चर्चा में क्यों
चक्रवात डिकेलेडी ने हाल ही में हिंद महासागर में स्थित मायोट द्वीप पर प्रभाव डाला है। यह चक्रवात अपने साथ तेज़ हवाओं और भारी बारिश लेकर आया, जिससे स्थानीय बुनियादी ढांचे और जनजीवन पर असर पड़ा। मायोट, जो कि एक फ्रांसीसी क्षेत्र है, पहले से ही संवेदनशील पर्यावरणीय और आर्थिक परिस्थितियों का सामना कर रहा है।

चक्रवात डिकेलेडी और UPSC के लिए प्रासंगिक जानकारी
चक्रवात डिकेलेडी जैसे प्राकृतिक आपदाओं का अध्ययन UPSC की तैयारी में बेहद महत्वपूर्ण है। यह विषय भूगोल, पर्यावरण और आपदा प्रबंधन से जुड़ा हुआ है। यहां कुछ मुख्य बिंदु दिए गए हैं, जो UPSC परीक्षा के लिए उपयोगी हो सकते हैं:
चक्रवात डिकेलेडी का संदर्भ
- स्थिति:
- यह चक्रवात हिंद महासागर के मोज़ाम्बिक चैनल में बना और फ्रांसीसी द्वीप मायोट पर प्रभाव डाला।
- मायोट, हिंद महासागर के उत्तरी भाग में स्थित है और यह अफ्रीका के मोज़ाम्बिक और मेडागास्कर के पास है।
- प्रभाव:
- तेज़ हवाओं और भारी बारिश से बाढ़ और भूस्खलन जैसी समस्याएं उत्पन्न हुईं।
- स्थानीय बुनियादी ढांचे और परिवहन सेवाओं को नुकसान।
- जनजीवन और अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव।
भूगोल के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बिंदु
- चक्रवातों का निर्माण:
- चक्रवात आमतौर पर गर्म समुद्री सतह के ऊपर निम्न वायुदाब क्षेत्रों में बनते हैं।
- मोज़ाम्बिक चैनल गर्म समुद्र के पानी और विशिष्ट वायुमंडलीय परिस्थितियों के कारण चक्रवातों के लिए अनुकूल क्षेत्र है।
- प्रकार:
- डिकेलेडी एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात है।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात आमतौर पर भूमध्य रेखा के पास बनते हैं और पृथ्वी के घूर्णन के कारण घड़ी के विपरीत दिशा में घूमते हैं।
- मायोट का भूगोल:
- मायोट एक द्वीपसमूह है, जो हिंद महासागर में स्थित है और फ्रांसीसी क्षेत्र के तहत आता है।
- यह द्वीपसमूह चक्रवातों और समुद्र स्तर में वृद्धि के प्रति संवेदनशील है।
आपदा प्रबंधन के दृष्टिकोण से
- जोखिम मूल्यांकन:
- द्वीप क्षेत्रों को चक्रवातों, बाढ़ और तटीय क्षरण से होने वाले खतरों का सामना करना पड़ता है।
- उचित पूर्वानुमान प्रणाली और अलर्ट तंत्र की आवश्यकता।
- राहत और पुनर्वास:
- चक्रवात डिकेलेडी से सीख लेकर प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य तेज़ी से शुरू किए गए।
- प्रभाव को कम करने के लिए बाढ़ नियंत्रण और पुनर्वास योजनाओं पर ध्यान।
- भारत से तुलना:
- भारत भी बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में चक्रवातों का सामना करता है।
- भारत का चक्रवात पूर्व चेतावनी तंत्र (IMD) और आपदा प्रबंधन (NDMA) वैश्विक स्तर पर प्रभावी माने जाते हैं।
प्रभावित क्षेत्र: मायोट
- भौगोलिक और सामाजिक स्थिति:
- मायोट फ्रांसीसी प्रशासन के अंतर्गत आता है, लेकिन यह यूरोपीय संघ का सबसे गरीब क्षेत्र माना जाता है।
- आर्थिक विकास और बुनियादी ढांचे की कमी के कारण चक्रवात जैसे खतरों से निपटना मुश्किल हो जाता है।
- जलवायु परिवर्तन का प्रभाव:
- जलवायु परिवर्तन के कारण उष्णकटिबंधीय चक्रवात अधिक तीव्र हो रहे हैं।
- समुद्र के तापमान में वृद्धि और समुद्र स्तर में बढ़ोतरी से द्वीप क्षेत्रों की संवेदनशीलता बढ़ रही है।
UPSC के लिए प्रासंगिक प्रश्न
- भूगोल (GS Paper I):
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात कैसे बनते हैं और उनकी विशेषताएं क्या हैं?
- मायोट का भूगोल और चक्रवातों के प्रति इसकी संवेदनशीलता का विश्लेषण करें।
- पर्यावरण (GS Paper III):
- जलवायु परिवर्तन का उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की तीव्रता और आवृत्ति पर प्रभाव।
- छोटे द्वीप राष्ट्र और जलवायु परिवर्तन के खतरों पर चर्चा करें।
- आपदा प्रबंधन (GS Paper III):
- चक्रवात प्रबंधन के लिए भारत में उठाए गए कदमों की समीक्षा करें।
- द्वीप क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन की रणनीतियां क्या होनी चाहिए?
निष्कर्ष
चक्रवात डिकेलेडी का अध्ययन केवल भौगोलिक घटना के रूप में ही नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन और द्वीप क्षेत्रों की संवेदनशीलता के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
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