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भारत की विदेश नीति | INDIA’S FOREIGN POLICY – Current Event

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चर्चा में क्यों

जून में मोदी के तीसरी बार शपथ ग्रहण के बाद, वर्ष 2024 विदेशी यात्राओं और बैठकों से भरपूर रहा। यह वर्ष वैश्विक अस्थिरता और पड़ोस में विशेष रूप से बांग्लादेश में झटकों से भरा रहा।

पृष्ठभूमि:

जैसा कि 2025 और भी अधिक अनिश्चित लग रहा है, भारतीय विदेश नीति की सबसे बड़ी चुनौती परिवर्तन के लिए तैयार रहना है।

2024 में भारत के बाहरी संबंधों की मुख्य बातें:

  1. चीन के साथ वार्ता:
    • सबसे कठिन वार्ता वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर विघटन के लिए पूरी की गई।
    • 2020 से चीनी अतिक्रमण के कारण टूटे संबंधों को बहाल करना एक दीर्घकालिक कार्य है।
    • रूस में BRICS शिखर सम्मेलन के दौरान कज़ान में पांच वर्षों में पहली औपचारिक मोदी-शी जिनपिंग बैठक एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।
  2. यूरोप के साथ व्यापार समझौता:
    • वर्ष की शुरुआत में, भारत-यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) समझौते का समापन हुआ, जो यूरोप के साथ भारत का पहला समझौता था।
    • हालांकि, ऑस्ट्रेलिया, यू.के., और यूरोपीय संघ के साथ अन्य मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) में कोई प्रगति नहीं हुई।
  3. बांग्लादेश के साथ संबंधों में झटका:
    • शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद बांग्लादेश एक मित्रवत पड़ोसी से अलग-थलग पड़ गया।
    • हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों में तीव्र वृद्धि पर भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने बार-बार चिंता जताई।
    • शेख हसीना का भारत में रहना संबंधों में सबसे बड़ी बाधा बन गया।
  4. कनाडा के साथ तनाव:
    • कनाडा ने भारतीय अधिकारियों पर निज्जर हत्या के आदेश देने के आरोप लगाए और गृहमंत्री अमित शाह का नाम साजिश में जोड़ा, जिससे संबंध और बिगड़ गए।
  5. अमेरिका के साथ नई चुनौतियाँ:
    • अमेरिकी न्याय विभाग ने अदानी समूह पर आरोप और एक भारतीय अधिकारी पर कथित पन्नुन हत्या की साजिश के लिए नया अभियोग दायर किया।
    • बांग्लादेश में बदलाव और चीन की नेपाल व अन्य पड़ोसियों में घुसपैठ पर अमेरिका की भूमिका चुनौती बनी हुई है।
    • हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति चुने जाने और उनके प्रो-इंडिया टीम चयन ने भारत को राहत दी।

वैश्विक संघर्षों में भारतीय विदेश नीति का रुख:

  1. शांति का पक्ष:
    • रूस-यूक्रेन संघर्ष और गाजा में इज़राइल के युद्ध में, भारत ने लगातार खुद को “शांति के पक्ष” में रखा।
    • नई दिल्ली ने बार-बार नागरिक हताहतों को रोकने का आह्वान किया, लेकिन संयुक्त राष्ट्र में उन प्रस्तावों पर अपनी स्थिति बनाए रखी, जो गाजा में हत्याओं के लिए इज़राइल को जवाबदेह ठहराने की मांग करते थे।
  2. द्विपक्षीय वार्ता:
    • IMEC (इंडिया-मिडिल ईस्ट यूरोप-इकोनॉमिक कॉरिडोर) और I2U2 (इंडिया, इज़राइल, UAE, और US) जैसे बहुपक्षीय पहल संकट में होने के कारण, भारत ने पश्चिम एशियाई देशों के साथ द्विपक्षीय वार्ता पर ध्यान केंद्रित किया।

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