इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEEC): वैश्विक व्यापार में भारत की रणनीतिक भूमिका
India-Middle East-Europe Economic Corridor (IMEEC)
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत और इटली ने इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEEC) पर मिलकर कार्य करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। यह वैश्विक स्तर पर भारत की भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक स्थिति को मजबूत करने वाला एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना है।

IMEEC क्या है?
India-Middle East-Europe Economic Corridor (IMEEC) एक बहु-राष्ट्रीय विकासशील आर्थिक गलियारा है, जिसका उद्देश्य भारत, खाड़ी देशों (विशेष रूप से यूएई और सऊदी अरब) तथा यूरोप के बीच व्यापार, परिवहन और डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना है।
IMEEC की प्रमुख विशेषताएँ:
घटक | विवरण |
---|---|
रेल और बंदरगाह कनेक्टिविटी | पश्चिमी भारत से शुरू होकर मिडिल ईस्ट और फिर यूरोप तक माल की तेज़ आवाजाही |
डिजिटल कनेक्टिविटी | उच्च गति की डेटा केबल लिंक की योजना |
ऊर्जा ट्रांज़मिशन | हरित ऊर्जा (ग्रीन हाइड्रोजन) का निर्यात |
लॉजिस्टिक कुशलता | पारंपरिक मार्ग की तुलना में तेज़ और अधिक किफायती |
IMEEC का मार्ग: (Note)
भारत (मुंबई) → UAE (जबल अली, अबू धाबी) → सऊदी अरब → जॉर्डन → इस्राइल (हैफा) → यूरोप (ग्रीस/इटली/जर्मनी)
प्रमुख साझेदार देश:
• भारत
• संयुक्त अरब अमीरात (UAE)
• सऊदी अरब
• जॉर्डन
• इस्राइल
• यूरोपीय देश (विशेषकर ग्रीस और इटली)
• अमेरिका (रणनीतिक समर्थन के रूप में)
IMEEC की आवश्यकता क्यों?
• चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का विकल्प तैयार करना
• भारत की एक्ट वेस्ट पॉलिसी को सशक्त बनाना
• यूरोप के साथ व्यापार बढ़ाना
• मध्य एशिया और खाड़ी देशों में रणनीतिक उपस्थिति
• विश्व आपूर्ति शृंखला (Supply Chain) को मजबूत करना
भारत के लिए लाभ:
क्षेत्र | लाभ |
---|---|
भू-आर्थिक | भारत को वैश्विक व्यापार में निर्णायक भूमिका |
रणनीतिक | चीन के BRI का जवाब और भारत की सॉफ्ट पावर में वृद्धि |
बुनियादी ढांचा | रेल, बंदरगाह और डिजिटल नेटवर्क का विकास |
रोजगार | घरेलू निर्माण और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में वृद्धि |
चीन के BRI और IMEEC में अंतर: (Table)
तत्व | BRI (चीन) | IMEEC (भारत + सहयोगी) |
---|---|---|
नेतृत्व | चीन द्वारा संचालित | बहुपक्षीय सहयोग |
उद्देश्य | चीन का वर्चस्व | सहयोग आधारित वैश्विक कनेक्टिविटी |
पारदर्शिता | कम | अधिक पारदर्शी और वैध प्रक्रियाएँ |
आलोचना | ऋण-जाल कूटनीति | सहभागिता और संतुलन पर बल |
चुनौतियाँ:
• राजनीतिक अस्थिरता (मिडिल ईस्ट में)
• परियोजना की भारी लागत और समयबद्धता
• समुद्री सुरक्षा और साइबर सुरक्षा खतरे
• सहभागियों के बीच समन्वय
UPSC परीक्षा प्रासंगिक बिंदु:
• IMEEC बनाम BRI
• भारत की विदेशी व्यापार नीति
• वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भूमिका
• भारत-यूरोप, भारत-मिडिल ईस्ट संबंध
• बहुपक्षीय सहयोग और वैश्विक रणनीति
निष्कर्ष:
IMEEC भारत की वैश्विक शक्ति बनने की महत्वाकांक्षा को दर्शाने वाला एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है। इससे न केवल भारत की अर्थव्यवस्था और रणनीतिक पहुंच को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह वैश्विक व्यापार के लिए भी एक विश्वसनीय और वैकल्पिक मार्ग के रूप में उभर सकता है।
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