- एक साथ चुनाव (Simultaneous Election)
- राज्य चुनाव आयोग (State Election Commission: SEC)
- परसीमन आयोग (Delimitation Commission)
- इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन – वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (EVM-VVPAT)
- आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct: MCC)
1.7 अन्य महत्वपूर्ण सुर्खियाँ (Other Important News)
1.7.1 अनुच्छेद 329(b) (Article 329(B))
सुर्खियों में क्यों?
हाल ही में निर्वाचन आयोग (ECI) ने एक मामले में सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 329(b) का उपयोग किया। आयोग ने मतदान प्रक्रिया में न्यायिक हस्तक्षेप को रोकने के लिए इस अनुच्छेद का सहारा लिया।
अनुच्छेद 329(b) क्या है?
- यह प्रावधान कहता है कि संसद या विधानसभा चुनावों को केवल “निर्वाचन याचिका” (Election Petition) के माध्यम से ही चुनौती दी जा सकती है।
- किसी भी अन्य माध्यम से चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।
संबंधित मामला:
- पोन्नुस्वामी बनाम रिटर्निंग ऑफिसर, नमक्कल निर्वाचन क्षेत्र (1952) में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के बाद किसी भी न्यायालय को उसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (RPA), 1951 की धारा 80 के अनुसार, चुनाव याचिका के बिना किसी भी चुनाव की वैधता को चुनौती नहीं दी जा सकती।
1.7.2 चुनाव में नामांकन (Nomination in Election)
सुर्खियों में क्यों?
हाल ही में एक उम्मीदवार बिना विरोध के लोकसभा चुनाव में निर्वाचित हुआ, क्योंकि विरोधी उम्मीदवार का नामांकन पत्र रिटर्निंग ऑफिसर (RO) द्वारा खारिज कर दिया गया।
नामांकन प्रक्रिया:
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (RPA), 1951 की धारा 33 के तहत चुनाव में नामांकन के लिए कुछ शर्तें तय की गई हैं:
- किसी भी प्रत्याशी को मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के उम्मीदवार के रूप में नामांकन के लिए एक प्रस्तावक (Proposer) की आवश्यकता होती है।
- स्वतंत्र उम्मीदवारों और गैर-मान्यता प्राप्त दलों के लिए 10 प्रस्तावकों की आवश्यकता होती है।
- सभी प्रस्तावक संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता होने चाहिए।
नामांकन पत्र की जाँच (Scrutiny of Nomination):
- RPA, 1951 की धारा 36 के तहत रिटर्निंग ऑफिसर को यह अधिकार है कि यदि कोई उम्मीदवार आवश्यक जानकारी नहीं देता या पर्चे में “घातक त्रुटियाँ” होती हैं, तो उसका नामांकन खारिज किया जा सकता है।
1.7.3 पुनर्मतदान (Re-polling)
सुर्खियों में क्यों?
भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) ने मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के कुछ मतदान केंद्रों पर लोकसभा चुनाव के लिए पुनर्मतदान (Re-polling) कराया।
कब होता है पुनर्मतदान?
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुसार, निम्नलिखित परिस्थितियों में पुनर्मतदान कराया जा सकता है:
- प्राकृतिक आपदा, हिंसा या बूथ कैप्चरिंग के कारण चुनाव प्रभावित होने पर।
- ईवीएम (EVM) या वीवीपीएटी (VVPAT) मशीनों में गड़बड़ी होने पर।
- मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल (राष्ट्रीय/क्षेत्रीय दल) के उम्मीदवार की मृत्यु होने पर।
1.7.4 साइलेंस पीरियड (Silence Period)
सुर्खियों में क्यों?
लोकसभा चुनावों के दौरान मतदान दिवस से 48 घंटे पहले साइलेंस पीरियड लागू किया गया।
साइलेंस पीरियड क्या है?
- मतदान के दिन से 48 घंटे पहले किसी भी प्रकार के चुनाव प्रचार पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है।
- RPA, 1951 की धारा 126 के तहत यह प्रावधान लागू होता है।
- इस दौरान:
- टेलीविजन, सोशल मीडिया, या मनोरंजन कार्यक्रमों के माध्यम से चुनाव प्रचार पर रोक लगती है।
- धारा 126A के तहत एग्जिट पोल आयोजित करने और प्रकाशित करने पर भी रोक होती है।
- धारा 126(1)(b) के तहत इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ओपिनियन पोल दिखाने की मनाही होती है।
1.7.5 एक उम्मीदवार, अनेक निर्वाचन क्षेत्र (One Candidate, Multiple Constituencies – OCMC)
संवैधानिक प्रावधान:
- संविधान ने संसद को चुनाव आयोजित करने की प्रक्रिया को विनियमित करने का अधिकार दिया है।
- इसलिए, एक उम्मीदवार द्वारा अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ने का प्रावधान लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में किया गया।
- 1996 तक, किसी भी उम्मीदवार के लिए निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या पर कोई सीमा नहीं थी।
वर्तमान नियम:
- RPA, 1951 की धारा 33(7) के तहत कोई उम्मीदवार अधिकतम 2 निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ सकता है।
- RPA, 1951 की धारा 70 कहती है कि यदि कोई उम्मीदवार दो सीटों से जीत जाता है, तो उसे एक सीट छोड़नी होगी और उस सीट पर उपचुनाव कराना होगा।
1.7.6 होम वोटिंग (Home Voting)
सुर्खियों में क्यों?
ECI ने 2024 के आम चुनावों में पहली बार “होम वोटिंग” की सुविधा प्रदान करने की घोषणा की।
होम वोटिंग क्या है?
- यह सुविधा उन मतदाताओं के लिए है जो मतदान केंद्र तक जाने में असमर्थ हैं।
- मतदान अधिकारी और सुरक्षा कर्मियों की देखरेख में, मतदाता अपने घर से ही मतदान कर सकता है।
- मतदान की गोपनीयता सुनिश्चित की जाती है।
किन्हें यह सुविधा मिलेगी?
- 40% या उससे अधिक दिव्यांगता वाले व्यक्ति (PwD)।
- 85 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिक।
अन्य संबंधित प्रयास:
- SVEEP (Systematic Voter’s Education and Electoral Participation) योजना के तहत दिव्यांगजनों को जागरूक किया गया।
- प्रवासी मतदाताओं के लिए “रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (RVM)” का प्रस्तावित विकास।
- पोस्टल बैलट (डाक मतपत्र) की सुविधा भी दी गई।
1.7.7 फॉर्म 17C (Form 17C)
सुर्खियों में क्यों?
निर्वाचन आयोग (ECI) ने सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट किया कि “फॉर्म 17C” के डेटा को मतदान अधिकारियों के अलावा किसी अन्य संस्था के साथ साझा नहीं किया जा सकता।
फॉर्म 17C क्या है?
- यह निर्वाचन संचालन नियम, 1961 के तहत निर्देशित एक फॉर्म है।
- इसमें मतदान केंद्र पर डाले गए कुल वोटों की संख्या और उम्मीदवारों को मिले मतों का रिकॉर्ड होता है।
- यह गोपनीयता बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग द्वारा सुरक्षित रखा जाता है।
1.7.8 ब्रेल साइनेज (Braille Signage)
सुर्खियों में क्यों?
पुदुचेरी में चुनाव आयोग ने सभी 967 मतदान केंद्रों पर EVM में “ब्रेल साइनेज” (Braille Signage) प्रदान करने की घोषणा की।
महत्व:
- यह दृष्टिबाधित (Visually Impaired) मतदाताओं को स्वतंत्र और गोपनीय रूप से मतदान करने में मदद करेगा।
- यदि आवश्यक हो, तो दृष्टिबाधित मतदाता अपने साथ एक सहयोगी भी ला सकते हैं (निर्वाचन संचालन नियम, 1961 के नियम 49N के तहत)।
निष्कर्ष
- चुनाव प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, समावेशी और निष्पक्ष बनाने के लिए नए सुधार लागू किए जा रहे हैं।
- न्यायिक समीक्षा, होम वोटिंग, पुनर्मतदान और तकनीकी सुधारों से लोकतंत्र को मजबूत किया जा रहा है।
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