DAILY CURRENT AFFAIRS IN HINDI FOR UPSC IAS – Prelims And Mains Examination 2025 | 23 FEBRUARY 2025 – UPSC PRELIMS POINTER Fact Based Current Affairs.
DAILY Current Affairs Analysis For UPSC Pre And Mains Examination
Daily Archiveकैस्पियन पाइपलाइन कंसोर्टियम (CPC) – Daily Current Affairs
कैस्पियन पाइपलाइन कंसोर्टियम (CPC) पर हमले का प्रभाव:
परिचय
कैस्पियन पाइपलाइन कंसोर्टियम (CPC) रूस और कज़ाखस्तान से तेल निर्यात का एक प्रमुख मार्ग है। हाल ही में, यूक्रेनी ड्रोन हमले के कारण इसकी एक पंपिंग स्टेशन को नुकसान पहुंचा, जिससे तेल प्रवाह में 30-40% की गिरावट आई है। यह घटना रूस-यूक्रेन संघर्ष के बढ़ते प्रभाव को दर्शाती है, जो वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति को अस्थिर कर सकती है।
मुख्य निष्कर्ष
✅ कैस्पियन पाइपलाइन कंसोर्टियम (CPC) एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय तेल परिवहन परियोजना है, जिसमें रूस, कजाकिस्तान और प्रमुख वैश्विक तेल कंपनियाँ शामिल हैं।
✅ यह 1,510 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन के निर्माण और संचालन के लिए स्थापित किया गया था, जो कजाकिस्तान के टेंगिज़ तेल क्षेत्र से रूस के ब्लैक सी तट पर नोवोरोसिस्क मरीन टर्मिनल तक कच्चे तेल के परिवहन की सुविधा प्रदान करता है।
CPC की प्रमुख विशेषताएँ
✅ मार्ग और क्षमता:
- यह पाइपलाइन पश्चिमी कजाकिस्तान से होकर रूसी क्षेत्र से गुजरती हुई ब्लैक सी के नोवोरोसिस्क बंदरगाह तक तेल पहुंचाती है।
- 2022 तक, यह प्रतिदिन लगभग 1.2 मिलियन बैरल तेल परिवहन करती थी, जो वैश्विक तेल मांग का लगभग 1.2% है।
✅ शेयरहोल्डर्स:
- इस कंसोर्टियम के प्रमुख हितधारकों में शामिल हैं:
- ट्रांसनेफ्ट (24%)
- कज़मुनेगैस (19%)
- शेवरॉन कैस्पियन पाइपलाइन कंसोर्टियम कं. (15%)
- लुकार्को बी.वी. (12.5%), और अन्य।
✅ रणनीतिक महत्व:
- CPC पाइपलाइन कजाकिस्तान के काशागन और कराचागनक जैसे प्रमुख तेल क्षेत्रों से तेल निर्यात के लिए महत्वपूर्ण है।
- यह अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक विश्वसनीय परिवहन मार्ग प्रदान करती है।
कैस्पियन पाइपलाइन कंसोर्टियम (CPC) का महत्व
✅ CPC पाइपलाइन कज़ाखस्तान और रूस से काला सागर के नोवोरोसिस्क टर्मिनल तक तेल पहुंचाती है।
✅ कज़ाखस्तान का 80% तेल निर्यात इसी पाइपलाइन से होता है।
✅ रूस के लिए भी यह एक महत्वपूर्ण निर्यात मार्ग है।
✅ यूरोपीय और एशियाई बाजारों को कच्चे तेल की आपूर्ति में इसकी अहम भूमिका है।
ड्रोन हमले का प्रभाव
⛽ तेल आपूर्ति में गिरावट:
📌 30-40% कम तेल प्रवाह से वैश्विक तेल आपूर्ति प्रभावित होगी।
📌 कज़ाखस्तान और रूस को निर्यात में बाधा आएगी।
📌 अंतरराष्ट्रीय तेल बाजारों में अस्थिरता बढ़ेगी।
💰 कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि:
📌 आपूर्ति में कमी के कारण तेल की कीमतों में तेजी आ सकती है।
📌 पहले से ही रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते ऊर्जा संकट झेल रहे यूरोपीय देशों पर असर पड़ेगा।
📌 तेल आयात पर निर्भर भारत और चीन जैसे देशों के लिए कच्चे तेल की लागत बढ़ सकती है।
⚠️ भू-राजनीतिक तनाव में वृद्धि:
📌 रूस और यूक्रेन के बीच तनाव और बढ़ सकता है।
📌 पश्चिमी देशों की रूस पर और कड़े प्रतिबंध लगाने की संभावना।
📌 यूक्रेन की रणनीति में बदलाव: अब यह पाइपलाइन और ऊर्जा सुविधाओं को लक्षित कर सकता है।
भविष्य के संभावित प्रभाव और समाधान
✅ रूस और कज़ाखस्तान के लिए चुनौतियाँ:
✔ CPC पाइपलाइन पर निर्भरता घटाने के लिए वैकल्पिक निर्यात मार्गों पर जोर।
✔ पाइपलाइन मरम्मत और सुरक्षा बढ़ाने के प्रयास।
✅ वैश्विक बाजारों पर असर:
✔ तेल उत्पादन और आपूर्ति संतुलन बनाए रखने के लिए OPEC+ की भूमिका अहम होगी।
✔ भारत, चीन और यूरोपीय देशों को ऊर्जा आपूर्ति के अन्य स्रोतों पर ध्यान देना होगा।
निष्कर्ष
कैस्पियन पाइपलाइन कंसोर्टियम पर यह हमला रूस-यूक्रेन युद्ध के ऊर्जा बाजार पर बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है। यदि इस तरह के हमले जारी रहते हैं, तो वैश्विक तेल आपूर्ति पर बड़ा संकट उत्पन्न हो सकता है। इससे ऊर्जा की कीमतें बढ़ेंगी और भू-राजनीतिक तनाव और अधिक बढ़ सकता है।
कैग रिपोर्ट : प्रतिपूरक वनरोपण ( COMPENSATORY AFFORESTATION )
कैग रिपोर्ट: उत्तराखंड में CAMPA फंड के दुरुपयोग का विश्लेषण
परिचय
हाल ही में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा 2019-2022 की अवधि में प्रतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (CAMPA) की कार्यप्रणाली पर एक ऑडिट रिपोर्ट जारी की गई। इस रिपोर्ट में उत्तराखंड के वन प्रभागों द्वारा प्रतिपूरक वनीकरण के लिए आवंटित धनराशि को अन्य गतिविधियों में खर्च करने की गंभीर अनियमितताओं को उजागर किया गया है।
मुख्य बिंदु
CAG की रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण बिंदु सामने आए हैं:
- फंड का दुरुपयोग: CAMPA के तहत प्राप्त धन को प्रतिपूरक वनीकरण की बजाय अन्य परियोजनाओं में खर्च किया गया।
- वन्यजीवों पर ध्यान नहीं: उन क्षेत्रों में फंड का उपयोग किया गया जहां इसका कोई स्पष्ट प्रभाव नहीं था, जिससे वन्यजीव संरक्षण और पारिस्थितिकी संतुलन प्रभावित हुआ।
- लेखांकन और पारदर्शिता की कमी: खर्चों को सही तरीके से दर्ज नहीं किया गया और कई मामलों में कोई उचित लेखा-जोखा नहीं मिला।
- वनीकरण के लक्ष्य अधूरे: जिस उद्देश्य के लिए यह फंड आवंटित किया गया था, वह पूरी तरह से प्राप्त नहीं हुआ, जिससे उत्तराखंड में वन हानि की भरपाई नहीं हो पाई।
CAMPA फंड क्या है?
प्रतिपूरक वनीकरण के तहत जो भी उद्योग, विकास परियोजनाएं या अन्य गतिविधियाँ वन क्षेत्र को नुकसान पहुँचाती हैं, उनके बदले में वनों को पुनः विकसित करने के लिए फंड का प्रावधान किया गया है। यह फंड वन्यजीवों के संरक्षण, जैव विविधता को बनाए रखने और पारिस्थितिकीय असंतुलन को कम करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
कैसे हुआ फंड का दुरुपयोग?
- अन्य निर्माण गतिविधियों में फंड का उपयोग: कई रिपोर्टों में पाया गया कि CAMPA के तहत मिले पैसे का उपयोग सड़क निर्माण, इमारतों के नवीनीकरण और अन्य गैर-वानिकी गतिविधियों में किया गया।
- वन विभाग की योजनाओं में गड़बड़ी: कई योजनाओं में बिना उचित स्वीकृति के फंड खर्च किया गया, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव दिखा।
- वन पुनर्जीवन में लापरवाही: सरकार द्वारा निर्धारित प्रतिपूरक वनीकरण योजनाओं को ठीक से लागू नहीं किया गया, जिससे हरे-भरे वन क्षेत्र की क्षति पूरी नहीं हो पाई।
प्रभाव और संभावित खतरे
- पर्यावरणीय संतुलन पर प्रभाव: अगर वनीकरण के लिए आवंटित फंड का सही उपयोग नहीं हुआ तो उत्तराखंड के पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
- वन्यजीवों के लिए खतरा: जंगलों की कटाई और पुनः वनीकरण की धीमी गति के कारण वन्यजीवों के आवास क्षेत्र में कमी हो सकती है।
- जलवायु परिवर्तन पर प्रभाव: उत्तराखंड में वन क्षेत्र की हानि से कार्बन संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे जलवायु परिवर्तन की समस्या और बढ़ सकती है।
समाधान और सुझाव
- पारदर्शी फंड मैनेजमेंट: CAMPA फंड का उपयोग पूरी पारदर्शिता के साथ किया जाना चाहिए, और सभी खर्चों की नियमित ऑडिटिंग होनी चाहिए।
- प्रभावी निगरानी प्रणाली: राज्य और केंद्र सरकार को CAMPA फंड के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक स्वतंत्र समिति का गठन करना चाहिए।
- सख्त दंड व्यवस्था: जो अधिकारी और एजेंसियां CAMPA फंड का दुरुपयोग कर रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
- सामुदायिक भागीदारी: स्थानीय समुदायों को इस योजना से जोड़ा जाए ताकि वे वनीकरण की प्रगति पर नजर रख सकें और पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में योगदान दें।
निष्कर्ष
CAG की रिपोर्ट ने CAMPA फंड के दुरुपयोग की गंभीर समस्या को उजागर किया है। उत्तराखंड के वन विभाग को इस पर त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए ताकि प्रतिपूरक वनीकरण की मूल भावना को बचाया जा सके और वन एवं पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। अगर इस समस्या को जल्द हल नहीं किया गया, तो यह पूरे पारिस्थितिकी तंत्र और जलवायु परिवर्तन के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
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