2.2. अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, अभिसमय और पहलें
(International Conferences, Conventions and Initiatives)
भूमिका:
पर्यावरणीय संकट वैश्विक स्तर पर चिंता का विषय बन चुका है। जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता का ह्रास, प्रदूषण, और प्राकृतिक संसाधनों की अधिकता से दोहन जैसी समस्याएं केवल किसी एक देश तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वैश्विक हैं। इनसे निपटने हेतु अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है, जिसके लिए कई सम्मेलन, अभिसमय (conventions) और पहलें चलाई गई हैं।
प्रमुख अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, अभिसमय और भारत की भूमिका:
1. संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC):
• 1992 में रियो डी जेनेरियो में हुई Earth Summit के दौरान इस अभिसमय को स्वीकार किया गया।
• इसका उद्देश्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को स्थिर करना है।
• भारत UNFCCC का हस्ताक्षरकर्ता देश है और हर वर्ष होने वाले COP सम्मेलनों में सक्रिय भागीदार है।
2. क्योटो प्रोटोकॉल (Kyoto Protocol):
• 1997 में UNFCCC के तहत हस्ताक्षरित हुआ और 2005 में लागू हुआ।
• इसमें विकसित देशों को GHG उत्सर्जन में कटौती के कानूनी रूप से बाध्यकारी लक्ष्य दिए गए।
3. पेरिस समझौता (Paris Agreement), 2015 (COP-21):
• यह एक ऐतिहासिक समझौता था जिसे लगभग सभी देशों ने स्वीकार किया।
• लक्ष्य: 2100 तक वैश्विक तापमान वृद्धि को 2°C से नीचे और 1.5°C तक सीमित करना।
• भारत ने अपने NDCs (Nationally Determined Contributions) प्रस्तुत किए और पंचामृत लक्ष्य तथा Net Zero 2070 की घोषणा की।
4. ग्लासगो सम्मेलन (COP-26), 2021:
• भारत ने ‘पंचामृत’ घोषणाएं कीं:
- 2070 तक Net Zero लक्ष्य।
- 2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म ऊर्जा।
- 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 1 बिलियन टन की कटौती।
- 2030 तक कार्बन तीव्रता में 45% की कमी।
- 2030 तक ऊर्जा आवश्यकताओं का 50% नवीकरणीय स्रोतों से।
5. शर्म अल-शेख सम्मेलन (COP-27), 2022:
• Loss and Damage Fund की स्थापना पर सहमति बनी।
• भारत ने जैवविविधता संरक्षण और पारिस्थितिकीय न्याय पर बल दिया।
6. दुबई सम्मेलन (COP-28), 2023:
• Global Stocktake की पहली रिपोर्ट जारी की गई।
• जीवाश्म ईंधन से दूर जाकर Just Transition को अपनाने पर बल।
• न्यूक्लियर एनर्जी को ‘क्लीन एनर्जी’ की श्रेणी में शामिल किया गया।
जैव विविधता सम्मेलन:
1. CBD (Convention on Biological Diversity):
• 1992 की Earth Summit में अंगीकृत।
• जैवविविधता के संरक्षण, सतत उपयोग, और लाभ-साझेदारी पर केंद्रित।
2. CBD COP-15 (मॉन्ट्रियल, 2022):
• 30×30 लक्ष्य – 2030 तक 30% भूमि और समुद्री क्षेत्रों का संरक्षण।
• Global Biodiversity Framework को अपनाया गया।
अन्य प्रमुख वैश्विक सम्मेलन और पहलें:
1. स्टॉकहोम+50 सम्मेलन (2022):
• 1972 के पहले UN Conference on Human Environment की 50वीं वर्षगांठ।
• थीम – “A Healthy Planet for the Prosperity of All”।
• भारत ने ‘LiFE Mission’ को प्रमुखता से प्रस्तुत किया।
2. संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन (2023):
• Water Action Agenda लॉन्च किया गया।
• जल प्रबंधन और सुरक्षित जल पहुंच पर वैश्विक संवाद।
भारत-प्रेरित वैश्विक पहलें:
1. अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA):
• भारत और फ्रांस द्वारा शुरू की गई।
• सौर ऊर्जा के प्रसार और वित्तपोषण पर बल।
• 110+ देश सदस्य हैं।
2. आपदा-रोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI):
• 2019 में भारत द्वारा शुरू की गई।
• आपदा सहनशील बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देना।
3. International Big Cat Alliance (IBCA):
• भारत द्वारा 2023 में शुरू।
• सात बड़ी बिल्लियों के संरक्षण हेतु वैश्विक सहयोग।
4. Global Biofuel Alliance (GBA):
• भारत की 2023 G20 Presidency के दौरान शुरू।
• जैवईंधन के विकास और व्यापार को बढ़ावा देना।
UPSC परीक्षा प्रासंगिक बिंदु:
• UNFCCC, Paris Agreement, COP सम्मेलनों की विशेषताएं।
• पंचामृत लक्ष्य और Net Zero की घोषणा।
• CBD COP-15 और 30×30 लक्ष्य।
• ISA, CDRI, IBCA और GBA जैसी भारत की पहलें।
• Global Stocktake और Loss & Damage Fund का महत्व।
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