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Daily Current Affairs For UPSC IAS | 26 January 2025

DAILY CURRENT AFFAIRS IN HINDI FOR UPSC IAS – Prelims And Mains Examination 2025 | 26 JANUARY 2025 – UPSC PRELIMS POINTER Fact Based Current Affairs


DAILY Current Affairs Analysis For UPSC Pre And Mains Examination

Daily Archive

राष्ट्रीय मतदाता दिवस: लोकतंत्र का उत्सव ( NATIONAL VOTERS’ DAY )

राष्ट्रीय मतदाता दिवस: लोकतंत्र का उत्सव

प्रसंग:
हर वर्ष 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भारत के चुनाव आयोग (ECI) की स्थापना का प्रतीक है, जिसकी स्थापना 25 जनवरी 1950 को हुई थी। इस दिन का उद्देश्य नागरिकों को उनके मताधिकार के महत्व के प्रति जागरूक करना और लोकतंत्र में उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित करना है।


राष्ट्रीय मतदाता दिवस का महत्व

  1. लोकतंत्र की मजबूती:
    • यह दिवस नागरिकों को उनके संवैधानिक अधिकार और कर्तव्यों की याद दिलाता है।
    • मताधिकार का प्रयोग लोकतंत्र की नींव है।
  2. युवा मतदाताओं को जोड़ना:
    • 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले नए मतदाताओं को चुनाव आयोग द्वारा मतदाता पहचान पत्र प्रदान किया जाता है।
    • युवा वर्ग को राजनीति और मतदान के प्रति जागरूक करना।
  3. चुनाव प्रक्रिया का प्रचार:
    • मतदाताओं को निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया के बारे में जानकारी देना।

2025 का विषय (थीम):

“सशक्त मतदाता, सशक्त लोकतंत्र”

  • यह विषय मतदाताओं को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करने पर केंद्रित है।

भारत का चुनाव आयोग (Election Commission of India):

  1. स्थापना:
    • 25 जनवरी 1950 को संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत।
  2. भूमिका और कार्य:
    • भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना।
    • चुनाव आचार संहिता का पालन सुनिश्चित करना।
    • राजनीतिक दलों का पंजीकरण और निगरानी।
    • ईवीएम और वीवीपैट का उपयोग।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. पहला आम चुनाव:
    • 1951-52 में आयोजित।
  2. सबसे बड़ा लोकतंत्र:
    • भारत में दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रणाली है।
  3. ईवीएम और वीवीपैट का उपयोग:
    • 2000 के दशक में ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) का उपयोग शुरू हुआ।
    • 2013 में वीवीपैट (वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) को जोड़ा गया।

राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर आयोजित गतिविधियाँ:

  1. जागरूकता अभियान:
    • मतदान के महत्व को बताने के लिए रैलियाँ और कार्यक्रम।
  2. सम्मान:
    • सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले चुनाव अधिकारियों और स्वयंसेवकों को सम्मानित करना।
  3. युवा मतदाताओं का पंजीकरण:
    • 18 वर्ष के नए मतदाताओं को पहचान पत्र प्रदान करना।
  4. डिजिटल प्लेटफॉर्म:
    • चुनाव आयोग द्वारा ऑनलाइन पंजीकरण और जानकारी प्रदान करने वाले पोर्टल्स।

चुनौतियाँ और समाधान:

चुनौतियाँ:

  1. कम मतदान दर:
    • शहरी क्षेत्रों और मध्यम वर्ग में मतदान की कमी।
  2. जानकारी की कमी:
    • ग्रामीण क्षेत्रों में मतदाताओं को चुनाव प्रक्रिया की जानकारी का अभाव।
  3. भ्रष्टाचार और दवाब:
    • चुनावों में धनबल और बाहुबल का उपयोग।

समाधान:

  1. शिक्षा और जागरूकता अभियान:
    • प्रत्येक नागरिक को मतदान के अधिकार और प्रक्रिया की जानकारी देना।
  2. तकनीकी सुधार:
    • ऑनलाइन पंजीकरण और डिजिटल मतदान की सुविधा।
  3. सख्त नियम:
    • चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और सख्त कानूनों का पालन।

आगे की राह:

  1. युवाओं की भागीदारी:
    • युवा मतदाताओं को सक्रिय रूप से राजनीति में भाग लेने के लिए प्रेरित करना।
  2. डिजिटल इंडिया:
    • मतदाता सूची को डिजिटली अपडेट करना।
  3. लैंगिक समानता:
    • महिला मतदाताओं की भागीदारी को बढ़ावा देना।
  4. शिक्षा प्रणाली:
    • स्कूल और कॉलेज स्तर पर मतदान और लोकतंत्र के महत्व को पढ़ाना।

निष्कर्ष:

राष्ट्रीय मतदाता दिवस भारत के लोकतंत्र का उत्सव है। यह दिन नागरिकों को उनके मताधिकार के महत्व का स्मरण कराता है और उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए प्रेरित करता है। “सशक्त मतदाता, सशक्त लोकतंत्र” के संदेश के साथ, भारत का चुनाव आयोग एक समावेशी और सशक्त लोकतंत्र के निर्माण के लिए कार्यरत है।

ओडिशा के भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान में मगरमच्छों की जनसंख्या में वृद्धि : 2025 ( BHITARKANIKA NATIONAL PARK )

ओडिशा के भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान में खारे पानी के मगरमच्छों की जनसंख्या में वृद्धि: 2025

प्रसंग:
ओडिशा के भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान में खारे पानी के मगरमच्छों की जनसंख्या में 2025 में मामूली वृद्धि देखी गई है। हाल ही में वार्षिक सरीसृप जनगणना के दौरान वन अधिकारियों ने 1,826 मगरमच्छों को गिना, जबकि 2024 में यह संख्या 1,811 थी।


भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान का परिचय:

  1. स्थान:
    • ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले में स्थित।
    • भारत का दूसरा सबसे बड़ा मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र।
  2. महत्व:
    • खारे पानी के मगरमच्छों का प्राकृतिक आवास।
    • रामसर साइट: 2002 में इसे रामसर आर्द्रभूमि का दर्जा मिला।
    • जैव विविधता में समृद्ध क्षेत्र।
  3. विशेषताएँ:
    • मगरमच्छों की प्रमुख प्रजाति: खारे पानी के मगरमच्छ (Crocodylus porosus)।
    • प्रवासी पक्षियों, किंगफिशर, और विभिन्न मछली प्रजातियों का निवास।

मगरमच्छों की जनसंख्या में वृद्धि के कारण:

  1. संरक्षण प्रयास:
    • राष्ट्रीय उद्यान में सख्त सुरक्षा उपाय।
    • शिकार और अवैध गतिविधियों पर रोक।
  2. प्राकृतिक आवास का संरक्षण:
    • मैंग्रोव वन और नदियों का संरक्षण।
  3. सामुदायिक भागीदारी:
    • स्थानीय समुदायों को जागरूक करना।
  4. खाद्य शृंखला का संतुलन:
    • मगरमच्छों को पर्याप्त भोजन की उपलब्धता।

आकड़ों का विश्लेषण:

वर्षजनसंख्या (मगरमच्छ)
20241,811
20251,826
  • वृद्धि:
    • 2024 की तुलना में 15 मगरमच्छों की वृद्धि।

भितरकनिका और पर्यावरणीय महत्व:

  1. मैंग्रोव वन और पारिस्थितिकी:
    • तटीय क्षरण को रोकता है।
    • जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करता है।
  2. प्राकृतिक संतुलन:
    • मगरमच्छ खाद्य शृंखला के शीर्ष पर रहते हैं।
    • मछलियों और अन्य प्रजातियों की आबादी को नियंत्रित करते हैं।

चुनौतियाँ:

  1. जलवायु परिवर्तन:
    • समुद्र के बढ़ते जल स्तर से मैंग्रोव वन प्रभावित हो रहे हैं।
  2. मानव-वन्यजीव संघर्ष:
    • मगरमच्छों और स्थानीय निवासियों के बीच संघर्ष की घटनाएँ।
  3. आवास ह्रास:
    • वनों की कटाई और औद्योगिक गतिविधियों से प्राकृतिक आवास को नुकसान।

संरक्षण के लिए कदम:

  1. नीतिगत समर्थन:
    • मजबूत वन्यजीव संरक्षण कानून।
    • राष्ट्रीय उद्यान के लिए अतिरिक्त वित्तीय सहायता।
  2. जागरूकता अभियान:
    • स्थानीय निवासियों और पर्यटकों को मगरमच्छों और उनके पारिस्थितिकी तंत्र की जानकारी देना।
  3. वैज्ञानिक अनुसंधान:
    • मगरमच्छों की जीवनशैली और प्रजनन पर अध्ययन।
    • डेटा आधारित संरक्षण योजना।

निष्कर्ष:

भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान में खारे पानी के मगरमच्छों की बढ़ती जनसंख्या भारत के संरक्षण प्रयासों की सफलता को दर्शाती है। हालांकि, जलवायु परिवर्तन और मानव हस्तक्षेप जैसी चुनौतियों को दूर करना आवश्यक है। स्थानीय समुदायों और सरकार के संयुक्त प्रयासों से इस अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र का दीर्घकालिक संरक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है।

बालिकाओं से संबंधित योजनाएँ ( SCHEMES RELATED TO GIRL CHILD )

राष्ट्रीय बालिका दिवस:

संदर्भ

राष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल 24 जनवरी को मनाया जाता है। यह महिला और बाल विकास मंत्रालय की एक पहल है, जिसका उद्देश्य समाज में बालिकाओं के प्रति जागरूकता फैलाना और उनकी भलाई के लिए काम करना है। इस दिन को बालिकाओं की समानता, उनके अधिकारों और शिक्षा के महत्व को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है।


राष्ट्रीय बालिका दिवस का उद्देश्य:

  1. लैंगिक असमानता को समाप्त करना:
    • समाज में मौजूद लैंगिक भेदभाव को खत्म करना और महिलाओं को समान अवसर देना।
  2. शिक्षा का अधिकार:
    • बालिकाओं की शिक्षा के महत्व को समझाना और उन्हें शिक्षित करने के लिए प्रेरित करना।
  3. स्वास्थ्य और पोषण:
    • बालिकाओं को उचित पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ दिलाना।
  4. बाल विवाह की रोकथाम:
    • बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करना।
  5. सुरक्षा:
    • बालिकाओं की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाना।

2025 का विषय (थीम):

2025 के राष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम है: “लड़कियों का सशक्तिकरण: शिक्षा, सुरक्षा और समान अवसर”।


बालिकाओं के लिए प्रमुख सरकारी योजनाएँ

भारत सरकार और राज्य सरकारें बालिकाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए विभिन्न योजनाएँ चला रही हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य बालिकाओं को समान अवसर प्रदान करना और समाज में उनकी स्थिति को मजबूत बनाना है। नीचे बालिकाओं के लिए प्रमुख योजनाओं की सूची और उनके विवरण दिए गए हैं:


1. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना

  • लॉन्च वर्ष: 2015
  • उद्देश्य:
    • लड़कियों के प्रति घटते लिंगानुपात में सुधार।
    • बालिकाओं को शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करना।
  • प्रमुख कार्य:
    • जागरूकता अभियान चलाना।
    • कन्या भ्रूण हत्या पर रोक लगाना।
    • बालिकाओं की शिक्षा को प्रोत्साहन।

2. सुकन्या समृद्धि योजना (SSY)

  • लॉन्च वर्ष: 2015
  • उद्देश्य:
    • बालिकाओं के लिए आर्थिक बचत को बढ़ावा देना।
  • प्रमुख विशेषताएँ:
    • बालिका के नाम पर खाता खोलने की सुविधा।
    • न्यूनतम राशि: ₹250, अधिकतम ₹1,50,000 वार्षिक।
    • 21 वर्ष के बाद या विवाह के समय पूरी राशि निकाली जा सकती है।
    • आयकर में छूट।

3. राजश्री योजना (राजस्थान)

  • लॉन्च वर्ष: 2016
  • उद्देश्य:
    • बालिकाओं के जन्म और उनकी शिक्षा को बढ़ावा देना।
  • प्रमुख लाभ:
    • बालिका के जन्म पर ₹2,500।
    • कक्षा 1 में प्रवेश पर ₹4,000।
    • कक्षा 6, 10 और 12 में उत्तीर्ण होने पर प्रोत्साहन राशि।

4. मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना (उत्तर प्रदेश)

  • लॉन्च वर्ष: 2019
  • उद्देश्य:
    • बालिकाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा और कल्याण को सुनिश्चित करना।
  • प्रमुख लाभ:
    • बालिका के जन्म पर ₹2,000।
    • नियमित टीकाकरण पर ₹1,000।
    • कक्षा 1, 6, 9, और 12 में उत्तीर्ण होने पर प्रोत्साहन।
    • स्नातक के लिए ₹5,000 तक।

5. मुख्यमंत्री लाडली लक्ष्मी योजना (मध्य प्रदेश)

  • लॉन्च वर्ष: 2007
  • उद्देश्य:
    • बालिका शिक्षा और सशक्तिकरण को बढ़ावा देना।
  • प्रमुख लाभ:
    • बालिका के जन्म पर सरकारी सहायता।
    • प्रत्येक कक्षा उत्तीर्ण करने पर छात्रवृत्ति।
    • स्नातक स्तर पर ₹1,00,000 तक।

6. किशोरी शक्ति योजना

  • लॉन्च वर्ष: 2000
  • उद्देश्य:
    • किशोरियों को पोषण, स्वास्थ्य और जीवन कौशल में मदद करना।
  • प्रमुख कार्य:
    • किशोरियों के पोषण स्तर में सुधार।
    • आय अर्जन और कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण।

7. बालिका शिक्षा योजना

  • उद्देश्य:
    • बालिकाओं के लिए शिक्षा को प्रोत्साहन।
  • प्रमुख विशेषताएँ:
    • ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में स्कूलों का निर्माण।
    • बालिकाओं को मुफ्त शिक्षा और किताबें।
    • छात्रवृत्ति योजना।

8. सशक्त बालिका अभियान (हरियाणा)

  • लॉन्च वर्ष: 2015
  • उद्देश्य:
    • बालिकाओं को शिक्षा और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना।
  • प्रमुख कार्य:
    • स्कूल में नामांकन बढ़ाना।
    • शैक्षिक प्रोत्साहन देना।

9. लाडली योजना (दिल्ली और हरियाणा)

  • लॉन्च वर्ष: 2008
  • उद्देश्य:
    • बालिकाओं के जन्म और शिक्षा को प्रोत्साहन।
  • प्रमुख लाभ:
    • जन्म पर आर्थिक सहायता।
    • स्कूल की हर कक्षा में छात्रवृत्ति।

10. डीबीटी योजनाएँ (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर)

  • उद्देश्य:
    • सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ बालिकाओं को बैंक खाते में ट्रांसफर करना।
  • प्रमुख योजनाएँ:
    • पोषण आहार योजना।
    • छात्रवृत्ति योजना।

11. डिजिटल इंडिया मिशन के तहत ई-सुविधाएँ

  • उद्देश्य:
    • बालिकाओं की शिक्षा और कौशल विकास में डिजिटल साधनों का उपयोग।
  • प्रमुख पहल:
    • ऑनलाइन शिक्षा।
    • कंप्यूटर प्रशिक्षण।

चुनौतियाँ और समाधान:

चुनौतियाँ:

  1. ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी।
  2. लैंगिक असमानता और सामाजिक कुरीतियाँ।
  3. योजनाओं का क्रियान्वयन।

समाधान:

  1. जागरूकता अभियान।
  2. सरकारी योजनाओं का उचित कार्यान्वयन।
  3. सामुदायिक भागीदारी।

भारत में बालिकाओं की स्थिति:

  1. लिंगानुपात:
    • 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 0-6 आयु वर्ग में लिंगानुपात 919 था, जो चिंता का विषय है।
  2. शिक्षा:
    • बालिका शिक्षा में सुधार हुआ है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में यह अब भी चुनौतीपूर्ण है।
  3. स्वास्थ्य:
    • बालिकाओं के लिए पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता है।

सरकारी योजनाएँ और पहल:

  1. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ:
    • यह योजना बालिकाओं के संरक्षण और शिक्षा को प्रोत्साहित करती है।
  2. सुकन्या समृद्धि योजना:
    • बालिकाओं के लिए वित्तीय बचत योजना।
  3. केन्द्र पोषित योजनाएँ:
    • बालिकाओं के पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं को सुनिश्चित करने के लिए योजनाएँ।
  4. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020):
    • लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रावधान।

चुनौतियाँ:

  1. बाल विवाह:
    • ग्रामीण इलाकों में बाल विवाह की समस्या अभी भी बनी हुई है।
  2. भ्रूण हत्या:
    • कन्या भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक कुरीतियाँ।
  3. सुरक्षा:
    • बालिकाओं के प्रति बढ़ते अपराध।

आगे की राह:

  1. सशक्तिकरण:
    • लड़कियों को शिक्षित कर आत्मनिर्भर बनाना।
  2. जागरूकता:
    • समाज में बालिकाओं के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाना।
  3. समाज की भागीदारी:
    • हर नागरिक को बालिकाओं के सशक्तिकरण में भूमिका निभानी चाहिए।
  4. सरकारी योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन:
    • नीतियों और योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर लागू करना।

निष्कर्ष:
राष्ट्रीय बालिका दिवस केवल एक दिन का आयोजन नहीं, बल्कि यह समाज में बदलाव लाने का एक अवसर है। बालिकाओं के अधिकारों की रक्षा और उन्हें सशक्त बनाने के लिए एक सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। शिक्षा, स्वास्थ्य, और सुरक्षा के माध्यम से उन्हें समान अवसर प्रदान करना हमारे समाज और देश को समृद्ध बनाएगा।

वैश्विक प्लास्टिक कार्रवाई साझेदारी (Global Plastic Action Partnership – GPAP) – Upsc Prelims Pointer

वैश्विक प्लास्टिक कार्रवाई साझेदारी (GPAP): एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर

प्रसंग:
वैश्विक प्लास्टिक कार्रवाई साझेदारी (Global Plastic Action Partnership – GPAP) ने हाल ही में 25 देशों के नेटवर्क में विस्तार कर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। यह साझेदारी प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ वैश्विक प्रयासों को सशक्त बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।


GPAP: उद्देश्य और महत्व

  1. स्थापना:
    • GPAP की शुरुआत 2018 में विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा की गई थी।
  2. उद्देश्य:
    • प्लास्टिक कचरे की समस्या का समाधान करना।
    • प्लास्टिक प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए देशों, उद्योगों और समाजों को एकजुट करना।
  3. महत्व:
    • समुद्री पर्यावरण और भूमि पर प्लास्टिक प्रदूषण के प्रभाव को कम करना।
    • सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने में योगदान।

25 देशों का नेटवर्क: प्रभाव और लक्ष्य

  1. नेटवर्क का विस्तार:
    • GPAP के तहत 25 देशों का शामिल होना प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को दर्शाता है।
  2. लक्ष्य:
    • प्लास्टिक के उत्पादन और उपयोग में बदलाव।
    • पुनर्चक्रण और अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार।
    • प्लास्टिक के स्थायी विकल्पों को बढ़ावा देना।

GPAP की रणनीतियाँ:

  1. सार्वजनिक और निजी भागीदारी:
    • सरकारों, उद्योगों और गैर-सरकारी संगठनों को एक साथ लाना।
  2. वैज्ञानिक दृष्टिकोण:
    • प्लास्टिक प्रदूषण पर शोध और नवाचार को बढ़ावा देना।
  3. नीतिगत समर्थन:
    • देशों को प्लास्टिक कचरे से निपटने के लिए मजबूत नीतियाँ बनाने में मदद।
  4. सामुदायिक भागीदारी:
    • स्थानीय समुदायों को समाधान का हिस्सा बनाना।

भारत और GPAP:

  1. प्लास्टिक प्रदूषण की स्थिति:
    • भारत हर साल लगभग 3.5 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करता है।
    • प्लास्टिक कचरे के पुनर्चक्रण में भारत का योगदान महत्वपूर्ण है।
  2. सरकारी पहल:
    • सिंगल-यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध।
    • स्वच्छ भारत मिशन।
    • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016।
  3. GPAP के साथ सहयोग:
    • भारत GPAP के तहत सतत समाधान खोजने और लागू करने में अग्रणी भूमिका निभा सकता है।

GPAP के लाभ:

  1. पर्यावरणीय प्रभाव:
    • समुद्रों और नदियों में प्लास्टिक प्रदूषण में कमी।
  2. आर्थिक प्रभाव:
    • पुनर्चक्रण और स्थायी प्रौद्योगिकी में निवेश।
    • हरित रोजगार का सृजन।
  3. सामाजिक प्रभाव:
    • जागरूकता और सामुदायिक भागीदारी।

आगे की राह:

  1. वैश्विक सहयोग:
    • देशों के बीच अनुभव और तकनीकी ज्ञान का आदान-प्रदान।
  2. नवाचार:
    • प्लास्टिक के पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों का विकास।
  3. सख्त नीतियाँ:
    • प्लास्टिक उत्पादन और उपयोग पर नियंत्रण।
  4. जागरूकता अभियान:
    • जनता को प्लास्टिक प्रदूषण के दुष्प्रभावों के बारे में शिक्षित करना।

निष्कर्ष:

GPAP का 25 देशों तक विस्तार प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए वैश्विक प्रयासों को मजबूत करता है। यह पहल पर्यावरणीय स्थिरता और सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत जैसे देशों की सक्रिय भागीदारी से प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ यह लड़ाई अधिक प्रभावी और व्यापक हो सकती है।

76वां गणतंत्र दिवस: “स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास” ( 76th Republic Day: “Golden India: Heritage and Development” )

76वां गणतंत्र दिवस: “स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास” ( 76th Republic Day: “Golden India: Heritage and Development” ) – 26 January 2025

76वां गणतंत्र दिवस: “स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास”
विश्लेषण: भारतीय संविधान और राष्ट्रीय प्रगति का प्रतीक

syllabus – Prelims and Mains – Polity

प्रसंग

26 जनवरी 2025 को भारत 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। इस वर्ष की थीम है “स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास”, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और सतत विकास के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। यह दिन न केवल भारतीय संविधान के मूल्य और आदर्शों की याद दिलाता है, बल्कि एक सशक्त और समृद्ध भारत के निर्माण की दिशा में देश के प्रयासों का भी प्रतीक है।


गणतंत्र दिवस का ऐतिहासिक महत्व

  1. संविधान का लागू होना:
    • 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान को लागू किया गया, जिससे भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य बना।
    • यह दिन पूर्ण स्वराज्य (1930) की घोषणा के साथ जुड़ा है।
  2. संविधान की विशेषताएँ:
    • संप्रभुता: भारत को बाहरी हस्तक्षेप से स्वतंत्र घोषित किया।
    • धर्मनिरपेक्षता: भारत सभी धर्मों का सम्मान करता है।
    • लोकतंत्र: शक्ति जनता के हाथ में है।
    • समाजवाद: समानता और न्याय की गारंटी।

थीम: “स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास”

1. विरासत (Virasat):

  • सांस्कृतिक धरोहर:
    • भारत की 5,000 वर्षों से अधिक पुरानी सभ्यता, जिसने विश्व को योग, आयुर्वेद, वास्तुकला और साहित्य का उपहार दिया।
  • संविधान की विरासत:
    • भारतीय संविधान न केवल कानूनी दस्तावेज है, बल्कि यह भारतीय समाज की विविधता और एकता का प्रतिबिंब भी है।
  • आदर्श और मूल्य:
    • पंथनिरपेक्षता, समानता और सामाजिक न्याय जैसे मूल्य।
    • स्वतंत्रता संग्राम के नायकों की कुर्बानियाँ।

2. विकास (Vikas):

  • आर्थिक विकास:
    • 2024-25 में भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया।
    • डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी योजनाओं ने आर्थिक क्रांति की।
  • सामाजिक सुधार:
    • शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में अभूतपूर्व सुधार।
  • वैज्ञानिक प्रगति:
    • इसरो का चंद्रयान और मंगलयान मिशन।
    • ग्रीन एनर्जी और इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रसार।
  • वैश्विक नेतृत्व:
    • G20 अध्यक्षता ने भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक सशक्त नेतृत्व प्रदान किया।

भारतीय संविधान और प्रस्तावना का महत्व

प्रस्तावना के मुख्य तत्व:

  1. हम, भारत के लोग:
    • लोकतंत्र की भावना, जिसमें प्रत्येक नागरिक की भागीदारी है।
  2. संप्रभुता:
    • भारत की स्वतंत्रता और निर्णय लेने की क्षमता।
  3. समाजवाद:
    • समानता और आर्थिक न्याय।
  4. धर्मनिरपेक्षता:
    • सभी धर्मों के प्रति सम्मान।
  5. लोकतंत्र:
    • सरकार जनता के प्रति उत्तरदायी।
  6. न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व:
    • सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर न्याय।

76वें गणतंत्र दिवस की विशेषताएँ

  1. मुख्य अतिथि:
    • मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल-सीसी मुख्य अतिथि होंगे।
  2. सांस्कृतिक प्रदर्शन:
    • विभिन्न राज्यों की झांकियाँ भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करेंगी।
  3. पर्यावरणीय पहल:
    • कार्बन-न्यूट्रल परेड।
    • ग्रीन एनर्जी के इस्तेमाल को बढ़ावा।
  4. महिला सशक्तिकरण:
    • परेड में महिला कमांडरों की प्रमुख भूमिका।
  5. डिजिटल प्रौद्योगिकी:
    • डिजिटल इंडिया की उपलब्धियों को प्रदर्शित करना।

चुनौतियाँ और समाधान

चुनौतियाँ:

  1. सामाजिक असमानता:
    • लिंग, जाति और आर्थिक वर्गों में अंतर।
  2. पर्यावरणीय संकट:
    • जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक संसाधनों का ह्रास।
  3. शिक्षा और स्वास्थ्य:
    • ग्रामीण क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण सेवाओं की कमी।
  4. बेरोजगारी:
    • युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना।

समाधान:

  1. नीतियों का प्रभावी कार्यान्वयन।
  2. हरित ऊर्जा में निवेश।
  3. शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित।
  4. सामाजिक जागरूकता और भागीदारी।

संविधान और आधुनिक भारत की प्रासंगिकता

  1. कानूनी समानता:
    • संविधान ने हर नागरिक को समान अधिकार प्रदान किए हैं।
  2. नागरिक सहभागिता:
    • लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हर नागरिक की भागीदारी।
  3. वैश्विक स्तर पर नेतृत्व:
    • भारत का संविधान आधुनिक समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रासंगिक है।

निष्कर्ष

76वां गणतंत्र दिवस केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि आत्मनिरीक्षण का अवसर है। “स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास” थीम न केवल हमारी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर की याद दिलाती है, बल्कि विकास की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा भी देती है। भारतीय संविधान के आदर्श और मूल्य आज भी हमारे राष्ट्रीय विकास का मार्गदर्शन कर रहे हैं। समाज और सरकार को मिलकर एक समृद्ध और समावेशी भारत के निर्माण में योगदान देना होगा।


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