चुनाव (Elections)
1.1. एक साथ चुनाव (Simultaneous Election)
1.2 राज्य चुनाव आयोग (State Election Commission: SEC)
सुर्खियों में क्यों?
हाल ही में, भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की निदान लेखा-परीक्षा रिपोर्ट में कहा गया कि राज्य चुनाव आयोगों (SECs) का कमजोर होना, स्थानीय निकायों के चुनावों में देरी का एक प्रमुख कारण है।
राज्य चुनाव आयोग (SECs) के बारे में
- ये संवैधानिक संस्थाएँ हैं, जो स्थानीय निकायों के चुनावों जैसे पंचायती राज संस्थाएँ (PRIs) और शहरी स्थानीय निकाय (ULBs) आदि के चुनावों के लिए उत्तरदायी होती हैं।
- 73वें और 74वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के तहत राज्य चुनाव आयोगों के गठन का प्रावधान किया गया था।
- इसकी नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है।
राज्य निर्वाचन आयोग से संबंधित संवैधानिक प्रावधान
अनुच्छेद 243K(1) और अनुच्छेद 243ZA
- पंचायतों और नगरपालिकाओं के चुनाव हेतु मतदाता सूची तैयार करने, चुनावों के आयोजन और संचालन की संपूर्ण जिम्मेदारी राज्य चुनाव आयोग (SEC) की होगी।
अनुच्छेद 243K(2)
- राज्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाएगी।
- राज्य निर्वाचन आयुक्त केवल राज्यपाल के समान शर्तों पर ही हटाया जा सकता है, जैसे कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने के लिए आवश्यक शर्तें होती हैं।
राज्य चुनाव आयोगों के कार्य
- न्यायोचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना – स्थानीय निकाय चुनावों हेतु निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन करना।
- मतदाता सूची तैयार करना एवं संशोधित करना।
- चुनावों के संचालन से संबंधित नियम और आचार संहिता लागू करना।
- चुनाव विवादों का निपटारा करना।
- स्थानीय निकाय चुनावों से संबंधित संविधान व कानूनों का पालन सुनिश्चित करना।
निष्कर्ष
राज्य चुनाव आयोगों की स्वायत्तता और मजबूती सुनिश्चित करना आवश्यक है, ताकि स्थानीय चुनावों में देरी को रोका जा सके और लोकतंत्र को और अधिक मजबूत बनाया जा सके।
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