ज्ञान अर्थव्यवस्था को जीडीपी के पूरक मीट्रिक के रूप में शामिल करने की योजना:
हालिया घटनाक्रम
सरकार ने 2021 में स्थगित किए गए एक विचार को पुनर्जीवित करते हुए, अब ज्ञान अर्थव्यवस्था (Knowledge Economy) को मापने के लिए एक नया मीट्रिक विकसित करने की योजना बनाई है। इसका उद्देश्य सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के साथ-साथ देश के बौद्धिक और नवाचार-आधारित विकास को ट्रैक करना है।
1. ज्ञान अर्थव्यवस्था क्या है?
ज्ञान अर्थव्यवस्था एक ऐसी प्रणाली को संदर्भित करती है जहां जानकारी, नवाचार, अनुसंधान और तकनीकी प्रगति आर्थिक विकास में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। यह मुख्य रूप से शिक्षा, अनुसंधान एवं विकास (R&D), डिजिटल तकनीक, स्टार्टअप्स, बौद्धिक संपदा (IP) और मानव पूंजी पर केंद्रित होती है।
2. परंपरागत GDP मीट्रिक की सीमाएँ
- जीडीपी मूल रूप से उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का मात्रात्मक मापन करता है, लेकिन यह ज्ञान, नवाचार और डिजिटल अर्थव्यवस्था के प्रभाव को पूरी तरह नहीं दर्शा पाता।
- आधुनिक अर्थव्यवस्था में सॉफ्टवेयर, डेटा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), और नवाचार-आधारित उद्योगों का योगदान बढ़ा है, जिसे पारंपरिक GDP मॉडल में प्रभावी ढंग से मापा नहीं जाता।
- इसलिए, सरकार एक पूरक मीट्रिक विकसित करना चाहती है जो ज्ञान और नवाचार से उत्पन्न आर्थिक मूल्य को परिभाषित कर सके।
3. नया मीट्रिक कैसे मदद करेगा?
- R&D और नवाचार में निवेश का मूल्यांकन करने में सहायता करेगा।
- डिजिटल अर्थव्यवस्था, स्टार्टअप्स, और उच्च-तकनीकी उद्योगों की सटीक आर्थिक भागीदारी को माप सकेगा।
- मानव पूंजी और कौशल विकास को अधिक समग्र रूप से आंका जाएगा।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और स्वचालन जैसी तकनीकों के आर्थिक प्रभाव को भी दर्शाएगा।
4. सरकार की रणनीति और संभावित चुनौतियाँ
- सरकार को इस मीट्रिक के लिए सटीक डेटा संग्रह प्रणाली विकसित करनी होगी, जिससे ज्ञान और नवाचार आधारित गतिविधियों को प्रभावी रूप से मापा जा सके।
- बौद्धिक संपदा, पेटेंट, डिजिटल सेवाओं और अनुसंधान विकास में निवेश के लिए एक मानक मापन प्रणाली तैयार करनी होगी।
- विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मॉडलों (OECD, WIPO, World Bank) का अध्ययन करके भारत के लिए उपयुक्त प्रारूप तैयार करना होगा।
- इस मीट्रिक को लागू करने में संभावित नीति चुनौतियाँ हो सकती हैं, जैसे कि डेटा पारदर्शिता, मानकीकरण और विभिन्न क्षेत्रों में इसे प्रभावी रूप से लागू करना।
5. अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण और भारत की संभावनाएँ
- कई विकसित देश पहले से ही GDP के साथ अन्य पूरक मीट्रिक्स जैसे ग्रोस नेशनल हैप्पीनेस (GNH), ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स (HDI) और नॉलेज इकोनॉमी इंडेक्स (KEI) को शामिल कर रहे हैं।
- भारत में तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था, स्टार्टअप इकोसिस्टम और तकनीकी नवाचारों को देखते हुए, यह मीट्रिक नीतिगत निर्णयों को और अधिक सटीक बनाने में मदद कर सकता है।
मुख्य बिंदु
- सकल घरेलू ज्ञान उत्पाद (जीडीकेपी) एक नवीन मीट्रिक है जिसे किसी देश की ज्ञान-आधारित परिसंपत्तियों और गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करके उसकी आर्थिक प्रगति का आकलन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- सकल घरेलू ज्ञान उत्पाद (जीडीकेपी) की अवधारणा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तरह एक मानक आर्थिक शब्द नहीं है, लेकिन इसे एक सैद्धांतिक या उभरते ढांचे के रूप में समझा जा सकता है जो किसी देश के भीतर ज्ञान-आधारित गतिविधियों, नवाचार और बौद्धिक पूंजी से उत्पन्न आर्थिक मूल्य को मापता है।
- फोकस: यह आधुनिक अर्थव्यवस्था में आर्थिक विकास के प्रमुख चालकों के रूप में ज्ञान, सूचना और रचनात्मकता की भूमिका पर जोर देता है।
- वर्तमान में, बौद्धिक संपदा उत्पादों (आईपीपी) पर सभी व्यय सकल स्थायी पूंजी निर्माण (जीएफसीएफ) के अंतर्गत दर्ज किए जाते हैं – जो अर्थव्यवस्था के लिए जीडीपी डेटासेट में पूंजी निवेश का संकेतक है।
- जीडीकेपी पर 2021 में पहले भी चर्चा हुई थी, जब नीति आयोग ने कॉन्सेप्ट नोट पर एक प्रेजेंटेशन दिया था। तब राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग ने बताया था कि कॉन्सेप्ट नोट में जीडीकेपी के डेटा को कैप्चर करने और गणना करने की कार्यप्रणाली नहीं बताई गई थी।
निष्कर्ष
ज्ञान अर्थव्यवस्था को मापने के लिए एक पूरक मीट्रिक विकसित करने की सरकार की योजना आधुनिक अर्थव्यवस्था की वास्तविकता को अधिक सटीक रूप से दर्शाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह GDP पर निर्भरता को संतुलित करेगा और भारत की नवाचार-आधारित आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने में सहायक होगा। हालाँकि, इस पहल की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि सरकार किस प्रकार से डेटा संग्रह, नीति क्रियान्वयन और क्षेत्रीय विविधताओं को ध्यान में रखते हुए इसे लागू करती है।
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