अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की जलवायु परिवर्तन और परमाणु ऊर्जा पर रिपोर्ट
हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने अपनी 2024 की रिपोर्ट जारी की, जिसमें परमाणु ऊर्जा को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक प्रभावी और स्वच्छ ऊर्जा स्रोत के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह रिपोर्ट ऊर्जा नीति, पर्यावरणीय स्थिरता, और जलवायु परिवर्तन से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों के संदर्भ में अत्यंत प्रासंगिक है।
IAEA और इसका उद्देश्य
IAEA (International Atomic Energy Agency), जिसे 1957 में स्थापित किया गया था, एक स्वायत्त अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण और सुरक्षित उपयोग को बढ़ावा देता है।
- मुख्यालय: वियना, ऑस्ट्रिया
- उद्देश्य:
- परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को सुनिश्चित करना।
- परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकना।
- सदस्य देशों को परमाणु प्रौद्योगिकी और अनुसंधान में सहायता प्रदान करना।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
1. जलवायु परिवर्तन के खिलाफ परमाणु ऊर्जा का योगदान
- स्वच्छ ऊर्जा स्रोत:
परमाणु ऊर्जा “कार्बन-न्यूट्रल” (Carbon Neutral) है, यानी इसके उत्पादन में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन न्यूनतम है। यह जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए महत्वपूर्ण है। - ऊर्जा का स्थिर और सस्ती आपूर्ति:
परमाणु ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा (जैसे सौर और पवन ऊर्जा) की तुलना में स्थिर ऊर्जा प्रदान करती है, क्योंकि यह मौसम पर निर्भर नहीं करती। - ऊर्जा मिश्रण में परमाणु की भूमिका:
कई देशों ने अपने ऊर्जा मिश्रण में परमाणु ऊर्जा को बढ़ावा देना शुरू किया है ताकि जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम हो सके।
2. परमाणु ऊर्जा के फायदे और चुनौतियां
- फायदे:
- CO₂ उत्सर्जन में कमी।
- उच्च ऊर्जा उत्पादन क्षमता।
- बेसलोड पावर स्रोत: लगातार और बड़ी मात्रा में बिजली की आपूर्ति।
- भविष्य की तकनीकों, जैसे स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMRs), के माध्यम से अधिक सुरक्षित और किफायती विकल्प।
- चुनौतियां:
- परमाणु कचरा: रेडियोधर्मी अपशिष्ट को नष्ट करना कठिन है और यह पर्यावरण के लिए खतरनाक है।
- सुरक्षा और जोखिम: परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में दुर्घटनाओं का खतरा (जैसे, फुकुशिमा, चेर्नोबिल) मौजूद है।
- उच्च लागत: परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना और संचालन बहुत महंगा है।
- परमाणु हथियारों का प्रसार: परमाणु तकनीक का दुरुपयोग हथियारों के निर्माण के लिए किया जा सकता है।
3. भविष्य की नीतियों पर सिफारिशें
IAEA ने देशों को निम्नलिखित सिफारिशें दी हैं:
- परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए नई तकनीकों का विकास।
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा और परमाणु ऊर्जा का संयोजन।
- ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु लक्ष्यों को संतुलित करने के लिए दीर्घकालिक नीतियां।
- परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार।
परमाणु ऊर्जा और भारत
भारत की स्थिति:
- भारत ने अपने ऊर्जा मिश्रण में परमाणु ऊर्जा को प्राथमिकता दी है।
- वर्तमान में, भारत में 22 परमाणु रिएक्टर हैं, जो लगभग 6,780 मेगावाट बिजली का उत्पादन करते हैं।
- 2032 तक परमाणु ऊर्जा उत्पादन को 63,000 मेगावाट तक बढ़ाने का लक्ष्य है।
परमाणु ऊर्जा में भारत की पहल:
- थोरियम आधारित रिएक्टर:
भारत, थोरियम (Thorium) आधारित परमाणु ऊर्जा प्रौद्योगिकी विकसित कर रहा है, क्योंकि इसके पास दुनिया में थोरियम का सबसे बड़ा भंडार है। - काइगा परमाणु संयंत्र:
यह भारत का प्रमुख संयंत्र है, जिसने लंबे समय तक सुरक्षित संचालन का रिकॉर्ड बनाया है। - भारत का सहयोग:
- IAEA के साथ सक्रिय सहयोग।
- यूरेनियम आपूर्ति के लिए ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों के साथ समझौते।
चुनौतियां:
- परमाणु संयंत्रों की स्थापना में भूमि अधिग्रहण और स्थानीय विरोध।
- तकनीकी कौशल की कमी और वित्तीय बाधाएं।
UPSC के लिए प्रासंगिकता
सामान्य अध्ययन – III (पर्यावरण, ऊर्जा, और प्रौद्योगिकी):
- ऊर्जा नीति और टिकाऊ विकास।
- भारत में स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन।
- पर्यावरण संरक्षण और ग्रीनहाउस गैसों को कम करने के उपाय।
निबंध और इंटरव्यू:
- परमाणु ऊर्जा: पर्यावरणीय संकट का समाधान या खतरा?
- ऊर्जा सुरक्षा और स्वच्छ ऊर्जा का महत्व।
Leave a Reply