चर्चा में क्यों?
• हाल ही में केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और गोवा सहित भारत के कई तटीय राज्यों में लाइट फिशिंग (Light Fishing) के बढ़ते उपयोग के कारण स्थानीय मछुआरे विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
• मछुआरे लाइट फिशिंग पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि यह समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र (Marine Ecosystem) को नुकसान पहुंचा रही है और स्थानीय मछुआरों के जीवनयापन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है।
लाइट फिशिंग क्या है?
• लाइट फिशिंग एक गैर-पारंपरिक मछली पकड़ने की तकनीक है, जिसमें शक्तिशाली कृत्रिम रोशनी (High-intensity Artificial Lights) का उपयोग समुद्र में मछलियों को आकर्षित करने के लिए किया जाता है।
• रोशनी से छोटी मछलियाँ और प्लवक (Plankton) आकर्षित होते हैं, जिससे बड़ी मछलियाँ भी उस क्षेत्र में एकत्र हो जाती हैं और आसानी से जाल में फंस जाती हैं।
• आमतौर पर LED और हाई-इंटेंसिटी मेटल-हेलाइड लाइट्स का उपयोग किया जाता है, जिससे मछलियों की पूरी आबादी प्रभावित होती है।
भारत में लाइट फिशिंग पर प्रतिबंध और नियम
• भारतीय मत्स्य पालन अधिनियम, 1897 (Indian Fisheries Act, 1897) में संवेदनशील मछली पकड़ने की विधियों पर नियंत्रण के प्रावधान हैं।
• राष्ट्रीय समुद्री मत्स्य नीति (National Marine Fisheries Policy, 2017) के तहत अनैतिक और अवैज्ञानिक मत्स्यन (Illegal, Unreported, and Unregulated Fishing – IUU Fishing) पर रोक लगाने की बात कही गई है।
• गोवा, महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल ने अपने जलक्षेत्र में लाइट फिशिंग पर आंशिक या पूर्ण प्रतिबंध लगाया है।
• तमिलनाडु में अभी तक कोई स्पष्ट प्रतिबंध नहीं है, जिससे विवाद बढ़ रहा है।
लाइट फिशिंग से जुड़ी समस्याएँ और खतरे
• समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान – लाइट फिशिंग से प्लवक (Plankton) और छोटी मछलियों की संख्या तेजी से घटती है, जिससे समुद्री खाद्य श्रृंखला (Food Chain) असंतुलित हो जाती है।
• स्थानीय मछुआरों के लिए खतरा – बड़े ट्रॉलर्स अत्यधिक मात्रा में मछली पकड़कर स्थानीय मछुआरों के लिए संकट पैदा कर रहे हैं।
• ओवरफिशिंग (Overfishing) का खतरा – मछलियों का अनुचित दोहन होता है, जिससे कई प्रजातियाँ विलुप्ति के कगार पर आ सकती हैं।
• अवैध मत्स्यन (Illegal Fishing) – कई मछली पकड़ने वाले जहाज अंतर्राष्ट्रीय जलक्षेत्रों में लाइट फिशिंग करते हैं, जिससे सीमा विवाद और समुद्री संघर्ष बढ़ सकते हैं।
लाइट फिशिंग को रोकने के लिए उठाए गए कदम
• राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (NFDB) समुद्री मत्स्यन को टिकाऊ (Sustainable) बनाने के लिए नियमों को सख्त कर रहा है।
• “ब्लू इकोनॉमी” (Blue Economy) नीति में टिकाऊ मत्स्य पालन (Sustainable Fisheries) को बढ़ावा देने की सिफारिश की गई है।
• कोस्ट गार्ड और मरीन पुलिस को मजबूत करने की जरूरत है ताकि अवैध मछली पकड़ने पर नियंत्रण किया जा सके।
निष्कर्ष
• लाइट फिशिंग एक गंभीर पर्यावरणीय और आर्थिक समस्या बन चुकी है, जो समुद्री जैव विविधता और स्थानीय मछुआरों के जीवनयापन को खतरे में डाल रही है।
• भारत सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर सख्त कानून बनाकर इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना चाहिए और टिकाऊ मत्स्यन को बढ़ावा देना चाहिए।
• स्थानीय समुदायों, वैज्ञानिक संस्थानों और प्रशासन के बीच बेहतर समन्वय से इस समस्या का प्रभावी समाधान निकाला जा सकता है।
यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु
• GS Paper 3 (पर्यावरण और जैव विविधता) – लाइट फिशिंग और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव।
• GS Paper 3 (अर्थव्यवस्था) – टिकाऊ मत्स्यन (Sustainable Fishing) और ब्लू इकोनॉमी।
• GS Paper 2 (नीतिगत सुधार और प्रशासन) – मछली पकड़ने के अवैध तरीकों पर कानूनी प्रतिबंध।
• राज्यों और केंद्र सरकार की भूमिका।
• स्थानीय समुदायों की समस्याएँ और समाधान।
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