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लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि ( Death anniversary of Lal Bahadur Shastri ) – UPSC

Death anniversary of Lal Bahadur Shastri

लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि 11 जनवरी को मनाई जाती है। शास्त्री जी भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे और उनका कार्यकाल 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 तक रहा। उनकी सादगी, ईमानदारी और देशभक्ति के लिए वे आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं।

उनका नारा “जय जवान, जय किसान” आज भी पूरे देश को प्रेरित करता है। शास्त्री जी का निधन 11 जनवरी 1966 को ताशकंद (उज्बेकिस्तान) में हुआ, जहां वे भारत और पाकिस्तान के बीच ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए गए थे। उनकी मृत्यु आज भी एक रहस्य बनी हुई है और इसे लेकर कई सवाल उठते रहते हैं।

उनकी पुण्यतिथि पर देश भर में श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है और उनके योगदान को याद किया जाता है।


लाल बहादुर शास्त्री का जीवन परिचय

लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ। उनके पिता का नाम शारदा प्रसाद श्रीवास्तव और माता का नाम रामदुलारी था। शास्त्री जी का बचपन गरीबी में बीता, लेकिन उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और उच्च शिक्षा प्राप्त की। उनकी ईमानदारी, सादगी और नैतिकता उनके व्यक्तित्व के प्रमुख गुण थे।


राजनीतिक जीवन

  • शास्त्री जी ने महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से प्रेरित होकर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया।
  • आज़ादी के बाद वे जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में शामिल हुए और उन्होंने परिवहन, रेलवे, और गृह मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभागों का कार्यभार संभाला।
  • नेहरू जी के निधन के बाद शास्त्री जी को भारत का दूसरा प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया।
  • उनका कार्यकाल 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 तक रहा।

महत्वपूर्ण योगदान

  1. जय जवान, जय किसान:
    यह नारा उन्होंने 1965 के भारत-पाक युद्ध के समय दिया था, जो आज भी देश के सैनिकों और किसानों के प्रति सम्मान का प्रतीक है।
  2. भारत-पाक युद्ध (1965):
    शास्त्री जी के नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ मजबूती से मुकाबला किया। उन्होंने सेना का मनोबल ऊंचा रखा और देश को एकजुट किया।
  3. हरित क्रांति को बढ़ावा:
    शास्त्री जी ने कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए हरित क्रांति की नींव रखी और किसानों को प्रोत्साहित किया।
  4. सादगी और ईमानदारी:
    उनके जीवन का हर पहलू सादगी और ईमानदारी का उदाहरण है। प्रधानमंत्री होने के बावजूद उन्होंने कभी भी विलासितापूर्ण जीवन नहीं अपनाया।

ताशकंद समझौता और मृत्यु

  • 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद, सोवियत संघ (अब रूस) और अमेरिका के हस्तक्षेप से भारत और पाकिस्तान के बीच शांति स्थापित करने के लिए ताशकंद समझौता किया गया।
  • यह समझौता 10 जनवरी 1966 को उज्बेकिस्तान के ताशकंद में हुआ।
  • दुर्भाग्यवश, समझौते के अगले दिन 11 जनवरी 1966 को शास्त्री जी का रहस्यमय निधन हो गया।

मृत्यु का रहस्य

शास्त्री जी की मृत्यु को आधिकारिक रूप से दिल का दौरा कहा गया, लेकिन इसे लेकर कई विवाद और सवाल हैं।

  1. उनकी मृत्यु के समय शव पर चोट के निशान बताए गए।
  2. पोस्टमॉर्टम नहीं किया गया, जिससे संदेह और बढ़ गया।
  3. कुछ लोग इसे एक षड्यंत्र मानते हैं और कहते हैं कि उनकी हत्या हुई थी।

इन सवालों का अब तक कोई ठोस उत्तर नहीं मिला है, और उनकी मृत्यु आज भी एक रहस्य बनी हुई है।


पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि

हर साल 11 जनवरी को लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि पर देश भर में श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।

  • उनके समाधि स्थल विजय घाट (दिल्ली) पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
  • उनके नारे और विचार आज भी हर भारतीय को प्रेरणा देते हैं।

लाल बहादुर शास्त्री न केवल एक महान नेता थे, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने भारत को नैतिकता, दृढ़ता और सादगी का पाठ पढ़ाया। उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें याद करना उनके योगदान को नमन करने के समान है।


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