Establishment of Green Hydrogen Hub in Visakhapatnam ( विशाखापत्तनम में ग्रीन हाइड्रोजन हब की स्थापना ) UPSC PRELIMS BASED CURRENT AFFAIRS
चर्चा में क्यों
हाल ही में, आंध्र प्रदेश सरकार ने विशाखापत्तनम में एक ग्रीन हाइड्रोजन हब स्थापित करने की घोषणा की है। यह पहल भारत की स्वच्छ ऊर्जा (Clean Energy) की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम है और देश के ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति ला सकती है। आइए इसे विभिन्न दृष्टिकोणों से विस्तार से समझते हैं:
1. ग्रीन हाइड्रोजन क्या है?
- परिभाषा:
ग्रीन हाइड्रोजन उस हाइड्रोजन को कहते हैं जो नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (जैसे सौर या पवन ऊर्जा) की मदद से पानी (H₂O) के इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा उत्पादित किया जाता है। - महत्व:
- यह एक शून्य-कार्बन उत्सर्जन वाला ईंधन है।
- इसे पेट्रोल, डीजल, और कोयले जैसे पारंपरिक ईंधनों के पर्यावरण-अनुकूल विकल्प के रूप में देखा जाता है।
2. परियोजना का उद्देश्य और महत्व
- उद्देश्य:
- भारत को ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का वैश्विक हब बनाना।
- कार्बन उत्सर्जन को कम कर 2050 तक नेट जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करना।
- महत्व:
- यह हब भारत के ऊर्जा क्षेत्र को आत्मनिर्भर (Atmanirbhar Bharat) बनाने की दिशा में सहायक होगा।
- विशाखापत्तनम का चयन इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति और बुनियादी ढांचे की उपलब्धता के कारण किया गया है।
3. संभावित लाभ
i. पर्यावरणीय लाभ
- ग्रीन हाइड्रोजन कोयला और तेल जैसे पारंपरिक ईंधनों को प्रतिस्थापित करेगा, जिससे ग्लोबल वॉर्मिंग और प्रदूषण कम होगा।
- पानी का उपयोग कर हाइड्रोजन उत्पादन से प्राकृतिक संसाधनों का सतत उपयोग सुनिश्चित होगा।
ii. आर्थिक लाभ
- यह परियोजना भारत को स्वच्छ ऊर्जा निर्यातक बनने में सक्षम बनाएगी।
- स्थानीय रोजगार सृजन और नई प्रौद्योगिकियों के विकास के अवसर प्रदान करेगी।
iii. रणनीतिक लाभ
- आयातित ईंधन पर निर्भरता कम होगी, जिससे भारत की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी।
- ऊर्जा क्षेत्र में भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगी।
iv. औद्योगिक लाभ
- ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग स्टील, रसायन, और परिवहन जैसे उद्योगों में किया जा सकता है।
- इससे ग्रीन अमोनिया का उत्पादन संभव होगा, जो कृषि क्षेत्र में उर्वरक निर्माण के लिए उपयोगी है।
4. चुनौतियां
i. उच्च लागत
- ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन में उपयोग होने वाली इलेक्ट्रोलिसिस तकनीक अभी भी महंगी है।
- सस्ती और कुशल तकनीक का विकास करना आवश्यक है।
ii. बुनियादी ढांचा
- ग्रीन हाइड्रोजन को स्टोर और ट्रांसपोर्ट करने के लिए एक विशेष बुनियादी ढांचा चाहिए, जो अभी सीमित है।
iii. जल संसाधनों पर प्रभाव
- पानी के इलेक्ट्रोलिसिस में बड़ी मात्रा में पानी का उपयोग होता है। जल-अभाव वाले क्षेत्रों में यह चुनौती हो सकती है।
5. सरकार के प्रयास और नीति समर्थन
i. राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (NGHM)
- भारत सरकार ने ₹19,744 करोड़ के बजट के साथ राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन की शुरुआत की है।
- 2030 तक 5 मिलियन मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य।
ii. नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा
- सौर और पवन ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाने के लिए विशेष योजनाएं चलाई जा रही हैं।
- आंध्र प्रदेश सरकार ने विशेष औद्योगिक क्षेत्र और पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल का प्रस्ताव रखा है।
6. वैश्विक दृष्टिकोण
- दुनिया में ग्रीन हाइड्रोजन की पहल:
- यूरोप: कई यूरोपीय देशों ने ग्रीन हाइड्रोजन को अपनाने की पहल की है, खासकर जर्मनी और नीदरलैंड।
- चीन: चीन ने भी स्वच्छ ऊर्जा के तहत ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन में निवेश बढ़ाया है।
- भारत का योगदान:
- यह परियोजना भारत को विश्व के शीर्ष 5 ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादक देशों में शामिल कर सकती है।
- ग्रीन हाइड्रोजन के निर्यात के जरिए वैश्विक ऊर्जा बाजार में भारत का प्रभाव बढ़ेगा।
निष्कर्ष
विशाखापत्तनम में ग्रीन हाइड्रोजन हब की स्थापना भारत के स्वच्छ ऊर्जा भविष्य की ओर एक बड़ा कदम है। यह न केवल पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ प्रदान करेगा, बल्कि भारत को वैश्विक स्तर पर ग्रीन एनर्जी लीडर बनाने में मदद करेगा। हालांकि, इस दिशा में सफलता पाने के लिए तकनीकी चुनौतियों को हल करना और कुशल बुनियादी ढांचा तैयार करना आवश्यक है।
संभावित प्रश्न (UPSC के लिए)
- मुख्य परीक्षा (GS-III):
- ग्रीन हाइड्रोजन हब भारत के ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरणीय लक्ष्यों को कैसे प्राप्त करने में मदद करेगा?
- “ग्रीन हाइड्रोजन: भारत के लिए एक स्वच्छ और आत्मनिर्भर ऊर्जा स्रोत” पर एक निबंध लिखें।
- प्रीलिम्स:
- ग्रीन हाइड्रोजन क्या है, और इसे पारंपरिक ईंधन से अलग क्या बनाता है?
- राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन से संबंधित प्रमुख तथ्य।
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