समाचार में क्यों?
• हाल ही में फाइव आइज़ एलायंस (Five Eyes Alliance) के तीन सदस्य देशों के खुफिया प्रमुख और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नई दिल्ली में एकत्र हुए।
• वे रायसीना डायलॉग में भी भाग लेंगे, जो एक बहुपक्षीय सम्मेलन है और इसे ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) और भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जाता है।
• यह बैठक वैश्विक सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
फाइव आइज़ एलायंस क्या है?
✔ फाइव आइज़ (Five Eyes) एक खुफिया साझेदारी है जिसमें पांच देश शामिल हैं:
- संयुक्त राज्य अमेरिका (USA)
- ब्रिटेन (UK)
- कनाडा (Canada)
- ऑस्ट्रेलिया (Australia)
- न्यूज़ीलैंड (New Zealand)
✔ यह गठबंधन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बना और शीत युद्ध के दौरान और अधिक प्रभावशाली हुआ।
✔ इसका मुख्य उद्देश्य साइबर सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी अभियान, और वैश्विक निगरानी में सहयोग करना है।
✔ ये देश एक-दूसरे के साथ गुप्त खुफिया जानकारी साझा करते हैं, विशेष रूप से सिग्नल इंटेलिजेंस (SIGINT), जिसे इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और जासूसी कहा जाता है।
फाइव आइज़ एलायंस का कार्य कैसे करता है?
• इसका संचालन राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के माध्यम से किया जाता है:
- USA – National Security Agency (NSA)
- UK – Government Communications Headquarters (GCHQ)
- Canada – Communications Security Establishment (CSE)
- Australia – Australian Signals Directorate (ASD)
- New Zealand – Government Communications Security Bureau (GCSB)
• ये देश इलेक्ट्रॉनिक संचार, साइबर सुरक्षा, आतंकवाद और वैश्विक खतरों पर नजर रखते हैं।
• इस गठबंधन की विशेषता यह है कि इसमें सदस्य देश एक-दूसरे पर खुफिया निगरानी नहीं रखते।
भारत और फाइव आइज़ एलायंस
✔ भारत फाइव आइज़ एलायंस का औपचारिक सदस्य नहीं है, लेकिन भारत अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, और कनाडा के साथ रणनीतिक खुफिया साझेदारी बढ़ा रहा है।
✔ हाल के वर्षों में भारत और फाइव आइज़ के सदस्यों के बीच साइबर सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी अभियानों और रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ा है।
✔ भारत, जापान, फ्रांस, और जर्मनी जैसे देशों को “फाइव आइज़ प्लस” में शामिल करने पर चर्चा चल रही है।
रणनीतिक महत्व
क्षेत्र | महत्व |
---|---|
साइबर सुरक्षा | चीन और रूस जैसे देशों से साइबर खतरों के खिलाफ सहयोग बढ़ेगा। |
आतंकवाद विरोधी अभियान | आतंकवाद पर खुफिया जानकारी साझा करने में भारत को फायदा होगा। |
हिंद-प्रशांत रणनीति | भारत-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और नौसेना सहयोग मजबूत होगा। |
तकनीकी और डिजिटल निगरानी | वैश्विक स्तर पर डेटा सुरक्षा और साइबर अपराध रोकने में मदद मिलेगी। |
निष्कर्ष
• फाइव आइज़ एलायंस वैश्विक सुरक्षा और खुफिया जानकारी साझा करने का एक मजबूत नेटवर्क है।
• भारत इस गठबंधन का औपचारिक सदस्य न होते हुए भी इसके साथ घनिष्ठ संबंध बना रहा है।
• रायसीना डायलॉग में फाइव आइज़ के देशों की भागीदारी से भारत की वैश्विक सुरक्षा और रणनीतिक सहयोग में भूमिका और बढ़ेगी।
यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु
GS Paper 2 (अंतरराष्ट्रीय संबंध)
• फाइव आइज़ एलायंस और भारत।
• वैश्विक खुफिया और सुरक्षा सहयोग।
• बहुपक्षीय सुरक्षा साझेदारियाँ।
GS Paper 3 (आंतरिक सुरक्षा और साइबर सुरक्षा)
• भारत की साइबर सुरक्षा रणनीति।
• आतंकवाद और साइबर अपराध के खिलाफ वैश्विक सहयोग।
• भारत-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और निगरानी तंत्र।
Leave a Reply