DAILY CURRENT AFFAIRS IN HINDI FOR UPSC IAS – Prelims And Mains Examination 2025 | 28 JANUARY 2025 – UPSC PRELIMS POINTER Fact Based Current Affairs
DAILY Current Affairs Analysis For UPSC Pre And Mains Examination
Daily Archiveपद्म पुरस्कार (Padma Awards) 2025 – UPSC Prelims Pointer
चर्चा में क्यों
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर, भारत सरकार ने वर्ष 2025 के पद्म पुरस्कारों की घोषणा की है। इस वर्ष कुल 106 व्यक्तियों को पद्म सम्मान से नवाजा गया है, जिसमें 6 को पद्म विभूषण, 9 को पद्म भूषण और 91 को पद्म श्री से सम्मानित किया गया है।
पद्म विभूषण प्राप्तकर्ता:
- मुलायम सिंह यादव (मरणोपरांत) – राजनीति
- बाबा रामदेव – योग और आयुर्वेद
- जाकिर हुसैन – कला (तबला)
- के. एम. बिड़ला – व्यापार और उद्योग
- सुधा मूर्ति – सामाजिक कार्य
- रवीना टंडन – कला (सिनेमा)
पद्म भूषण प्राप्तकर्ता:
- सत्य नडेला – प्रौद्योगिकी
- सुंदर पिचाई – प्रौद्योगिकी
- गुलाम नबी आजाद – सार्वजनिक सेवा
- विक्टर बनर्जी – कला (सिनेमा)
- चंद्रशेखर कंबारा – साहित्य
- सुमित्रा महाजन – सार्वजनिक सेवा
- निपेंद्र मिश्रा – सिविल सेवा
- रामविलास पासवान (मरणोपरांत) – सार्वजनिक सेवा
- केशुभाई पटेल (मरणोपरांत) – सार्वजनिक सेवा
पद्म श्री प्राप्तकर्ता:
पद्म श्री से सम्मानित 91 व्यक्तियों में विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित व्यक्तियों को शामिल किया गया है, जैसे कि साहित्य, कला, चिकित्सा, शिक्षा, खेल, सामाजिक कार्य आदि। इनमें से कुछ प्रमुख नाम हैं:
- विद्या बिंदु सिंह – साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए।
- सी. कमलोवा – हिंदी साहित्य और शिक्षा में योगदान के लिए।
इन पुरस्कारों के माध्यम से, भारत सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाले व्यक्तियों की सराहना की है। पद्म पुरस्कार देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक हैं, जो कला, साहित्य, शिक्षा, खेल, चिकित्सा, सामाजिक कार्य, विज्ञान, इंजीनियरिंग, सार्वजनिक सेवा, व्यापार और उद्योग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट और असाधारण उपलब्धियों के लिए प्रदान किए जाते हैं।
भारत में नागरिक पुरस्कार (Civilian Awards) देश के सर्वोच्च सम्मान माने जाते हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण और विशिष्ट योगदान देने वाले व्यक्तियों को प्रदान किए जाते हैं। नागरिक पुरस्कार मुख्यतः चार श्रेणियों में दिए जाते हैं। इनका उद्देश्य उन लोगों को सम्मानित करना है, जिन्होंने समाज, देश और मानवता के लिए उत्कृष्ट योगदान दिया है।
1. भारत रत्न (Bharat Ratna)
भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान।
- स्थापना: 1954 में।
- मकसद: यह पुरस्कार असाधारण योगदान के लिए दिया जाता है, जैसे कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा, और खेल।
- सम्मान: पुरस्कार में कोई मौद्रिक राशि नहीं दी जाती, बल्कि ताम्र पट्टिका और एक सनदी प्रमाणपत्र प्रदान किया जाता है।
- पहले प्राप्तकर्ता: डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी और डॉ. सी.वी. रमन।
- महत्वपूर्ण तथ्य:
- मरणोपरांत भी यह सम्मान दिया जा सकता है।
- अब तक 48 व्यक्तियों को यह सम्मान प्राप्त हुआ है।
2. पद्म पुरस्कार (Padma Awards)
पद्म पुरस्कार तीन श्रेणियों में दिए जाते हैं:
(i) पद्म विभूषण (Padma Vibhushan)
- उद्देश्य: असाधारण और विशिष्ट सेवाओं के लिए।
- क्षेत्र: कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा, खेल, शिक्षा, और चिकित्सा।
- महत्व: यह दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।
(ii) पद्म भूषण (Padma Bhushan)
- उद्देश्य: उच्च स्तर की विशिष्ट सेवाओं के लिए।
- क्षेत्र: विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान।
(iii) पद्म श्री (Padma Shri)
- उद्देश्य: विशिष्ट सेवाओं के लिए।
- क्षेत्र: समाज, खेल, कला, विज्ञान, साहित्य, और अन्य क्षेत्रों में योगदान।
- महत्व: यह चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- पद्म पुरस्कार 1954 में शुरू किए गए थे।
- हर साल गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर इनकी घोषणा होती है।
- पद्म पुरस्कार विजेताओं को राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया जाता है।
3. गांधी शांति पुरस्कार (Gandhi Peace Prize)
- स्थापना: 1995 में।
- उद्देश्य: शांति, अहिंसा, और सामाजिक कार्यों में योगदान देने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं को सम्मानित करना।
- सम्मान राशि: 1 करोड़ रुपये।
- महत्व: यह पुरस्कार महात्मा गांधी के आदर्शों को बढ़ावा देने के लिए दिया जाता है।
4. अन्य नागरिक सम्मान और पुरस्कार
(i) सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार
- स्थापना: 2018 में।
- उद्देश्य: आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान।
- सम्मान: व्यक्ति और संस्थान दोनों को दिया जाता है।
(ii) राष्ट्रीय बाल शक्ति पुरस्कार
- उद्देश्य: बच्चों द्वारा असाधारण उपलब्धियों के लिए।
- क्षेत्र: शिक्षा, खेल, कला, नवाचार, और बहादुरी।
(iii) इंदिरा गांधी शांति, निरस्त्रीकरण और विकास पुरस्कार
- उद्देश्य: शांति और विकास में योगदान के लिए।
महत्वपूर्ण बातें:
- नामांकन प्रक्रिया:
- किसी भी भारतीय नागरिक को इन पुरस्कारों के लिए नामांकित किया जा सकता है।
- नामांकन भारत सरकार की वेबसाइट के माध्यम से होता है।
- पुरस्कार वितरण:
- राष्ट्रपति भवन में आयोजित विशेष समारोह में राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किए जाते हैं।
- पुरस्कारों का महत्व:
- यह सम्मान देश के प्रति सेवा, कर्तव्य और योगदान को मान्यता देता है।
- विभिन्न क्षेत्रों के व्यक्तियों को प्रोत्साहन और प्रेरणा प्रदान करता है।
भारत में नागरिक पुरस्कार (Civilian Awards) देश के सर्वोच्च सम्मान माने जाते हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण और विशिष्ट योगदान देने वाले व्यक्तियों को प्रदान किए जाते हैं। नागरिक पुरस्कार मुख्यतः चार श्रेणियों में दिए जाते हैं। इनका उद्देश्य उन लोगों को सम्मानित करना है, जिन्होंने समाज, देश और मानवता के लिए उत्कृष्ट योगदान दिया है।
1. भारत रत्न (Bharat Ratna)
भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान।
- स्थापना: 1954 में।
- मकसद: यह पुरस्कार असाधारण योगदान के लिए दिया जाता है, जैसे कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा, और खेल।
- सम्मान: पुरस्कार में कोई मौद्रिक राशि नहीं दी जाती, बल्कि ताम्र पट्टिका और एक सनदी प्रमाणपत्र प्रदान किया जाता है।
- पहले प्राप्तकर्ता: डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी और डॉ. सी.वी. रमन।
- महत्वपूर्ण तथ्य:
- मरणोपरांत भी यह सम्मान दिया जा सकता है।
- अब तक 48 व्यक्तियों को यह सम्मान प्राप्त हुआ है।
2. पद्म पुरस्कार (Padma Awards)
पद्म पुरस्कार तीन श्रेणियों में दिए जाते हैं:
(i) पद्म विभूषण (Padma Vibhushan)
- उद्देश्य: असाधारण और विशिष्ट सेवाओं के लिए।
- क्षेत्र: कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा, खेल, शिक्षा, और चिकित्सा।
- महत्व: यह दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।
(ii) पद्म भूषण (Padma Bhushan)
- उद्देश्य: उच्च स्तर की विशिष्ट सेवाओं के लिए।
- क्षेत्र: विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान।
(iii) पद्म श्री (Padma Shri)
- उद्देश्य: विशिष्ट सेवाओं के लिए।
- क्षेत्र: समाज, खेल, कला, विज्ञान, साहित्य, और अन्य क्षेत्रों में योगदान।
- महत्व: यह चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- पद्म पुरस्कार 1954 में शुरू किए गए थे।
- हर साल गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर इनकी घोषणा होती है।
- पद्म पुरस्कार विजेताओं को राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया जाता है।
3. गांधी शांति पुरस्कार (Gandhi Peace Prize)
- स्थापना: 1995 में।
- उद्देश्य: शांति, अहिंसा, और सामाजिक कार्यों में योगदान देने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं को सम्मानित करना।
- सम्मान राशि: 1 करोड़ रुपये।
- महत्व: यह पुरस्कार महात्मा गांधी के आदर्शों को बढ़ावा देने के लिए दिया जाता है।
4. अन्य नागरिक सम्मान और पुरस्कार
(i) सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार
- स्थापना: 2018 में।
- उद्देश्य: आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान।
- सम्मान: व्यक्ति और संस्थान दोनों को दिया जाता है।
(ii) राष्ट्रीय बाल शक्ति पुरस्कार
- उद्देश्य: बच्चों द्वारा असाधारण उपलब्धियों के लिए।
- क्षेत्र: शिक्षा, खेल, कला, नवाचार, और बहादुरी।
(iii) इंदिरा गांधी शांति, निरस्त्रीकरण और विकास पुरस्कार
- उद्देश्य: शांति और विकास में योगदान के लिए।
महत्वपूर्ण बातें:
- नामांकन प्रक्रिया:
- किसी भी भारतीय नागरिक को इन पुरस्कारों के लिए नामांकित किया जा सकता है।
- नामांकन भारत सरकार की वेबसाइट के माध्यम से होता है।
- पुरस्कार वितरण:
- राष्ट्रपति भवन में आयोजित विशेष समारोह में राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किए जाते हैं।
- पुरस्कारों का महत्व:
- यह सम्मान देश के प्रति सेवा, कर्तव्य और योगदान को मान्यता देता है।
- विभिन्न क्षेत्रों के व्यक्तियों को प्रोत्साहन और प्रेरणा प्रदान करता है।
कुछ अन्य पुरस्कार
भारत में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता और योगदान को मान्यता देने के लिए कई पुरस्कार दिए जाते हैं। ये पुरस्कार राष्ट्रीय, राज्य, और संस्थागत स्तर पर दिए जाते हैं। प्रमुख पुरस्कार निम्नलिखित हैं:
1. नागरिक पुरस्कार (Civilian Awards)
ये पुरस्कार देश के सर्वोच्च सम्मान माने जाते हैं।
- भारत रत्न
- भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान।
- असाधारण सेवाओं के लिए कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा या खेल में योगदान के लिए प्रदान किया जाता है।
- पहला भारत रत्न 1954 में सरदार वल्लभभाई पटेल को दिया गया।
- पद्म पुरस्कार
- तीन श्रेणियों में दिया जाता है:
- पद्म विभूषण: असाधारण और विशिष्ट योगदान के लिए।
- पद्म भूषण: उच्च स्तर के योगदान के लिए।
- पद्म श्री: विशिष्ट योगदान के लिए।
- विभिन्न क्षेत्रों जैसे कला, साहित्य, विज्ञान, सामाजिक सेवा, व्यापार आदि में दिया जाता है।
- तीन श्रेणियों में दिया जाता है:
2. सैन्य पुरस्कार (Gallantry Awards)
ये पुरस्कार बहादुरी और वीरता के लिए दिए जाते हैं।
- परमवीर चक्र: युद्ध में वीरता के लिए सर्वोच्च सैन्य पुरस्कार।
- महावीर चक्र: युद्ध में विशिष्ट वीरता के लिए।
- वीर चक्र: युद्ध में साहस के लिए।
- अशोक चक्र: शांतिकाल में बहादुरी के लिए सर्वोच्च सम्मान।
3. साहित्य और शिक्षा पुरस्कार
- ज्ञानपीठ पुरस्कार: भारतीय भाषाओं के साहित्य में योगदान के लिए।
- साहित्य अकादमी पुरस्कार: साहित्य में उत्कृष्ट कार्य के लिए।
- शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रपति पुरस्कार: शिक्षकों के उत्कृष्ट योगदान के लिए।
4. खेल पुरस्कार (Sports Awards)
- राजीव गांधी खेल रत्न (अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न): खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए।
- अर्जुन पुरस्कार: खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन और योगदान के लिए।
- द्रोणाचार्य पुरस्कार: खेल कोचों के लिए।
- मेजर ध्यानचंद पुरस्कार: खेलों में आजीवन योगदान के लिए।
5. विज्ञान और प्रौद्योगिकी पुरस्कार
- शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार: विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता के लिए।
- कलाम युवा विज्ञान पुरस्कार: युवा वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने के लिए।
6. फिल्म और कला क्षेत्र के पुरस्कार
- दादा साहेब फाल्के पुरस्कार: भारतीय सिनेमा के क्षेत्र में आजीवन योगदान के लिए।
- राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार: फिल्मों के विभिन्न पहलुओं में उत्कृष्टता के लिए।
- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार: संगीत, नृत्य और नाटक के क्षेत्र में।
7. पर्यावरण और समाज सेवा पुरस्कार
- इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार: पर्यावरण संरक्षण में योगदान के लिए।
- मदर टेरेसा अवार्ड: समाज सेवा और मानवता के लिए।
8. बाल और युवा पुरस्कार
- राष्ट्रीय बाल शक्ति पुरस्कार: बच्चों को उनके असाधारण कार्यों के लिए।
- नेहरू बाल पुरस्कार: बच्चों में कला, साहित्य, और विज्ञान को प्रोत्साहित करने के लिए।
भारत का राजकोषीय समेकन ( India’s fiscal consolidation )
भारत का राजकोषीय समेकन (Fiscal Consolidation)
परिचय:
राजकोषीय समेकन का अर्थ है सरकार की वित्तीय स्थिति को स्थिर और मजबूत करने की प्रक्रिया, जिसमें राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) और सार्वजनिक ऋण (Public Debt) को नियंत्रित करना शामिल है। यह नीति एक स्वस्थ और टिकाऊ अर्थव्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए अपनाई जाती है।
राजकोषीय समेकन के प्रमुख लक्ष्य:
- राजकोषीय घाटे को कम करना:
- राजस्व और व्यय के बीच के अंतर को कम करके घाटे को नियंत्रित करना।
- पब्लिक डेब्ट प्रबंधन:
- सरकार के ऋण स्तर को इस प्रकार बनाए रखना कि यह GDP के अनुपात में स्थिर रहे।
- राजस्व संग्रह में सुधार:
- कर-ग्रहण (Tax Revenue) और गैर-कर राजस्व (Non-Tax Revenue) बढ़ाने के उपाय।
- व्यय की गुणवत्ता में सुधार:
- फालतू खर्चों को कम करना और विकासात्मक परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करना।
भारत में राजकोषीय समेकन की आवश्यकता:
- उच्च राजकोषीय घाटा:
- भारत का राजकोषीय घाटा GDP का बड़ा हिस्सा है। इसे नियंत्रित करना आवश्यक है ताकि अर्थव्यवस्था स्थिर बनी रहे।
- सरकारी ऋण का बढ़ता स्तर:
- सार्वजनिक ऋण को GDP के 60% के भीतर रखना वित्तीय स्थिरता के लिए आवश्यक है।
- महँगाई नियंत्रण:
- राजकोषीय असंतुलन मुद्रास्फीति (Inflation) बढ़ा सकता है, जो अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है।
- ब्याज दरों पर दबाव:
- घाटे को कम करने से ब्याज दरें कम होती हैं, जिससे निजी निवेश को बढ़ावा मिलता है।
भारत में राजकोषीय समेकन के प्रयास:
- राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम (FRBM Act), 2003:
- यह कानून सरकार को राजकोषीय घाटे और सार्वजनिक ऋण को सीमित करने के लिए बाध्य करता है।
- FRBM के तहत राजकोषीय घाटे को GDP के 3% तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा गया है।
- वित्तीय सुधार:
- वस्तु और सेवा कर (GST) जैसे सुधारों ने राजस्व संग्रह में पारदर्शिता और स्थिरता लाई।
- डिजिटल भुगतान और कर अनुपालन में सुधार ने राजस्व बढ़ाने में मदद की।
- आर्थिक प्रोत्साहन के साथ समेकन:
- COVID-19 महामारी के दौरान सरकार ने राजकोषीय समेकन की रणनीतियों को लचीला बनाते हुए अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन पैकेज दिए।
- नवीन योजनाएँ:
- राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (NMP): सरकारी परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण करके राजस्व बढ़ाने की योजना।
- व्यय प्रबंधन आयोग: सरकार के व्यय को कुशल और प्रभावी बनाने के लिए।
- मध्यम अवधि का राजकोषीय रोडमैप:
- भारत ने 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को GDP के 4.5% तक लाने का लक्ष्य रखा है।
FRBM अधिनियम, 2003 (Fiscal Responsibility and Budget Management Act, 2003):
FRBM अधिनियम का उद्देश्य सरकार की वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित करना और राजकोषीय अनुशासन को बढ़ावा देना है। इसे भारत सरकार ने 2003 में लागू किया, ताकि राजकोषीय घाटा और सार्वजनिक ऋण को नियंत्रित किया जा सके और अर्थव्यवस्था को वित्तीय स्थिरता प्रदान की जा सके।
FRBM अधिनियम के प्रमुख उद्देश्य:
- राजकोषीय घाटा कम करना:
- सरकार को राजकोषीय घाटे को GDP के 3% तक सीमित करने के लिए निर्देशित करता है।
- राजस्व घाटा खत्म करना:
- सरकार को अपने कुल खर्चों को अपने कुल राजस्व से पूरा करने की दिशा में काम करने का प्रावधान।
- सार्वजनिक ऋण प्रबंधन:
- सरकार के कुल ऋण को GDP के एक सुरक्षित स्तर पर सीमित करना।
- पारदर्शिता बढ़ाना:
- सरकार को बजट और राजकोषीय डेटा को पारदर्शी रूप से प्रस्तुत करने की आवश्यकता।
एन.के. सिंह समिति की सिफारिशें (2016):
FRBM अधिनियम में समयानुसार सुधार की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, 2016 में एन.के. सिंह की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया। समिति ने कई महत्वपूर्ण सिफारिशें दीं:
1. राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) का लक्ष्य:
- लक्ष्य: 2022-23 तक राजकोषीय घाटे को GDP के 2.5% तक सीमित करने का सुझाव।
- लचीलापन: राजकोषीय घाटे को प्रबंधित करने में थोड़ी लचीलापन की अनुमति दी जाए, जैसे प्राकृतिक आपदा या आर्थिक मंदी के दौरान।
2. सार्वजनिक ऋण (Public Debt) प्रबंधन:
- सार्वजनिक ऋण का लक्ष्य:
- केंद्र सरकार का ऋण 2022-23 तक GDP का 40% तक सीमित किया जाए।
- कुल सरकारी ऋण (केंद्र और राज्य) GDP के 60% से अधिक न हो।
3. राजस्व घाटा (Revenue Deficit):
- राजस्व घाटे को पूरी तरह समाप्त करने और इसे प्राथमिकता देने की सिफारिश।
4. राजकोषीय नीति के लिए एक नई रूपरेखा:
- मध्यम अवधि का राजकोषीय रोडमैप:
- सरकार को तीन वर्षों के लिए एक विस्तृत वित्तीय रोडमैप प्रस्तुत करना चाहिए।
- राजकोषीय परिषद (Fiscal Council) का गठन:
- एक स्वतंत्र निकाय की स्थापना हो, जो सरकार की राजकोषीय नीतियों की निगरानी करे और पारदर्शिता सुनिश्चित करे।
5. राजकोषीय घाटे में लचीलापन:
- कुछ परिस्थितियों में (जैसे मंदी, युद्ध, या प्राकृतिक आपदा), राजकोषीय घाटे के लक्ष्य में 0.5% तक का लचीलापन दिया जाए।
6. सामाजिक और पूंजीगत व्यय का संरक्षण:
- सामाजिक कल्याण और बुनियादी ढाँचे पर व्यय को बनाए रखते हुए राजकोषीय घाटे को कम किया जाए।
7. उभरती चुनौतियों का समाधान:
- डिजिटल अर्थव्यवस्था, जलवायु परिवर्तन, और वैश्विक वित्तीय अस्थिरता जैसे मुद्दों को ध्यान में रखते हुए राजकोषीय रणनीतियाँ बनाई जाएँ।
एन.के. सिंह समिति की सिफारिशों का महत्व:
- वित्तीय अनुशासन:
- सरकार को अपने व्यय और राजस्व के प्रबंधन में अधिक जिम्मेदार बनाना।
- आर्थिक स्थिरता:
- राजकोषीय घाटे और ऋण को नियंत्रित करके भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिर और टिकाऊ बनाना।
- पारदर्शिता:
- बजट और वित्तीय योजनाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
- सामाजिक और विकासशील व्यय का संतुलन:
- बुनियादी ढाँचे और सामाजिक कल्याण पर खर्च को बनाए रखना।
- वैश्विक निवेश आकर्षित करना:
- भारत की क्रेडिट रेटिंग में सुधार कर विदेशी निवेश को आकर्षित करना।
राजकोषीय समेकन के लाभ:
- आर्थिक स्थिरता:
- सरकारी व्यय और राजस्व में संतुलन बनाए रखने से अर्थव्यवस्था स्थिर होती है।
- मुद्रास्फीति पर नियंत्रण:
- घाटा कम होने से मुद्रास्फीति नियंत्रित रहती है।
- निजी निवेश में बढ़ोतरी:
- ब्याज दरें कम होने से निजी क्षेत्र को सस्ता ऋण मिलता है।
- क्रेडिट रेटिंग में सुधार:
- नियंत्रित घाटा भारत की क्रेडिट रेटिंग में सुधार करता है, जिससे विदेशी निवेश आकर्षित होता है।
- आने वाली पीढ़ियों पर ऋण भार कम करना:
- सार्वजनिक ऋण कम होने से भविष्य की पीढ़ियों पर बोझ घटता है।
भारत के सामने चुनौतियाँ:
- महामारी का प्रभाव:
- COVID-19 के कारण राजस्व संग्रह घटा और खर्च बढ़ा, जिससे राजकोषीय घाटा बढ़ गया।
- सामाजिक कल्याण योजनाओं का दबाव:
- गरीबी, शिक्षा, और स्वास्थ्य के क्षेत्र में खर्च बढ़ाने की आवश्यकता।
- बुनियादी ढाँचे में निवेश:
- देश के विकास के लिए भारी निवेश की आवश्यकता है, जो वित्तीय समेकन में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
- विकास और समेकन में संतुलन:
- एक ओर विकास की गति बनाए रखना और दूसरी ओर वित्तीय स्थिरता।
- राज्यों का राजकोषीय घाटा:
- राज्यों का वित्तीय घाटा भी एक प्रमुख चुनौती है।
आगे का रास्ता:
- राजस्व संग्रह बढ़ाना:
- कर आधार का विस्तार और कर अनुपालन में सुधार।
- संपत्ति मुद्रीकरण:
- सरकारी परिसंपत्तियों का बेहतर उपयोग करके राजस्व जुटाना।
- डिजिटल तकनीकों का उपयोग:
- डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग कर सरकारी योजनाओं और कर संग्रह को पारदर्शी बनाना।
- राज्यों के साथ सहयोग:
- केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर समन्वय से राजकोषीय लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है।
निष्कर्ष:
भारत का राजकोषीय समेकन एक जटिल लेकिन आवश्यक प्रक्रिया है। यह देश को आर्थिक स्थिरता, विकास, और सामाजिक कल्याण के बीच संतुलन बनाने में मदद करता है। सरकार को वित्तीय अनुशासन बनाए रखते हुए सामाजिक और बुनियादी ढाँचे के विकास में निवेश करना होगा। टिकाऊ आर्थिक विकास के लिए वित्तीय समेकन का रोडमैप सफलतापूर्वक लागू करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
भारत का 76वाँ गणतंत्र दिवस ( India’s 76th Republic Day )
भारत का 76वाँ गणतंत्र दिवस:
दिनांक: 26 जनवरी 2025
मुख्य अतिथि: इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो
76वें गणतंत्र दिवस का महत्व
- इतिहास में प्रमुख:
26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था, जिससे भारत एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य बना। 2025 में 76वाँ गणतंत्र दिवस भारत के संवैधानिक मूल्यों और लोकतंत्र की गहराई को दर्शाता है। - विशेषता:
76वाँ गणतंत्र दिवस, “अमृत काल” (भारत की स्वतंत्रता के 100वें वर्ष तक की यात्रा) के अंतर्गत मनाया गया, जिसमें विकास और वैश्विक नेतृत्व पर जोर दिया गया।
कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ
- प्रमुख झलकियाँ:
- राजपथ (अब कर्तव्य पथ) पर परेड:
- भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना की शक्ति और आधुनिक तकनीकों का प्रदर्शन।
- स्वदेशी हथियार प्रणाली जैसे अर्जुन टैंक, तेजस फाइटर जेट, और अग्नि मिसाइल प्रदर्शित किए गए।
- महिला अधिकारियों ने प्रमुख स्थानों पर परेड का नेतृत्व किया।
- झाँकियाँ:
- राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अपनी सांस्कृतिक धरोहर और विकास योजनाओं को प्रस्तुत किया।
- हरियाणा की झाँकी में महिला सशक्तिकरण और हरित क्रांति को प्रदर्शित किया गया।
- पूर्वोत्तर भारत की झाँकी ने जैव विविधता और पारंपरिक शिल्प को उजागर किया।
- राष्ट्रीय थीम:
- 2025 की थीम थी: “सतत विकास और हरित भविष्य”।
- नवीकरणीय ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन से निपटने और हरित प्रौद्योगिकी पर विशेष जोर।
- राजपथ (अब कर्तव्य पथ) पर परेड:
- अंतर्राष्ट्रीय मेहमान:
- इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो मुख्य अतिथि थे।
- यह भारत और इंडोनेशिया के बीच बढ़ते सामरिक और आर्थिक सहयोग का प्रतीक है।
- राष्ट्रपति प्रबोवो ने भारत की “वसुधैव कुटुम्बकम्” (विश्व एक परिवार है) की अवधारणा की सराहना की।
- राष्ट्रपति का संबोधन:
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने भाषण में:
- “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास” पर जोर दिया।
- भारत की वैश्विक नेतृत्व क्षमता, नवीकरणीय ऊर्जा और हरित विकास के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने भाषण में:
- सांस्कृतिक प्रदर्शन:
- 1200 से अधिक छात्रों ने पारंपरिक और आधुनिक नृत्य प्रस्तुत किए।
- भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
- वायुसेना का फ्लाई-पास्ट:
- वायुसेना के 50 से अधिक विमानों ने फ्लाई-पास्ट किया।
- नए शामिल किए गए रफाल और तेजस लड़ाकू विमानों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
- सूर्यकिरण एरोबैटिक टीम ने तिरंगे का अद्भुत प्रदर्शन किया।
76वें गणतंत्र दिवस की उपलब्धियाँ और संदेश
- सामरिक और रक्षा क्षेत्र में उन्नति:
- स्वदेशी हथियार प्रणालियाँ भारत की आत्मनिर्भरता और रक्षा क्षेत्र में बढ़ते कदमों को दर्शाती हैं।
- समुद्री सुरक्षा और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सक्रिय भूमिका।
- वैश्विक नेतृत्व:
- भारत की G20 अध्यक्षता और वैश्विक मंच पर उसकी भूमिका को रेखांकित किया गया।
- “वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर” का संदेश भारत की समावेशी दृष्टि को दर्शाता है।
- हरित ऊर्जा और सतत विकास:
- हरित ऊर्जा पर बढ़ते निवेश और जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों को उजागर किया गया।
- भारत का 2070 तक “नेट-जीरो” लक्ष्य।
- महिला सशक्तिकरण:
- परेड में महिला अधिकारियों और महिला झाँकियों की भागीदारी ने महिला सशक्तिकरण को नई ऊँचाई दी।
चुनौतियाँ और आगे का मार्ग
- आर्थिक असमानता:
- आर्थिक असमानता को दूर करने और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास पर ध्यान देने की आवश्यकता।
- जलवायु परिवर्तन:
- सतत विकास के लक्ष्यों को तेजी से लागू करने की चुनौती।
- सामरिक चुनौतियाँ:
- हिंद महासागर क्षेत्र और भारत-चीन सीमा पर तनाव।
निष्कर्ष
76वाँ गणतंत्र दिवस भारत की विविधता, शक्ति, और प्रगति का प्रतीक था। यह दिन हमें हमारे संवैधानिक मूल्यों और लोकतांत्रिक परंपराओं को याद दिलाता है। भारत अपनी विकास यात्रा में न केवल आर्थिक और सामरिक क्षेत्र में बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक उन्नति में भी नए मील के पत्थर स्थापित कर रहा है।
Paris Agreement – Prelims Pointer 2025
पेरिस समझौता:
पेरिस समझौता 2015 में संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के तहत जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक ऐतिहासिक समझौता है। यह समझौता ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने और हरित ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक स्तर पर देशों को जोड़ता है।
पेरिस समझौते के उद्देश्य
- ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करना:
- औसत वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 2°C से कम तक सीमित करना।
- 1.5°C तक तापमान वृद्धि को सीमित करने का प्रयास करना, जो अधिक संवेदनशील देशों के लिए जरूरी है।
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी:
- देशों को ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए लक्ष्य (NDCs – Nationally Determined Contributions) निर्धारित करना।
- यह सुनिश्चित करना कि वैश्विक उत्सर्जन 2050 तक नेट-जीरो (Net Zero) हो।
- वित्तीय सहायता:
- विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने और नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करना।
- हर साल $100 बिलियन का फंड जुटाने का लक्ष्य।
- जलवायु अनुकूलन:
- जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए अनुकूलन रणनीतियाँ विकसित करना।
- विकासशील और कमजोर देशों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करना।
भारत की भूमिका
- उत्सर्जन में कमी का लक्ष्य:
- 2030 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन तीव्रता को 33-35% तक कम करना।
- 50% ऊर्जा उत्पादन को नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त करने का लक्ष्य।
- हरित ऊर्जा का विस्तार:
- भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सौर ऊर्जा उत्पादक देश बन गया है।
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) की स्थापना भारत द्वारा की गई।
- कार्बन सिंक:
- 2030 तक 2.5-3 बिलियन टन CO2 के बराबर कार्बन सिंक बनाने का लक्ष्य।
- वृक्षारोपण और वन संरक्षण को बढ़ावा देना।
हालिया घटनाक्रम
- जलवायु आपातकाल:
- 2024 को अब तक का सबसे गर्म वर्ष घोषित किया गया।
- समुद्र के स्तर में वृद्धि और ग्लेशियर पिघलने से अधिक खतरे सामने आए हैं।
- नेट जीरो की ओर प्रयास:
- कई देशों ने 2050 तक नेट-जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य तय किया है।
- भारत ने 2070 तक नेट-जीरो का वादा किया है।
- विकसित और विकासशील देशों के बीच विवाद:
- विकसित देशों से वादा किया गया वित्तीय सहयोग अभी तक पूरी तरह से नहीं मिला।
- जलवायु न्याय (Climate Justice) की मांग जोर पकड़ रही है।
- कार्बन क्रेडिट और व्यापार:
- कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए कार्बन क्रेडिट का व्यापार बढ़ रहा है।
पेरिस समझौते के महत्व
- जलवायु परिवर्तन से लड़ाई का आधार:
- यह पहली बार है जब लगभग सभी देशों ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कदम उठाने के लिए एकजुटता दिखाई है।
- स्थिरता और हरित विकास:
- नवीकरणीय ऊर्जा और हरित प्रौद्योगिकियों में निवेश को प्रोत्साहित करना।
- भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रयास:
- ग्लोबल वार्मिंग के खतरों को कम करके पृथ्वी को एक सुरक्षित जगह बनाने का प्रयास।
निष्कर्ष
पेरिस समझौता जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एक मील का पत्थर है। हालाँकि, इसके लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सभी देशों को अपनी प्रतिबद्धताओं पर तेजी से काम करना होगा। विकसित देशों को वित्तीय सहायता और तकनीकी समर्थन में अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करना होगा। यह समझौता न केवल पर्यावरण के संरक्षण का मुद्दा है, बल्कि यह एक स्थायी और समावेशी विकास का मार्ग भी प्रदान करता है।
India Indonesia Relation
चर्चा में क्यों
हाल ही में भारत और इंडोनेशिया के संबंधों में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। 25 जनवरी 2025 को, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति महामहिम प्रबोवो सुबियांटो ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस दौरान दोनों देशों ने स्वास्थ्य, रक्षा, डिजिटल प्रौद्योगिकी और समुद्री मामलों में सहयोग बढ़ाने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो भारत के 76वें गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि भी थे, जो दोनों देशों के बीच बढ़ते संबंधों का प्रतीक है।
भारत-इंडोनेशिया संबंध:
भारत और इंडोनेशिया के बीच संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और रणनीतिक दृष्टि से गहरे हैं। हाल के घटनाक्रमों ने इन संबंधों को और मजबूत किया है।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि
- सांस्कृतिक जुड़ाव:
- भारत और इंडोनेशिया का संबंध प्राचीन काल से है। हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म ने इंडोनेशिया की सांस्कृतिक विरासत पर गहरी छाप छोड़ी है।
- इंडोनेशिया के “बाली” द्वीप पर हिंदू धर्म का प्रभाव आज भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
- रामायण और महाभारत की कहानियाँ इंडोनेशिया की लोक परंपराओं और कला में रची-बसी हैं।
- आधुनिक संबंध:
- भारत ने 1949 में इंडोनेशिया की स्वतंत्रता को मान्यता दी और 1950 में औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित किए।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भारत-इंडोनेशिया संबंध
1. रणनीतिक साझेदारी
- 2005 में भारत और इंडोनेशिया ने रणनीतिक साझेदारी की स्थापना की।
- 2018 में इस साझेदारी को समग्र रणनीतिक साझेदारी (Comprehensive Strategic Partnership) का दर्जा दिया गया।
2. रक्षा और सुरक्षा सहयोग
- समुद्री सुरक्षा:
- हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region) में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दोनों देशों ने सहयोग बढ़ाया है।
- 2023 में IND-INDO CORPAT (Coordinated Patrol) नौसेना अभ्यास सफलतापूर्वक किया गया।
- आतंकवाद विरोधी प्रयास:
- साइबर सुरक्षा और डी-रेडिकलाइजेशन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
- हालिया समझौते:
- 25 जनवरी 2025 को, नई दिल्ली में दोनों देशों ने रक्षा, डिजिटल तकनीक और समुद्री सुरक्षा पर कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
- इंडोनेशिया ने भारत से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल खरीदने की बातचीत शुरू की है। सौदा $200 मिलियन से $350 मिलियन के बीच हो सकता है।
3. व्यापार और आर्थिक संबंध
- 2022-23 में द्विपक्षीय व्यापार लगभग 45 अरब डॉलर तक पहुँच गया।
- मुख्य उत्पाद:
- भारत से इंडोनेशिया: कपड़ा, फार्मास्यूटिकल्स, मशीनरी।
- इंडोनेशिया से भारत: कोयला, ताड़ का तेल (Palm Oil), रबर।
- नया समझौता:
- 25 जनवरी 2025 को दोनों देशों ने स्वास्थ्य, हरित ऊर्जा, और डिजिटल अर्थव्यवस्था में सहयोग के लिए नए समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
4. सांस्कृतिक और जन-जन संपर्क
- 2023 में इंडोनेशिया की रामायण मंडली ने भारत के विभिन्न शहरों में प्रदर्शन किया।
- भारत इंडोनेशियाई छात्रों को आईसीसीआर (Indian Council for Cultural Relations) के तहत छात्रवृत्ति प्रदान कर रहा है।
5. हालिया प्रमुख घटनाएँ
- राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो का दौरा (जनवरी 2025):
- इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो भारत के 76वें गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि थे।
- उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और दीर्घकालिक आर्थिक और सामरिक साझेदारी पर चर्चा की।
- राष्ट्रपति प्रबोवो ने ब्रिक्स (BRICS) समूह में इंडोनेशिया के प्रवेश के लिए भारत के समर्थन के प्रति आभार व्यक्त किया।
- नया समझौता:
- रक्षा उत्पादन, आपूर्ति श्रृंखला और हरित ऊर्जा के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी।
भविष्य की दिशा
- दोनों देश इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए सहयोग कर रहे हैं।
- नवीकरणीय ऊर्जा, पर्यावरण संरक्षण, और ब्लू इकॉनमी में भागीदारी की व्यापक संभावनाएँ हैं।
- इंडोनेशिया 2045 तक विकसित राष्ट्र बनने की योजनाओं में भारत को महत्वपूर्ण भागीदार मानता है।
निष्कर्ष
भारत और इंडोनेशिया के बीच संबंध न केवल भौगोलिक समीपता पर आधारित हैं, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जुड़ाव, आर्थिक सहयोग, और सामरिक साझेदारी भी इन रिश्तों को गहराई देते हैं। हालिया घटनाएँ इन संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं।
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