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राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए भारत की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर 6.4% होने का अनुमान दिया है। यह पिछले चार वर्षों में सबसे कम है। इसके पीछे घरेलू और वैश्विक कारणों का प्रभाव है।
प्रमुख आंकड़े और तथ्य:
विवरण
आंकड़ा
पिछला वर्ष (2023-24)
जीडीपी वृद्धि दर
6.4%
7.2%
कृषि क्षेत्र वृद्धि दर
3.5%
3.9%
औद्योगिक क्षेत्र वृद्धि दर
5.2%
5.8%
सेवा क्षेत्र वृद्धि दर
7.3%
9.1%
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI)
5.4% (औसत)
5.8%
गिरावट के कारण:
1. घरेलू कारण
मुद्रास्फीति:
आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि।
मध्यम वर्ग और ग्रामीण क्षेत्रों की क्रय शक्ति में कमी।
ब्याज दरों में वृद्धि:
आरबीआई ने रेपो दर को बढ़ाकर 6.5% किया, जिससे निवेश और खपत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
रोजगार में कमी:
औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों में रोजगार सृजन धीमा।
2. वैश्विक कारण
वैश्विक आर्थिक मंदी:
अमेरिका, यूरोप और चीन की धीमी आर्थिक प्रगति ने भारतीय निर्यात को प्रभावित किया।
यूक्रेन-रूस संघर्ष:
ऊर्जा की कीमतों में अस्थिरता और आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान।
विनिमय दर:
भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर हुआ, जिससे आयात महंगा हो गया।
आर्थिक मंदी के प्रमुख संकेतक
संकेतक
2024-25
2023-24
प्रभाव
जीडीपी वृद्धि दर
6.4%
7.2%
चार वर्षों में सबसे कम। आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती।
कृषि वृद्धि दर
3.5%
3.9%
जलवायु परिवर्तन और असमान मानसून का प्रभाव।
औद्योगिक वृद्धि दर
5.2%
5.8%
निर्माण और मैन्युफैक्चरिंग में गिरावट।
सेवा क्षेत्र वृद्धि दर
7.3%
9.1%
वित्तीय और आईटी सेवाओं में सुस्ती।
महंगाई दर (CPI)
5.4%
5.8%
उपभोक्ता खर्च में गिरावट।
क्षेत्रीय योगदान और विश्लेषण
क्षेत्र
वृद्धि दर (2024-25)
मुख्य कारण
कृषि
3.5%
असमान वर्षा, जलवायु परिवर्तन और कम उत्पादकता।
उद्योग
5.2%
मैन्युफैक्चरिंग और निर्माण में गिरावट।
सेवा
7.3%
यात्रा और पर्यटन में वृद्धि, लेकिन वित्तीय सेवाओं में सुस्ती।
सकारात्मक पहलू:
सरकारी निवेश:
₹10 लाख करोड़ से अधिक का बुनियादी ढांचे में निवेश।
डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के तहत नई योजनाएँ।
विदेशी निवेश:
वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने $75 बिलियन का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आकर्षित किया।
सेवा क्षेत्र और स्टार्टअप्स में बढ़ती रुचि।
हरित ऊर्जा:
सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं में तेजी।
संभावित प्रभाव:
क्षेत्र
प्रभाव
उपभोक्ता
उच्च मुद्रास्फीति के कारण घरेलू बजट पर दबाव।
व्यवसाय
उच्च ब्याज दरों के कारण कर्ज महंगा, निवेश धीमा।
सरकार
राजकोषीय घाटा नियंत्रण करना चुनौतीपूर्ण।
रोजगार
सेवा क्षेत्र में कुछ सुधार, लेकिन समग्र रोजगार वृद्धि धीमी।
आगे की राह:
1. संरचनात्मक सुधार
मैन्युफैक्चरिंग और MSME सेक्टर को प्रोत्साहन।
कौशल विकास कार्यक्रमों का विस्तार।
2. कृषि सुधार
जलवायु अनुकूल कृषि पद्धतियों को अपनाना।
किसानों को सस्ती वित्तीय सहायता।
3. वैश्विक व्यापार
निर्यात बाजार का विविधीकरण।
ऊर्जा और आपूर्ति श्रृंखला की स्थिरता सुनिश्चित करना।
4. सरकारी नीतियाँ
बुनियादी ढाँचे और डिजिटल अर्थव्यवस्था में अधिक निवेश।
रोजगार बढ़ाने वाली योजनाओं का कार्यान्वयन।
निष्कर्ष:
भारत की 2024-25 की जीडीपी वृद्धि दर में गिरावट अल्पकालिक चुनौतियों का परिणाम है। हालांकि, मजबूत नीतियों और निवेश योजनाओं से अर्थव्यवस्था में सुधार की संभावनाएँ प्रबल हैं। भारत को घरेलू सुधारों और वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना होगा।
गौरतलब है कि भारत की दीर्घकालिक आर्थिक क्षमता अभी भी मजबूत बनी हुई है, और सही दिशा में कदम उठाने से यह गति वापस प्राप्त कर सकता है।
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