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भारतीयों के लिये दोहरी नागरिकता पर विमर्श (Debate on Dual Citizenship for Indians) – Current Affairs

चर्चा में क्यों? (Why in News?)

  • भारत में दोहरी नागरिकता (Dual Citizenship) को लेकर फिर से विमर्श शुरू हो गया है।
  • भारत के पास विश्व का सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है, जो विभिन्न देशों में व्यापार, तकनीकी क्षेत्र, शिक्षा और शोध में योगदान दे रहा है।
  • वर्तमान में प्रवासियों को केवल ओवरसीज़ सिटिजनशिप ऑफ़ इंडिया (OCI) का दर्जा प्राप्त है, लेकिन यह पूर्ण नागरिकता प्रदान नहीं करता।
  • वैश्विक स्तर पर प्रवासी नीतियों में बदलाव के कारण यह बहस तेज़ हो गई है कि क्या भारत को अपनी नागरिकता नीति में बदलाव करना चाहिए।

भारत में नागरिकता का वर्तमान परिदृश्य (Current Citizenship Scenario in India)

  • भारतीय संविधान एकल नागरिकता (Single Citizenship) की अवधारणा पर आधारित है, जिसका अर्थ है कि भारतीय नागरिक किसी अन्य देश की नागरिकता प्राप्त करने पर भारतीय नागरिकता खो देते हैं
  • नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य देश की नागरिकता ग्रहण करता है, तो उसकी भारतीय नागरिकता समाप्त हो जाती है।
  • भारत दोहरी नागरिकता को मान्यता नहीं देता, लेकिन प्रवासी भारतीयों को कुछ विशेषाधिकार देने के लिए OCI (Overseas Citizenship of India) कार्ड प्रदान करता है।

OCI और दोहरी नागरिकता में अंतर (Difference Between OCI and Dual Citizenship)

OCI (Overseas Citizenship of India)दोहरी नागरिकता (Dual Citizenship)
यह भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों को कुछ विशेषाधिकार देता है।दोहरी नागरिकता का अर्थ है कि व्यक्ति दो देशों की पूरी नागरिकता रख सकता है।
OCI धारकों को भारत में रोजगार, संपत्ति खरीदने, और अनिवासी भारतीयों (NRIs) की तरह अधिकार मिलते हैं।दोहरी नागरिकता रखने वाले व्यक्ति दोनों देशों के मतदान, सरकारी नौकरियों और संवैधानिक अधिकारों का लाभ उठा सकते हैं।
OCI धारकों को भारत में वोट देने, सरकारी नौकरी पाने और संवैधानिक पद ग्रहण करने का अधिकार नहीं होतादोहरी नागरिकता वाले व्यक्ति को दोनों देशों में समान अधिकार प्राप्त होते हैं।
OCI को किसी भी समय भारत सरकार द्वारा रद्द किया जा सकता हैदोहरी नागरिकता कानूनी रूप से स्थायी होती है और इसे वापस लेना कठिन होता है।

दोहरी नागरिकता के पक्ष में तर्क (Arguments in Favor of Dual Citizenship)

1. वैश्विक अवसरों का लाभ (Leveraging Global Opportunities)

  • प्रवासी भारतीयों को व्यवसाय, शिक्षा, अनुसंधान और निवेश में अधिक स्वतंत्रता मिलेगी।
  • भारतीय प्रतिभाओं को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने और नवाचार को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।

2. प्रवासी भारतीयों के लिए भारत से संबंध बनाए रखना (Stronger Ties with Indian Diaspora)

  • भारत के प्रवासी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
  • दोहरी नागरिकता से प्रवासी भारतीयों को भारत में अधिक निवेश करने और अपनी जड़ों से जुड़े रहने का अवसर मिलेगा

3. विदेशों में भारतीय समुदाय को अधिक सुरक्षा (Better Protection for Indian Diaspora Abroad)

  • जिन भारतीयों को दूसरे देशों की नागरिकता लेनी पड़ती है, वे अक्सर अपने भारतीय मूल के कारण भेदभाव का सामना करते हैं।
  • यदि उन्हें दोहरी नागरिकता दी जाती है, तो वे संकट के समय भारतीय सरकार से अधिक सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

4. निवेश और आर्थिक विकास (Boosting Investment and Economic Growth)

  • दोहरी नागरिकता भारतीय प्रवासियों को भारत में रियल एस्टेट, स्टार्टअप्स, और टेक्नोलॉजी क्षेत्रों में निवेश करने के लिए प्रेरित कर सकती है।
  • इससे रोज़गार सृजन और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।

दोहरी नागरिकता के विपक्ष में तर्क (Arguments Against Dual Citizenship)

1. राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी चिंताएँ (National Security Concerns)

  • दोहरी नागरिकता के चलते दो देशों की नीतियों में टकराव की संभावना बढ़ सकती है।
  • कुछ देशों में भारतीय नागरिकों की राजनीतिक विचारधारा, धार्मिक मान्यताओं या सुरक्षा मुद्दों पर असहमति हो सकती है, जिससे भारत की सुरक्षा नीति प्रभावित हो सकती है।

2. मताधिकार और राजनीतिक हस्तक्षेप (Voting Rights and Political Interference)

  • यदि प्रवासी भारतीयों को मतदान का अधिकार मिल जाता है, तो वे भारत की राजनीति में अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डाल सकते हैं, जबकि वे भारत में नहीं रहते।
  • इससे भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में बाहरी हस्तक्षेप का खतरा हो सकता है।

3. कानूनी और प्रशासनिक चुनौतियाँ (Legal and Administrative Challenges)

  • दोहरी नागरिकता की नीति लागू करने के लिए नागरिकता अधिनियम, 1955 में बड़े बदलाव करने होंगे।
  • प्रशासनिक रूप से दोहरी नागरिकता के मामलों की देखरेख करना और धोखाधड़ी को रोकना कठिन हो सकता है।

4. अन्य देशों से कूटनीतिक जटिलताएँ (Diplomatic Complexities with Other Nations)

  • यदि भारत दोहरी नागरिकता प्रदान करता है, तो उसे यह भी तय करना होगा कि किन देशों के साथ यह सुविधा दी जाए।
  • इससे भारत के कुछ रणनीतिक साझेदार देशों के साथ कूटनीतिक संबंध प्रभावित हो सकते हैं

निष्कर्ष (Conclusion)

  • भारत को प्रवासी भारतीयों के हितों की रक्षा और देश की सुरक्षा एवं संप्रभुता के बीच संतुलन बनाना होगा।
  • यदि दोहरी नागरिकता की अनुमति दी जाती है, तो इसके लिए स्पष्ट नियम और शर्तें तय करनी होंगी।
  • सरकार को प्रवासी भारतीयों से जुड़े मुद्दों पर विस्तृत अध्ययन और राष्ट्रीय बहस की जरूरत है ताकि एक व्यापक और व्यावहारिक नीति बनाई जा सके।

यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु (UPSC Exam Relevant Points)

• भारत में नागरिकता से संबंधित प्रमुख प्रावधान नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत आते हैं।
• भारत दोहरी नागरिकता को मान्यता नहीं देता लेकिन प्रवासियों को OCI कार्ड जारी करता है।
• OCI और दोहरी नागरिकता में मुख्य अंतर यह है कि OCI धारकों को मतदान और सरकारी नौकरियों का अधिकार नहीं होता
• दोहरी नागरिकता की अनुमति देने से भारत में सुरक्षा, कूटनीति, प्रशासन और राजनीतिक प्रक्रियाओं पर प्रभाव पड़ सकता है।
• प्रवासी भारतीयों को भारत से जोड़ने के लिए भारत सरकार ने प्रवासी भारतीय दिवस और निवेश प्रोत्साहन योजनाएँ शुरू की हैं।


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