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जेंडर बजट 2025-26 ( Gender Budget 2025-26 )

जेंडर बजट 2025-26

परिचय

वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जेंडर बजट में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो कुल केंद्रीय बजट का 8.86% है। यह पिछले वर्ष की तुलना में 37.5% की वृद्धि को दर्शाता है।

GBS 2025-26 की मुख्य विशेषताएँ:

  • बजट में वृद्धि: वित्त वर्ष 2025-26 के लिए लैंगिक बजट 4.49 लाख करोड़ रुपये है, जो कुल केंद्रीय बजट का 8.86% है। यह पिछले वर्ष के 3.27 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 37.5% की वृद्धि को दर्शाता है।
  • मंत्रालयों की बढ़ती भागीदारी: इस वर्ष 49 मंत्रालयों/विभागों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों ने लैंगिक बजट में आवंटन की रिपोर्ट दी है, जो अब तक की सबसे अधिक संख्या है। पिछले वर्ष की तुलना में 12 नए मंत्रालयों/विभागों ने इस बार अपने आवंटन की जानकारी दी है।
  • शीर्ष 10 मंत्रालय/विभाग: जिन्होंने अपने आवंटन का 30% से अधिक लैंगिक बजट के लिए रिपोर्ट किया है:मंत्रालय/विभागआवंटन का प्रतिशतमहिला एवं बाल विकास मंत्रालय81.79%ग्रामीण विकास विभाग65.76%खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग50.92%स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग41.10%नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय40.89%सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग39.01%उच्च शिक्षा विभाग33.94%स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग33.67%गृह मंत्रालय33.47%पेयजल और स्वच्छता विभाग31.50%

भारत में जेंडर बजटिंग:

जेंडर बजटिंग एक नीतिगत दृष्टिकोण है, जिसके माध्यम से बजट प्रक्रिया में लैंगिक दृष्टिकोण को शामिल किया जाता है। इसका उद्देश्य महिलाओं और पुरुषों के बीच संसाधनों के वितरण में असमानताओं को पहचानना और उन्हें दूर करना है, ताकि लैंगिक समानता को बढ़ावा दिया जा सके।

भारत में जेंडर बजटिंग के समक्ष चुनौतियाँ:

  1. सीमित बजट आवंटन: जेंडर बजट कुल व्यय का 4-6% और सकल घरेलू उत्पाद का 1% से कम रहता है, जो सीमित वित्तीय गुंजाइश का संकेत देता है।
  2. मंत्रालयों में संकेंद्रण: जेंडर बजट का लगभग 90% पांच प्रमुख मंत्रालयों में केंद्रित है: ग्रामीण विकास, महिला और बाल विकास, कृषि, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, और शिक्षा, जिससे सीमित क्षेत्रीय विविधीकरण होता है।
  3. प्रभावी निगरानी की कमी: जेंडर बजटिंग के कार्यान्वयन की प्रभावी निगरानी और मूल्यांकन की कमी के कारण लक्षित परिणाम प्राप्त करने में बाधा आती है।
  4. जागरूकता की कमी: कई विभागों और अधिकारियों में जेंडर बजटिंग की अवधारणा और इसके महत्व के प्रति जागरूकता की कमी है, जिससे इसका प्रभाव सीमित होता है।

आगे की राह:

  1. बजट आवंटन में वृद्धि: जेंडर बजट के लिए आवंटन में वृद्धि की जानी चाहिए, ताकि महिलाओं के कल्याण और सशक्तिकरण के लिए अधिक संसाधन उपलब्ध हो सकें।
  2. विभागों की व्यापक भागीदारी: अधिक मंत्रालयों और विभागों को जेंडर बजटिंग प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि विभिन्न क्षेत्रों में लैंगिक समानता को बढ़ावा दिया जा सके।
  3. प्रभावी निगरानी और मूल्यांकन: जेंडर बजटिंग के कार्यान्वयन की प्रभावी निगरानी और मूल्यांकन के लिए एक मजबूत तंत्र विकसित किया जाना चाहिए, ताकि लक्षित परिणाम प्राप्त किए जा सकें।
  4. जागरूकता और क्षमता निर्माण: विभिन्न विभागों और अधिकारियों के बीच जेंडर बजटिंग के प्रति जागरूकता बढ़ाने और उनकी क्षमता निर्माण के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए।
  5. सिविल सोसाइटी की भागीदारी: जेंडर बजटिंग प्रक्रिया में सिविल सोसाइटी संगठनों की भागीदारी को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, ताकि जमीनी स्तर पर वास्तविक आवश्यकताओं की पहचान की जा सके।