तिब्बत, चीन और नेपाल में भूकंप: विस्तृत विश्लेषण
हाल ही में तिब्बत, चीन और नेपाल में आए भूकंप ने हिमालय क्षेत्र की भौगोलिक और भूवैज्ञानिक संवेदनशीलता को उजागर किया है। यह घटना न केवल भौगोलिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे UPSC प्रिलिम्स के लिए भी समझना आवश्यक है।
भूकंप: कारण और भूवैज्ञानिक पृष्ठभूमि
- भूकंप के कारण:
- भारतीय और यूरेशियन प्लेटों की टक्कर:
- भारतीय विवर्तनिक प्लेट (Indian Tectonic Plate) यूरेशियन प्लेट के नीचे धंस रही है।
- यह टक्कर हिमालय पर्वत श्रृंखला के निर्माण और इस क्षेत्र में उच्च भूकंपीय गतिविधि का मुख्य कारण है।
- सक्रिय फॉल्ट लाइन:
- हिमालयन बेल्ट कई फॉल्ट लाइनों (जैसे, मेन सेंट्रल थ्रस्ट और मेन फ्रंटल थ्रस्ट) से प्रभावित है।
- ये फॉल्ट लाइनें तनाव को जमा करती हैं, जिससे समय-समय पर भूकंप आते हैं।
- भारतीय और यूरेशियन प्लेटों की टक्कर:
- पैंजिया और प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत:
- लगभग 200 मिलियन वर्ष पहले, पैंजिया नामक एक विशाल महाद्वीप टूटकर अलग-अलग प्लेटों में विभाजित हुआ।
- भारतीय प्लेट, जो पैंजिया का हिस्सा थी, उत्तर की ओर बढ़कर यूरेशियन प्लेट से टकराई, जिससे हिमालय का निर्माण हुआ।
- हिमालय पर्वत शृंखला और भूकंपीय संवेदनशीलता:
- हिमालय पर्वत अभी भी “युवा पर्वत” है और टेक्टोनिक गतिविधियां यहां जारी हैं।
- हर वर्ष भारतीय प्लेट लगभग 5 सेमी की गति से उत्तर की ओर खिसकती है, जिससे इस क्षेत्र में भूकंप की संभावना बढ़ती है।
माउंट एवरेस्ट और भूकंप का संबंध
- माउंट एवरेस्ट (8,848.86 मीटर), जो नेपाल और तिब्बत की सीमा पर स्थित है, हिमालय क्षेत्र की टेक्टोनिक गतिविधियों का प्रतीक है।
- भूकंप के कारण माउंट एवरेस्ट और अन्य हिमालयी चोटियों की ऊंचाई में मामूली बदलाव हो सकता है।
- उदाहरण: 2015 के नेपाल भूकंप (7.8 तीव्रता) के बाद एवरेस्ट की ऊंचाई में हल्का बदलाव दर्ज किया गया था।
हालिया घटनाएं और करेंट अफेयर्स कनेक्शन
- तिब्बत और चीन में भूकंप:
- 2023 के अंत और 2024 की शुरुआत में तिब्बत और चीन के सिचुआन प्रांत में 6.5 तीव्रता का भूकंप आया।
- इसने स्थानीय बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाया और हिमालय क्षेत्र की भूकंपीय संवेदनशीलता को फिर से रेखांकित किया।
- नेपाल में भूकंप:
- नेपाल, जो हिमालय के केंद्र में है, उच्च भूकंपीय खतरे वाला क्षेत्र है।
- नवंबर 2023 में नेपाल में 6.1 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया, जिससे जीवन और संपत्ति का नुकसान हुआ।
- भारतीय परिप्रेक्ष्य:
- भूकंप का प्रभाव भारतीय राज्यों (उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, सिक्किम) पर भी देखा गया।
- भूकंप-रोधी इमारतों के निर्माण के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards, BIS) ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
भारतीय विवर्तनिकी प्लेट और हिमालय के लिए खतरे
- भूकंप क्षेत्रों का वर्गीकरण:
- भारत को भूकंपीय संवेदनशीलता के आधार पर 4 जोनों (Zone II-IV) में वर्गीकृत किया गया है।
- हिमालय क्षेत्र भूकंप जोन V में आता है, जो सबसे अधिक संवेदनशील है।
- भूकंप का प्रभाव:
- भूकंप के कारण हिमालय में हिमस्खलन और भूस्खलन की घटनाएं होती हैं।
- यह गंगा, ब्रह्मपुत्र और यमुना नदियों के जल प्रवाह को भी प्रभावित कर सकता है।
- आधारभूत संरचना और खतरे:
- हिमालय क्षेत्र में बुनियादी ढांचे (सड़कों, पुलों, और हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स) पर भूकंप का गहरा प्रभाव पड़ता है।
- 2023 में उत्तराखंड के जोशीमठ में भूमि धंसाव इसी का परिणाम है।
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) और भूकंप सुरक्षा
- भारतीय मानक ब्यूरो ने भूकंप-रोधी संरचनाओं के निर्माण के लिए कोड (IS 1893) तैयार किए हैं।
- यह दिशानिर्देश निर्माण सामग्री, डिजाइन और संरचना की स्थिरता सुनिश्चित करने पर जोर देता है।
प्रिलिम्स के लिए महत्वपूर्ण बिंदु
1. भूकंप से संबंधित भूगोल:
- भूकंप की उत्पत्ति: फोकस (हाइपो सेंटर) और एपीसेंटर।
- भूकंप मापन: रिक्टर स्केल और मॉमेंट मैग्निट्यूड स्केल।
2. हिमालय की भूकंपीय संवेदनशीलता:
- भारतीय प्लेट की उत्तर दिशा में गति।
- मुख्य फॉल्ट लाइनें: मेन सेंट्रल थ्रस्ट, मेन फ्रंटल थ्रस्ट।
3. भूकंप सुरक्षा:
- BIS के कोड (IS 1893) के अनुसार निर्माण।
- आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत आपदा तैयारी।
4. करेंट अफेयर्स कनेक्शन:
- 2023-24 में तिब्बत, नेपाल और चीन के भूकंप।
- जोशीमठ भूमि धंसाव और हिमालयी निर्माण।
निष्कर्ष
तिब्बत, चीन और नेपाल में भूकंप की घटनाएं हिमालय क्षेत्र की भूकंपीय संवेदनशीलता और भारतीय प्लेट की विवर्तनिकी गतिविधियों को समझने का एक मौका प्रदान करती हैं। UPSC प्रिलिम्स और मेन्स दोनों के लिए, यह विषय भूगोल, आपदा प्रबंधन और पर्यावरण के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- बेहतर आपदा तैयारी और भूकंप-रोधी संरचनाओं के निर्माण से इन खतरों को कम किया जा सकता है।
- भारत को, अपने हिमालयी क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता के लिए, वैज्ञानिक अनुसंधान और संरचनात्मक सुधारों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
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