आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25: भारतीय अर्थव्यवस्था की व्यापक समीक्षा
भूमिका
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 प्रस्तुत किया, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति का विश्लेषण करता है और आगामी केंद्रीय बजट 2025 के लिए एक मार्गदर्शिका के रूप में कार्य करता है। यह रिपोर्ट भारत के आर्थिक प्रदर्शन, सुधारों और भविष्य की संभावनाओं पर गहन दृष्टि प्रदान करती है। यह सर्वेक्षण व्यापक डेटा और विश्लेषण के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों की समीक्षा करता है।
आर्थिक सर्वेक्षण
- आर्थिक सर्वेक्षण, भारत की आर्थिक स्थिति का आकलन करने के लिये केंद्रीय बजट से पहले सरकार द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली एक वार्षिक रिपोर्ट है।
- मुख्य आर्थिक सलाहकार की देखरेख में वित्त मंत्रालय के आर्थिक प्रभाग द्वारा तैयार की गई यह रिपोर्ट केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा संसद के दोनों सदनों में प्रस्तुत की जाती है।
- इस सर्वेक्षण में आर्थिक प्रदर्शन का आकलन किया जाता है, जिससे क्षेत्रीय विकास पर प्रकाश पड़ने के साथ संबंधित चुनौतियों की रूपरेखा और आगामी वर्ष के लिये आर्थिक दृष्टिकोण मिलता है।
- आर्थिक सर्वेक्षण को पहली बार वर्ष 1950-51 में बजट के एक भाग के रूप में प्रस्तुत किया गया था और वर्ष 1964 में यह केंद्रीय बजट से अलग दस्तावेज़ बन गया, जिसे बजट से एक दिन पहले प्रस्तुत किया जाता है।
अर्थव्यवस्था की स्थिति
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था ने वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद स्थिरता बनाए रखी है। कुछ प्रमुख संकेतक:
- जीडीपी वृद्धि: वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5% रहने का अनुमान है। यह विकास मुख्य रूप से सेवा क्षेत्र, निर्माण, और कृषि क्षेत्र में हुए सुधारों के कारण हुआ है।
- मुद्रास्फीति: महंगाई पर नियंत्रण बनाए रखते हुए इसे 4-5% के बीच स्थिर रखा गया है, जिससे उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति बनी हुई है।
- निवेश एवं रोजगार: निजी निवेश में वृद्धि देखी गई है, जिससे नई नौकरियों के अवसर बढ़े हैं। स्टार्टअप और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने विभिन्न योजनाएँ चलाई हैं।
- राजकोषीय घाटा: सरकार ने राजकोषीय घाटे को नियंत्रित रखते हुए आर्थिक विकास को प्राथमिकता दी है।
- विदेशी निवेश: प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में बढ़ोतरी हुई है, जो भारत की आकर्षक निवेश नीति को दर्शाता है।
- औद्योगिक उत्पादन: मैन्युफैक्चरिंग और औद्योगिक उत्पादन में भी सकारात्मक वृद्धि देखी गई है।
भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियाँ
हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियाँ बनी हुई हैं:
- वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता: भू-राजनीतिक तनावों, व्यापार युद्धों और वैश्विक मंदी की संभावनाओं का असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।
- मुद्रास्फीति पर नियंत्रण: खाद्य एवं ऊर्जा कीमतों में उतार-चढ़ाव महंगाई को प्रभावित कर सकता है।
- रोजगार सृजन: बढ़ती जनसंख्या के लिए पर्याप्त रोजगार अवसरों की आवश्यकता है।
- बुनियादी ढाँचा विकास: लॉजिस्टिक्स, ट्रांसपोर्ट और डिजिटल बुनियादी ढाँचे में निवेश की जरूरत बनी हुई है।
- कृषि सुधार: किसानों की आय बढ़ाने के लिए नई नीतियों की आवश्यकता है, साथ ही आधुनिक तकनीकों को अपनाने की दिशा में और प्रयास करने होंगे।
- बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र: बैंकिंग सेक्टर में सुधार की जरूरत है ताकि एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों) को नियंत्रित किया जा सके।
- जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय चुनौतियाँ: ग्रीन एनर्जी में निवेश और कार्बन उत्सर्जन को कम करने की जरूरत है।
आगे की राह
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 ने भारत के आर्थिक विकास को तेज करने के लिए कई सुझाव दिए हैं:
- मैन्युफैक्चरिंग एवं निर्यात प्रोत्साहन: उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ एवं पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) योजनाओं का विस्तार किया जाएगा। निर्यात को बढ़ाने के लिए सरकार नई व्यापार नीतियाँ लागू करेगी।
- डिजिटल अर्थव्यवस्था: फिनटेक और डिजिटल पेमेंट सिस्टम को मजबूत बनाकर कैशलेस इकोनॉमी को प्रोत्साहित किया जाएगा।
- ग्रीन एनर्जी: सस्टेनेबल एनर्जी स्रोतों में निवेश को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
- स्टार्टअप एवं एमएसएमई सेक्टर: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को समर्थन देने के लिए सरकार नई योजनाएँ ला सकती है।
- आर्थिक सुधार एवं नीति परिवर्तन: टैक्स सिस्टम को और सरल बनाया जाएगा और एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) को आकर्षित करने के लिए नए उपाय किए जाएंगे।
- कृषि में नवाचार: किसानों को आधुनिक कृषि तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा और कृषि उत्पादों के निर्यात में वृद्धि की जाएगी।
- शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को व्यापक बनाया जाएगा।
निष्कर्ष
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और संभावनाओं को दर्शाता है। हालाँकि चुनौतियाँ हैं, लेकिन सरकार द्वारा अपनाई जा रही नीतियाँ और सुधारात्मक उपाय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में सहायक होंगे। अब सभी की निगाहें केंद्रीय बजट 2025 पर होंगी, जिसमें इन सिफारिशों को नीति रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, यदि सरकार प्रस्तावित सुधारों को तेजी से लागू करती है, तो भारत वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख आर्थिक शक्ति बन सकता है।
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