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भारत में ऊर्जा रूपांतरण और ऊर्जा सुरक्षा ( Energy Conversion and Energy Security in India )

Energy Conversion and Energy Security in India

भारत में ऊर्जा रूपांतरण और ऊर्जा सुरक्षा: संतुलन की आवश्यकता

भारत एक तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था है, जिसकी ऊर्जा मांग निरंतर बढ़ रही है। ऐसे में, ऊर्जा रूपांतरण (एनर्जी ट्रांज़िशन) और ऊर्जा सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखना एक चुनौतीपूर्ण कार्य बन गया है। पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों (जैसे कोयला) और नवीकरणीय ऊर्जा (जैसे सौर और पवन ऊर्जा) के बीच संतुलन स्थापित करना आवश्यक है ताकि पर्यावरणीय स्थिरता के साथ-साथ औद्योगिक विकास भी सुनिश्चित किया जा सके।

भारत की ऊर्जा सुरक्षा और कोयले की भूमिका

भारत की ऊर्जा जरूरतों को देखते हुए, कोयला अभी भी एक प्रमुख ऊर्जा स्रोत बना हुआ है। देश में कुल बिजली उत्पादन का लगभग 70% हिस्सा कोयले से आता है। भारी उद्योग, इस्पात उत्पादन, सीमेंट उद्योग और थर्मल पावर प्लांट्स के लिए कोयला आवश्यक बना हुआ है। हालाँकि, बढ़ते कार्बन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन की चिंताओं के कारण कोयले के उपयोग को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं।

हाल ही में प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में स्पष्ट किया गया है कि भारत के ऊर्जा रूपांतरण के बावजूद कोयले की महत्ता बनी रहेगी। इसके पीछे कुछ मुख्य कारण हैं:

  • सस्ते और सुलभ ऊर्जा स्रोत के रूप में कोयला: भारत के पास विशाल कोयला भंडार हैं, जिससे यह अन्य ईंधनों की तुलना में किफायती और विश्वसनीय ऊर्जा विकल्प बना हुआ है।
  • औद्योगिक विकास के लिए अपरिहार्य: इस्पात, सीमेंट और बिजली उत्पादन जैसे उद्योगों को अभी भी बड़े पैमाने पर कोयले की आवश्यकता होती है।
  • बेस-लोड पावर सप्लाई का प्रमुख स्रोत: नवीकरणीय ऊर्जा के बढ़ते उपयोग के बावजूद, स्थिर ऊर्जा आपूर्ति के लिए कोयले का योगदान महत्वपूर्ण है।

कोयला आधारित ऊर्जा में सुधार और नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ता भारत

हालांकि भारत 2050 तक नेट-ज़ीरो उत्सर्जन का लक्ष्य लेकर चल रहा है, लेकिन कोयले पर पूर्ण निर्भरता को समाप्त करना निकट भविष्य में संभव नहीं है। इस कारण सरकार कोयला आधारित ऊर्जा उत्पादन को अधिक स्वच्छ और प्रभावी बनाने की दिशा में प्रयास कर रही है। कुछ प्रमुख कदम इस प्रकार हैं:

  1. उन्नत अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल (AUSC) तकनीक – यह नई तकनीक कोयले से बिजली उत्पादन को अधिक कुशल बनाएगी और उत्सर्जन को कम करेगी।
  2. कोयला गैसीकरण और तरलकरण – इन तकनीकों से कोयले का स्वच्छ और प्रभावी उपयोग किया जा सकेगा, जिससे प्रदूषण कम होगा।
  3. कार्बन कैप्चर और स्टोरेज (CCS) – यह तकनीक कोयला संयंत्रों से निकलने वाले कार्बन उत्सर्जन को पकड़कर उसके पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने में मदद करेगी।
  4. पर्यावरण अनुकूल खनन नीतियाँ – कोयला खदानों को अधिक सतत और पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए नई नीतियाँ अपनाई जा रही हैं।

नवीकरणीय ऊर्जा में भारत की रणनीति

भारत ने 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता विकसित करने का लक्ष्य रखा है। इस दिशा में सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा दे रही है:

1. सौर ऊर्जा का विस्तार

  • पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत 1 करोड़ घरों में सौर पैनल लगाए जाएंगे, जिससे प्रत्येक परिवार को 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली मिलेगी।
  • सौर ऊर्जा पार्कों का विकास राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों में किया जा रहा है।
  • ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत सौर ऊर्जा से हरित हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाएगा।

2. पवन ऊर्जा में बढ़ोतरी

  • भारत में पवन ऊर्जा उत्पादन की अपार संभावनाएँ हैं, विशेष रूप से तटीय क्षेत्रों में।
  • सरकार ऑफशोर विंड फार्म्स विकसित करने की योजना बना रही है, जिससे स्थायी ऊर्जा आपूर्ति संभव होगी।

3. जलविद्युत और पंप्ड स्टोरेज परियोजनाएँ

  • भारत पंप्ड स्टोरेज परियोजनाओं को बढ़ावा दे रहा है, जिससे नवीकरणीय ऊर्जा की अनियमितता को दूर किया जा सके।
  • जलविद्युत परियोजनाएँ ऊर्जा भंडारण और निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने में सहायक होंगी।

4. परमाणु ऊर्जा का विस्तार

  • भारत छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) और उन्नत परमाणु संयंत्रों के विकास पर ध्यान दे रहा है।
  • परमाणु ऊर्जा एक स्थिर और कम-कार्बन ऊर्जा स्रोत के रूप में उभर रही है।

आवश्यक खनिज मिशन और ऊर्जा रूपांतरण

भारत सरकार ने हाल ही में आवश्यक खनिज मिशन शुरू किया है, जिसका उद्देश्य लिथियम, कोबाल्ट, निकल जैसे महत्वपूर्ण खनिजों के उत्पादन और पुनर्चक्रण को बढ़ावा देना है। यह मिशन विशेष रूप से बैटरी भंडारण और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए आवश्यक होगा।

ऊर्जा रूपांतरण और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव का भारत की अर्थव्यवस्था पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा:

  • रोजगार के नए अवसर – नवीकरणीय ऊर्जा और परमाणु ऊर्जा क्षेत्रों में निवेश से नए रोजगार सृजित होंगे।
  • विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव कम होगा – स्वच्छ ऊर्जा के बढ़ते उपयोग से पेट्रोलियम और कोयले के आयात पर निर्भरता घटेगी।
  • औद्योगिक क्रांति – ग्रीन हाइड्रोजन, बैटरी भंडारण और इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के विकास से भारत वैश्विक ऊर्जा बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी बनेगा।

केंद्रीय बजट में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र हेतु कौन-सी घोषणाएँ की गई हैं?

केंद्रीय बजट 2024-25 में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ की गई हैं। प्रमुख पहलें निम्नलिखित हैं:

  1. पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना: इस योजना के तहत, 1 करोड़ घरों में रूफटॉप सौर पैनल लगाए जाएंगे, जिससे प्रत्येक परिवार को प्रति माह 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली मिलेगी। इसके लिए 6,250 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
  2. पंप्ड स्टोरेज परियोजनाएँ: नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की अनियमितता को प्रबंधित करने के लिए, सरकार पंप्ड स्टोरेज परियोजनाओं को बढ़ावा दे रही है, जिससे बिजली ग्रिड में स्थिरता सुनिश्चित होगी।
  3. परमाणु ऊर्जा विकास: बजट में भारत स्मॉल रिएक्टर और भारत स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर विकसित करने के लिए निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी की योजना है, जिसमें नई परमाणु प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान और विकास के लिए समर्थन शामिल है।
  4. आवश्यक खनिज मिशन: इस मिशन का उद्देश्य महत्वपूर्ण खनिजों के घरेलू उत्पादन, पुनर्चक्रण और अधिग्रहण को बढ़ावा देना है, जो नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के विकास में सहायक होंगे।
  5. उन्नत अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल (AUSC) थर्मल पावर प्लांट: एनटीपीसी और बीएचईएल के सहयोग से, 800 मेगावाट का AUSC तकनीक वाला थर्मल पावर प्लांट स्थापित किया जाएगा, जो उच्च दक्षता वाली बिजली उत्पादन सुनिश्चित करेगा।
  6. पारंपरिक उद्योगों के लिए समर्थन: 60 पारंपरिक लघु और कुटीर उद्योगों के समूहों में ऊर्जा ऑडिट और स्वच्छ ऊर्जा अपनाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी, जिससे उनकी स्थिरता बढ़ेगी।
  7. जलवायु अनुकूलन और शमन के प्रयास: सरकार 109 उच्च उपज देने वाली, जलवायु सहने वाली फसल किस्मों को जारी करेगी और 1 करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगी।
  8. कृषि के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना: 400 जिलों में खरीफ फसल का डिजिटल सर्वेक्षण और 6 करोड़ किसानों और उनकी जमीन को रजिस्ट्री में शामिल करने के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना का कार्यान्वयन किया जाएगा।
  9. जलवायु वित्त के लिए वर्गीकरण: जलवायु अनुकूलन और शमन के प्रयासों के लिए पूंजी की उपलब्धता बढ़ाने के लिए जलवायु वित्त के लिए एक नया वर्गीकरण प्रणाली विकसित की जाएगी।
  10. बाढ़ प्रबंधन और पुनर्निर्माण के लिए वित्तीय सहायता: बिहार, असम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम जैसे बाढ़ प्रभावित राज्यों में बाढ़ प्रबंधन और पुनर्निर्माण के लिए प्रावधान शामिल हैं, जिससे प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम किया जा सके।

ऊर्जा रूपांतरण की चुनौतियाँ

हालांकि ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन कुछ प्रमुख चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं:

  1. नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन की उच्च लागत – सौर और पवन ऊर्जा की लागत में गिरावट आ रही है, लेकिन अभी भी प्रारंभिक निवेश काफी अधिक है।
  2. ऊर्जा भंडारण की समस्या – नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की अनियमितता के कारण ऊर्जा भंडारण की जरूरत बढ़ रही है, जिसके लिए अत्याधुनिक बैटरी तकनीक की आवश्यकता होगी।
  3. बेस-लोड पावर सप्लाई में चुनौतियाँ – नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को पूरी तरह से अपनाने से पहले, कोयला और परमाणु ऊर्जा जैसे स्थिर स्रोतों को संतुलित करना आवश्यक होगा।

निष्कर्ष

भारत ऊर्जा रूपांतरण और ऊर्जा सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए बहुआयामी रणनीति अपनाए हुए है। सरकार कोयले की भूमिका को बनाए रखते हुए इसे अधिक स्वच्छ और कुशल बनाने का प्रयास कर रही है, वहीं नवीकरणीय ऊर्जा को भी गति दी जा रही है।

इन प्रयासों से न केवल भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, बल्कि पर्यावरणीय स्थिरता, आर्थिक विकास और रोजगार सृजन में भी मदद मिलेगी। अगले कुछ वर्षों में, भारत का ऊर्जा क्षेत्र एक बड़े बदलाव से गुजरेगा, जिससे यह वैश्विक स्तर पर स्वच्छ और सतत ऊर्जा नेतृत्व की ओर अग्रसर होगा।


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