- एक साथ चुनाव (Simultaneous Election)
- राज्य चुनाव आयोग (State Election Commission: SEC)
- परसीमन आयोग (Delimitation Commission)
1.4 इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन – वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (EVM-VVPAT)
सुर्खियों में क्यों?
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स बनाम भारतीय निर्वाचन आयोग और अन्य (2024) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने EVM में डाले गए वोट के साथ VVPAT पर्चियों के 100% क्रॉस-सत्यापन की मांग को खारिज कर दिया।
EVM-VVPAT क्या है?
- इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM): यह एक पोर्टेबल माइक्रोकंट्रोलर-आधारित उपकरण है, जिसे चुनाव प्रक्रिया को आधुनिक बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- इसे भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) ने इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) के सहयोग से विकसित किया है।
- BEL: रक्षा मंत्रालय के तहत कार्य करती है।
- ECIL: परमाणु ऊर्जा विभाग के तहत कार्य करती है।
- 2017 में गोवा विधानसभा चुनावों में पहली बार सभी EVMs के साथ VVPATs का उपयोग किया गया था।
- 2019 लोकसभा चुनावों में VVPATs का पूर्ण रूप से उपयोग किया गया।
EVM के तीन प्रमुख घटक:
- बैलेटिंग यूनिट (Balloting Unit) – मतदाता इसे इस्तेमाल कर वोट डालते हैं। इसमें 16 बटन होते हैं।
- कंट्रोल यूनिट (Control Unit) – मतदान प्रक्रिया को संचालित करने के लिए मतदान अधिकारी के पास रहती है।
- VVPAT (Voter Verifiable Paper Audit Trail) –
- यह एक पेपर ट्रेल सिस्टम है जो EVM में डाले गए वोट का सत्यापन करता है।
- मतदाता 7 सेकंड तक VVPAT स्क्रीन पर अपने वोट की पर्ची देख सकता है, फिर यह पर्ची मशीन के अंदर सुरक्षित हो जाती है।
VVPAT की जरूरत क्यों पड़ी?
- मतदाता को पारदर्शिता और विश्वास देने के लिए इसे लागू किया गया।
- यह सुनिश्चित करता है कि EVM में डाला गया वोट उसी उम्मीदवार को गया है, जिसे मतदाता ने चुना।
- चुनाव प्रक्रिया की सटीकता और सत्यापन क्षमता बढ़ाता है।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- VVPATs को पारदर्शिता बढ़ाने के लिए लाया गया था, लेकिन सभी VVPAT पर्चियों के 100% क्रॉस-सत्यापन की मांग सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी।
- EVM के साथ VVPAT का उपयोग अब चुनावों में अनिवार्य हो गया है।
Leave a Reply