1.3 परसीमन आयोग (Delimitation Commission)
समाचार में क्यों?
किशोरचंद्र छगनलाल राठौड़ मामले (2024) में सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया कि परिसीमन आयोग के आदेश यदि स्पष्ट रूप से मनमाने और असंवैधानिक हों, तो संवैधानिक न्यायालय उनकी समीक्षा कर सकते हैं।
परिसीमन क्या है?
- यह लोकसभा और विधानसभाओं के लिए प्रत्येक राज्य में सीटों की संख्या और भौगोलिक सीमाएं तय करने की प्रक्रिया है।
- परिसीमन का कार्य एक उच्च-प्राधिकार प्राप्त संस्था को सौंपा जाता है, जिसे परिसीमन आयोग (Delimitation Commission) या सीमा आयोग कहा जाता है।
संवैधानिक प्रावधान:
- अनुच्छेद 82 के तहत परिसीमन की प्रक्रिया संसद द्वारा बनाए गए कानून के अनुसार होती है।
- अब तक चार बार परिसीमन आयोगों का गठन किया जा चुका है— 1952, 1963, 1973 और 2002।
- यह सांविधिक निकाय (Statutory Body) है, और इसके निर्णय अंतिम माने जाते हैं, जिन्हें किसी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।
- हालांकि, इसके आदेशों को संसद और विधानसभाओं के समक्ष रखा जाता है, लेकिन उनमें संशोधन की अनुमति नहीं होती।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- परिसीमन आयोग के आदेशों को सीधे चुनौती नहीं दी जा सकती, लेकिन यदि वे संविधान के अनुरूप नहीं हैं, तो न्यायालय इसकी समीक्षा कर सकते हैं।
- इसका उद्देश्य निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना और जनसंख्या के अनुसार निर्वाचन क्षेत्रों का संतुलन बनाए रखना है।
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