामक आयोगों को सौंपता है।
  • न्यायालय ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार विनियामक ढाँचे को दरकिनार करने के लिए अवशिष्ट शक्ति के रूप में धारा 176(2) का उपयोग नहीं कर सकती।

प्रभाव और आगे की राह

  • इस निर्णय के बाद, KERC को यह स्वतंत्रता दी गई है कि यदि वह चाहे तो हरित ऊर्जा उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं को खुली पहुँच प्रदान करने के लिए नए विनियम बना सकता है या खुली पहुँच पर अपने वर्ष 2004 के विनियम को बरकरार रख सकता है।
  • यह निर्णय राज्य और केंद्र सरकार के बीच अधिकारों के विभाजन और संघीय ढाँचे के महत्व को रेखांकित करता है।

यह निर्णय संघीय ढाँचे में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संतुलन और समन्वय के महत्व को दर्शाता है, विशेषकर ऐसे क्षेत्रों में जो राज्य सूची का हिस्सा हैं। साथ ही, यह नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत स्पष्टता और समन्वय की आवश्यकता को भी उजागर करता है।

UPSC के लिए प्रासंगिकता

  • प्रारंभिक परीक्षा (Prelims):
    • विद्युत अधिनियम, 2003 के प्रावधान।
    • केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का विभाजन।
  • मुख्य परीक्षा (Mains):
    • जीएस पेपर 2 (संविधान और शासन):
      • संविधान में संघवाद और शक्तियों का विभाजन।
      • केंद्र-राज्य संबंध और विवाद।
    • जीएस पेपर 3 (अर्थव्यवस्था):
      • ऊर्जा क्षेत्र में नीतिगत ढाँचा।
      • नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के प्रयास।
  • निबंध (Essay):
    • “संघीय ढाँचे में केंद्र-राज्य संबंध: चुनौतियाँ और समाधान”।
    • “नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में नीतिगत समन्वय की आवश्यकता”।