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Daily Current Affairs For UPSC IAS | 20 February 2025

DAILY CURRENT AFFAIRS IN HINDI FOR UPSC IAS – Prelims And Mains Examination 2025 | 20 FEBRUARY 2025 – UPSC PRELIMS POINTER Fact Based Current Affairs.

DAILY Current Affairs Analysis For UPSC Pre And Mains Examination

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अंतर्राष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर प्रायोगिक रिएक्टर (ITER) – AI SUMMIT

पीएम मोदी का फ्रांस दौरा: AI समिट और ITER रिएक्टर का दौरा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने फ्रांस दौरे के दौरान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) समिट में भाग लेने के साथ-साथ कैडाराश (Cadarache) में स्थित इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (ITER) का भी दौरा किया। इस दौरान उनके साथ फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी मौजूद रहे।

AI समिट में भागीदारी

पीएम मोदी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के भविष्य, इसकी वैश्विक नीतियों और नैतिकता पर चर्चा की। भारत AI क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है और इस समिट में भारत की भूमिका को रेखांकित किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • ITER (इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर) एक अंतरराष्ट्रीय सहयोगी परियोजना है, जिसका उद्देश्य दुनिया का सबसे बड़ा चुंबकीय संलयन (Magnetic Fusion) उपकरण बनाना है। इसका लक्ष्य संलयन (fusion) को बड़े पैमाने पर और कार्बन-मुक्त ऊर्जा स्रोत के रूप में सिद्ध करना है।
  • वर्तमान में, भारत सहित 33 देश ITER परियोजना में सहयोग कर रहे हैं। इसके सात प्रमुख सदस्यचीन, भारत, यूरोपीय संघ, जापान, कोरिया, रूस और अमेरिका — दशकों से इस प्रायोगिक डिवाइस को बनाने और संचालित करने के लिए संयुक्त प्रयास कर रहे हैं।
  • ITER वर्तमान में फ्रांस के दक्षिणी भाग में निर्माणाधीन है। वर्तमान समयरेखा के अनुसार, 2039 तक इसमें ड्यूटेरियम-ट्रिटियम संलयन प्रतिक्रियाएँ शुरू होने की उम्मीद है, जिससे 500 मेगावाट (MW) फ्यूजन पावर उत्पन्न होगी।
  • ITER स्वयं उत्पन्न ऊष्मा ऊर्जा को बिजली में परिवर्तित नहीं करेगा, लेकिन इसकी सफलता से भविष्य में अन्य मशीनों के लिए संलयन ऊर्जा को नियमित बिजली उत्पादन स्रोत के रूप में उपयोग करने का मार्ग प्रशस्त होगा।
  • ITER की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, इसका प्राथमिक कार्य “बर्निंग प्लाज्मा” का अध्ययन और प्रदर्शन करना है— यानी ऐसा प्लाज्मा जिसमें संलयन प्रतिक्रियाओं से उत्पन्न हीलियम नाभिक (Helium Nuclei) इतनी ऊर्जा उत्पन्न करें कि प्लाज्मा का तापमान बनाए रखा जा सके, जिससे बाहरी ताप स्रोत की आवश्यकता कम या समाप्त हो जाए

ITER: भविष्य की ऊर्जा का सपना

ITER परियोजना दुनिया का सबसे महत्वाकांक्षी परमाणु संलयन (Nuclear Fusion) प्रोजेक्ट है, जिसका उद्देश्य साफ, असीमित और टिकाऊ ऊर्जा का उत्पादन करना है।

  • भारत सहित 35 देश इस परियोजना में सहयोग कर रहे हैं।
  • यह दुनिया का सबसे बड़ा न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्टर होगा, जो सूर्य की ऊर्जा उत्पादन प्रक्रिया की नकल करेगा।
  • यदि यह सफल होता है, तो यह फॉसिल फ्यूल और पारंपरिक परमाणु ऊर्जा का स्थायी विकल्प बन सकता है।

भारत की भूमिका और संभावित लाभ

  • भारत ITER परियोजना का एक महत्वपूर्ण भागीदार है और इसमें हाई-टेक उपकरण और विशेषज्ञता प्रदान कर रहा है।
  • परमाणु संलयन तकनीक में भारत की भागीदारी से ऊर्जा सुरक्षा और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन में क्रांतिकारी बदलाव आ सकता है।
  • भारत को अगली पीढ़ी की ऊर्जा तकनीकों में अग्रणी बनने का अवसर मिलेगा।

निष्कर्ष

पीएम मोदी की इस यात्रा ने भारत-फ्रांस संबंधों को और मजबूत किया और स्वच्छ ऊर्जा, टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में वैश्विक सहयोग का एक नया द्वार खोला। ITER का दौरा भारत की न्यूक्लियर फ्यूजन टेक्नोलॉजी में बढ़ती भूमिका को दर्शाता है, जो भविष्य में ऊर्जा संकट के समाधान में अहम भूमिका निभा सकता है

जमा बीमा ( DEPOSIT INSURANCE ) – Daily Current Affairs

बैंक जमा बीमा कवर बढ़ाने पर सरकार का विचार: एक व्यापक विश्लेषण

परिचय:
सरकार वर्तमान में बैंक जमाओं (Bank Deposits) पर बीमा कवर की सीमा को ₹5 लाख से बढ़ाने पर विचार कर रही है। यह कदम जमाकर्ताओं को अधिक सुरक्षा प्रदान करने और बैंकिंग प्रणाली में विश्वास बढ़ाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। वर्तमान में, डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) द्वारा प्रति जमाकर्ता, प्रति बैंक ₹5 लाख तक की राशि बीमित की जाती है।

बीमा कवर बढ़ाने की आवश्यकता क्यों?

  1. बैंकिंग संकट के मामले:
    • हाल के वर्षों में PMC बैंक, Yes Bank, और लक्ष्मी विलास बैंक जैसे बैंकों में वित्तीय संकट देखने को मिला, जिससे जमाकर्ताओं को अपने धन की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ी।
    • ₹5 लाख की सीमा से अधिक जमा रखने वाले ग्राहकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
  2. महंगाई और वित्तीय सुरक्षा:
    • 2020 में ₹5 लाख की सीमा तय की गई थी, लेकिन महंगाई और आर्थिक विकास के कारण अब इसे और बढ़ाने की जरूरत महसूस की जा रही है।
    • कई विकसित देशों में बीमा कवर GDP के अनुपात में अधिक होता है, जबकि भारत में यह सीमित है।
  3. बचत बढ़ाने और बैंकिंग में विश्वास मजबूत करने के लिए:
    • बीमा कवर बढ़ाने से लोग बैंकों में अधिक पैसा जमा करने को प्रेरित होंगे।
    • इससे जमाकर्ताओं का भरोसा बैंकिंग प्रणाली में बना रहेगा और संभावित बैंकिंग संकट से बचाव होगा।

मुख्य बिंदु

  • डिपॉज़िट इंश्योरेंस कवर भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की एक विशेष इकाई, डिपॉज़िट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) द्वारा प्रदान किया जाता है।
  • DICGC का उद्देश्य “छोटे जमाकर्ताओं” को बैंक विफलता की स्थिति में अपनी बचत खोने के जोखिम से बचाना है।
  • प्रत्येक जमाकर्ता को ₹5 लाख तक का बीमा कवर मिलता है, जो उसी बैंक की सभी शाखाओं में उसके सभी खातों पर लागू होता है।
  • DICGC सभी व्यावसायिक बैंकों, भारत में संचालित विदेशी बैंक शाखाओं, स्थानीय क्षेत्रीय बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों का बीमा करता है। हालांकि, प्राथमिक सहकारी समितियाँ (Primary Co-operative Societies) DICGC द्वारा कवर नहीं की जाती हैं।
  • बचत, फिक्स्ड, चालू और आवर्ती जमा खाते बीमित होते हैं। लेकिन विदेशी, केंद्रीय और राज्य सरकारों की जमा राशि और अंतर-बैंक जमाओं (inter-bank deposits) पर बीमा कवर लागू नहीं होता।
  • बीमा प्रीमियम का भुगतान बीमित बैंक द्वारा किया जाता है। DICGC, सदस्य वित्तीय संस्थानों से उनकी जोखिम प्रोफ़ाइल के आधार पर एक समान या भिन्न प्रीमियम दर पर बीमा शुल्क वसूलता है।

DICGC बीमा कवरेज की सीमा कैसे काम करती है?

  • 2021 में, DICGC अधिनियम, 1961 में धारा 18A जोड़ी गई, जिससे बैंक पर प्रतिबंध लगने की स्थिति में जमाकर्ताओं को उनकी जमा राशि का आंशिक भुगतान और समयबद्ध तरीके से बीमा कवर के तहत राशि प्राप्त करने की सुविधा मिली।
  • वर्तमान में, DICGC बैंक जमाओं पर ₹5 लाख तक का बीमा कवर 90 दिनों के भीतर प्रदान करता है, यदि RBI द्वारा बैंक पर कोई प्रतिबंध लगाया गया हो।
  • DICGC मूलधन और ब्याज दोनों को कवर करता है, लेकिन कुल बीमा सीमा ₹5 लाख तक ही होती है। उदाहरण के लिए:
    • यदि किसी जमाकर्ता के खाते में कुल ₹4,99,800 हैं (जिसमें ₹4,90,000 मूलधन और ₹9,800 ब्याज शामिल है), तो DICGC पूरी राशि ₹4,99,800 का बीमा कवर प्रदान करेगा।
    • यदि किसी जमाकर्ता के खाते में ₹5,00,000 (मूलधन) + ₹10,000 (ब्याज) जमा हैं, तो बीमा सीमा पूरी हो चुकी होगी, और ₹10,000 का ब्याज कवर नहीं किया जाएगा
  • यदि बैंक दिवालिया (liquidation) होता है, तो DICGC दिवालिया अधिकारी (liquidator) को प्रत्येक जमाकर्ता के लिए ₹5 लाख तक की राशि का भुगतान बैंक के दिवालिया होने की सूचना मिलने के दो महीने के भीतर करता है।
  • दिवालिया अधिकारी को यह राशि सही जमाकर्ताओं तक वितरित करनी होती है।

संभावित लाभ:

जमाकर्ताओं को अधिक सुरक्षा: बैंक विफलता की स्थिति में अधिक राशि सुरक्षित होगी।
बैंकिंग प्रणाली में विश्वास बढ़ेगा: लोग बैंकों में ज्यादा पैसा जमा करने के लिए प्रेरित होंगे।
छोटे और मध्यम बचतकर्ताओं को राहत: वे अपने जमा को लेकर अधिक आश्वस्त रहेंगे।

संभावित चुनौतियाँ:

बैंकों पर वित्तीय दबाव: उच्च बीमा कवर से DICGC की देनदारियाँ बढ़ सकती हैं, जिससे बैंकों को अधिक प्रीमियम चुकाना पड़ सकता है।
नैतिक जोखिम (Moral Hazard): उच्च बीमा कवर से कुछ बैंकों की वित्तीय अनुशासनहीनता बढ़ सकती है।
सरकार पर संभावित वित्तीय बोझ: यदि बैंक विफलता के मामले बढ़े, तो सरकार को अधिक पूंजी झोंकनी पड़ सकती है।

अन्य देशों की तुलना:

भारत में यह सीमा अभी भी कई देशों की तुलना में कम है, जिससे इसे बढ़ाने की जरूरत महसूस हो रही है।

सरकार का संभावित कदम और भविष्य की दिशा:

  • सरकार विभिन्न हितधारकों (RBI, DICGC, बैंकिंग संस्थानों) से चर्चा कर रही है।
  • ₹10 लाख तक की बीमा सीमा पर विचार किया जा सकता है।
  • बैंकों से लिए जाने वाले प्रीमियम में बदलाव संभव है।
  • डिजिटल बैंकिंग और नए वित्तीय नियमों को ध्यान में रखते हुए सुधार किए जा सकते हैं।

निष्कर्ष:

बैंक जमा बीमा कवर को बढ़ाना एक सकारात्मक कदम हो सकता है, जिससे जमाकर्ताओं को अधिक सुरक्षा मिलेगी और बैंकिंग प्रणाली में विश्वास बढ़ेगा। हालाँकि, सरकार को इसके दीर्घकालिक प्रभावों और वित्तीय स्थिरता को ध्यान में रखते हुए एक संतुलित निर्णय लेना होगा। यदि यह सीमा बढ़ती है, तो यह भारत के बैंकिंग सेक्टर के लिए एक बड़ा सुधार साबित हो सकता है।


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