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एकीकृत ESG फ्रेमवर्क की ओर भारत का रुख –

परिचय

पर्यावरण, सामाजिक और शासन (Environmental, Social, and Governance या ESG) कारकों का महत्व वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ रहा है। यह फ्रेमवर्क कंपनियों और सरकारों को यह सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित करता है कि उनके संचालन से न केवल आर्थिक विकास हो, बल्कि पर्यावरणीय और सामाजिक लाभ भी हों। भारत, एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था और वैश्विक मंच पर एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में, अब ESG सिद्धांतों को अपनाने और एक एकीकृत फ्रेमवर्क विकसित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है।


ESG का महत्व और वैश्विक परिप्रेक्ष्य

ESG फ्रेमवर्क का उद्देश्य न केवल पर्यावरण और समाज की रक्षा करना है, बल्कि कंपनियों की दीर्घकालिक स्थिरता और निवेशकों के विश्वास को भी बढ़ावा देना है। वैश्विक स्तर पर, कंपनियों और निवेशकों ने महसूस किया है कि ESG मानकों का पालन न केवल नैतिक है, बल्कि यह एक बेहतर व्यावसायिक रणनीति भी है।

यूरोपीय संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य विकसित अर्थव्यवस्थाओं में ESG फ्रेमवर्क को लागू करने के लिए सख्त नियम बनाए गए हैं। उदाहरण के लिए, यूरोपीय संघ का “ग्रीन डील” और “नॉन-फाइनेंशियल रिपोर्टिंग डायरेक्टिव” कंपनियों को अपने ESG प्रदर्शन की रिपोर्ट करने के लिए बाध्य करता है।


भारत में ESG फ्रेमवर्क का महत्व

भारत जैसे विकासशील देश के लिए ESG फ्रेमवर्क का महत्व और भी अधिक है। भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इसके साथ-साथ पर्यावरणीय और सामाजिक चुनौतियां भी बढ़ रही हैं। जलवायु परिवर्तन, वायु और जल प्रदूषण, असमानता, और श्रमिक अधिकार जैसे मुद्दे भारत के सामने प्रमुख चुनौतियां हैं।

  1. पर्यावरणीय चुनौतियां: भारत में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव अत्यधिक स्पष्ट है। बढ़ते तापमान, अनियमित मानसून और प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ते खतरे ने पर्यावरणीय स्थिरता की आवश्यकता को बढ़ा दिया है।
  2. सामाजिक पहलू: असमानता, गरीबी, और श्रमिकों के अधिकारों का हनन भारतीय समाज के लिए प्रमुख मुद्दे हैं। ESG फ्रेमवर्क इन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है।
  3. शासन और पारदर्शिता: अच्छे शासन के बिना किसी भी देश या कंपनी का दीर्घकालिक विकास असंभव है। पारदर्शिता और उत्तरदायित्व ESG का मुख्य भाग हैं।

भारत में ESG के लिए नीति और प्रयास

भारतीय सरकार और विभिन्न नियामक संस्थानों ने ESG को अपनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख प्रयास हैं:

  1. SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड):
    • SEBI ने वर्ष 2021 में “बिजनेस रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड सस्टेनेबिलिटी रिपोर्टिंग (BRSR)” को अनिवार्य किया। यह कंपनियों को उनके ESG प्रदर्शन की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
  2. CSR (कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व):
    • भारत दुनिया का पहला ऐसा देश है जिसने CSR गतिविधियों को अनिवार्य बनाया। कंपनियों को अपने मुनाफे का 2% सामाजिक कल्याण के लिए खर्च करना होता है।
  3. राष्ट्रीय कार्य योजना (NAP):
    • सरकार ने सतत विकास के लक्ष्यों (SDGs) को अपनाने के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना बनाई है, जो ESG के तीनों आयामों को कवर करती है।
  4. सतत विकास लक्ष्य (SDGs):
    • ESG फ्रेमवर्क का भारत के SDG लक्ष्यों के साथ घनिष्ठ संबंध है। जलवायु कार्रवाई (SDG-13), लैंगिक समानता (SDG-5), और स्वच्छ ऊर्जा (SDG-7) जैसे लक्ष्यों को प्राप्त करने में ESG महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

भारतीय कंपनियों का ESG की ओर झुकाव

पिछले कुछ वर्षों में, भारतीय कंपनियों ने ESG फ्रेमवर्क को अपनाने में सक्रिय रुचि दिखाई है। कुछ प्रमुख उदाहरण:

  1. टाटा समूह: टाटा समूह ने अपने संचालन में ESG कारकों को शामिल किया है और सतत विकास पर जोर दिया है।
  2. महिंद्रा एंड महिंद्रा: महिंद्रा समूह ने कार्बन न्यूट्रल बनने की दिशा में कदम उठाए हैं और अपने ESG लक्ष्यों को सार्वजनिक रूप से साझा किया है।
  3. आईटीसी लिमिटेड: आईटीसी ने अपने व्यवसाय मॉडल को पर्यावरण और समाज के अनुकूल बनाने के लिए कई पहल की हैं।

चुनौतियां और समाधान

हालांकि ESG फ्रेमवर्क को अपनाने की दिशा में प्रगति हो रही है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियां भी हैं:

  1. जागरूकता की कमी:
    • अधिकांश भारतीय कंपनियां अभी भी ESG के महत्व और लाभों से अनभिज्ञ हैं।
    • समाधान: व्यापक जागरूकता अभियानों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन।
  2. विनियमों का अभाव:
    • ESG के लिए कोई स्पष्ट और एकीकृत राष्ट्रीय फ्रेमवर्क नहीं है।
    • समाधान: एक केंद्रीकृत नीति और मानकों का विकास।
  3. डेटा की पारदर्शिता:
    • कंपनियों के ESG प्रदर्शन का डेटा अक्सर पारदर्शी नहीं होता।
    • समाधान: डेटा रिपोर्टिंग के लिए सख्त नियम और तकनीकी समाधान।
  4. लघु और मध्यम उद्योगों (SMEs) की भागीदारी:
    • SMEs के पास ESG को अपनाने के लिए संसाधन सीमित होते हैं।
    • समाधान: वित्तीय सहायता और सरल प्रक्रियाएं।

भविष्य की दिशा

भारत के लिए एक एकीकृत ESG फ्रेमवर्क विकसित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। सरकार, निजी क्षेत्र, और नागरिक समाज को मिलकर काम करना होगा।

  1. नीति निर्माण:
    • ESG के लिए एक समग्र और एकीकृत नीति की आवश्यकता है।
  2. निजी क्षेत्र की भागीदारी:
    • निजी कंपनियों को ESG निवेश और अनुसंधान में अधिक निवेश करना चाहिए।
  3. तकनीकी नवाचार:
    • ESG डेटा संग्रहण और विश्लेषण के लिए आधुनिक तकनीक जैसे AI और Blockchain का उपयोग।
  4. शिक्षा और जागरूकता:
    • ESG के महत्व को समझाने के लिए शैक्षणिक और जागरूकता कार्यक्रम।

निष्कर्ष

भारत में ESG फ्रेमवर्क को अपनाने की दिशा में किए जा रहे प्रयास सराहनीय हैं। हालांकि, इस दिशा में अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है। एक एकीकृत ESG फ्रेमवर्क न केवल भारत के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा, बल्कि देश को वैश्विक मंच पर एक स्थिर और जिम्मेदार अर्थव्यवस्था के रूप में भी स्थापित करेगा।

ESG सिद्धांतों को अपनाना न केवल एक नैतिक आवश्यकता है, बल्कि यह भारत की आर्थिक और सामाजिक प्रगति के लिए एक रणनीतिक कदम भी है।


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