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Daily Current Affairs For UPSC IAS | 19 March 2025

DAILY CURRENT AFFAIRS IN HINDI FOR UPSC IAS – Prelims And Mains Examination 2025 | 19 March 2025 – UPSC PRELIMS POINTER Fact Based Current Affairs.

DAILY Current Affairs Analysis For UPSC Pre And Mains Examination

Daily Archive

गेहूं उत्पादन (Wheat Production)

गेहूं उत्पादन (Wheat Production)

समाचार में क्यों?

• कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी दूसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान (Second Advance Estimates) के अनुसार,
2024-25 में भारत का गेहूं उत्पादन रिकॉर्ड 115.3 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) रहने का अनुमान है।
• यह उत्पादन 2023-24 के 113.3 मिलियन टन से लगभग 2% अधिक है।


भारत में गेहूं उत्पादन का परिदृश्य

• भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है (पहला स्थान चीन का है)।
रबी फसल के रूप में गेहूं मुख्य रूप से उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में उगाया जाता है
• गेहूं उत्पादन में योगदान देने वाले प्रमुख राज्य:

  • उत्तर प्रदेश
  • पंजाब
  • हरियाणा
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान

उत्पादन में वृद्धि के कारण

अच्छी जलवायु परिस्थितियाँ: 2023-24 की तुलना में इस साल अनुकूल तापमान और बारिश ने गेहूं उत्पादन को बढ़ावा दिया।
उन्नत बीज और कृषि तकनीक: सरकार ने उन्नत गेहूं किस्मों को बढ़ावा दिया, जिससे उत्पादन में सुधार हुआ।
कृषि योजनाओं और नीतियों का समर्थन: पीएम-किसान योजना, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और अन्य सरकारी योजनाओं ने किसानों को प्रोत्साहित किया।
सिंचाई सुविधाओं में सुधार: प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) और अन्य प्रयासों से बेहतर जल आपूर्ति हुई।


चुनौतियाँ और संभावित प्रभाव

चुनौतीस्पष्टीकरण
जलवायु परिवर्तन का प्रभावअचानक गर्मी बढ़ने या असामान्य वर्षा से फसल को नुकसान हो सकता है।
MSP और खरीद प्रक्रियाकिसानों को अक्सर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर अपनी फसल बेचने में कठिनाई होती है।
मौजूदा भंडारण समस्याबड़े पैमाने पर उत्पादन के कारण भंडारण और लॉजिस्टिक्स की समस्या बढ़ सकती है।
निर्यात प्रतिबंधघरेलू आपूर्ति बनाए रखने के लिए भारत ने 2022 में गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था, जिससे वैश्विक बाजारों में भारत की भूमिका सीमित हो गई।

निष्कर्ष

गेहूं उत्पादन में वृद्धि भारत की खाद्य सुरक्षा को मज़बूत करती है और यह किसानों के लिए सकारात्मक संकेत है।
• सरकार को MSP व्यवस्था, भंडारण क्षमता और निर्यात नीति पर ध्यान देना होगा ताकि उत्पादन वृद्धि का लाभ किसानों तक पहुंचे।
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए अनुसंधान और तकनीकी नवाचार को और बढ़ावा देने की आवश्यकता है।


यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु

GS Paper 3 (कृषि और अर्थव्यवस्था)

• भारत में खाद्यान्न उत्पादन की प्रवृत्ति।
• कृषि नीतियाँ और योजनाएँ (PM-KISAN, MSP, PMKSY)।
• जलवायु परिवर्तन और कृषि उत्पादन।
• भारत की खाद्य सुरक्षा और भंडारण क्षमता।

भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (COMPTROLLER AND AUDITOR GENERAL OF INDIA)

भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG)

समाचार में क्यों?

• सुप्रीम कोर्ट ने भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति में केंद्र सरकार की विशिष्ट भूमिका को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने का निर्णय लिया है।
• यह याचिका CAG की नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता की मांग करती है, जिससे यह पद पूरी तरह स्वतंत्र बना रहे।


भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) का परिचय

• CAG भारत का संवैधानिक प्राधिकरण है, जिसे संविधान के अनुच्छेद 148 के तहत स्थापित किया गया है।
• यह केंद्र और राज्य सरकारों के वित्तीय लेन-देन का ऑडिट करता है और सरकारी व्यय की वैधता की जाँच करता है।
• CAG की रिपोर्ट संसद और राज्य विधानसभाओं के समक्ष प्रस्तुत की जाती हैं, जिससे सरकारी जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित होती है


CAG की नियुक्ति प्रक्रिया

• CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा केंद्र सरकार की सिफारिश पर की जाती है।
• उसकी कार्यावधि 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु (जो भी पहले हो) तक होती है
• CAG को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की तरह ही मात्र संसद की प्रक्रिया के माध्यम से हटाया जा सकता है


मुद्दे और चुनौतियाँ

मुद्दास्पष्टीकरण
नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमीवर्तमान में CAG की नियुक्ति सरकार की सिफारिश पर होती है, जिससे निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं।
कार्य की स्वतंत्रताCAG को सरकार के वित्तीय रिकॉर्ड का ऑडिट करना होता है, लेकिन उसकी नियुक्ति सरकार द्वारा ही होती है, जिससे हितों के टकराव (Conflict of Interest) की स्थिति बन सकती है।
संसदीय जाँच और संतुलन का अभावकई देशों में CAG जैसी संस्थाओं की नियुक्ति के लिए स्वतंत्र निकाय होते हैं, लेकिन भारत में यह व्यवस्था नहीं है।

CAG का महत्व

लोक वित्तीय प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही स्थापित करता है।
• सरकारी खर्चों में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को उजागर करता है।
• संसद और राज्य विधानसभाओं को सरकार की वित्तीय स्थिति की सटीक जानकारी प्रदान करता है।
संविधान के अनुच्छेद 149 के तहत CAG को व्यापक ऑडिट शक्तियाँ प्राप्त हैं


निष्कर्ष

• CAG की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए नियुक्ति प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता और संतुलन आवश्यक है।
• सरकार पर प्रभावी वित्तीय नियंत्रण बनाए रखने के लिए यह ज़रूरी है कि CAG की नियुक्ति किसी स्वतंत्र निकाय या चयन समिति द्वारा की जाए।
• यदि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में कोई बड़ा निर्णय लेता है, तो यह संवैधानिक शासन और प्रशासनिक सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।

मुख्य बिंदु

भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) का परिचय

  • CAG भारत का सर्वोच्च लेखा परीक्षा प्राधिकरण है
  • यह लोक वित्त (Public Finances) का संरक्षक है और सरकारी खर्च में पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।
  • यह एक स्वतंत्र संवैधानिक प्राधिकरण है, जिसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 के तहत स्थापित किया गया है।

नियुक्ति और कार्यकाल

  • राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है
  • कार्यकाल: 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु (जो भी पहले हो)
  • हटाने की प्रक्रिया:
    • सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की तरह हटाया जा सकता है
    • केवल सिद्ध दुर्व्यवहार या अक्षमता के आधार पर, संसद में विशेष बहुमत द्वारा हटाया जा सकता है।

CAG के प्रमुख कार्य

लेखा परीक्षा (Audit)

  • केंद्रीय सरकार: केंद्र सरकार के खातों की जाँच।
  • राज्य सरकारें: राज्य सरकारों के खातों की जाँच।
  • सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयाँ (PSUs): सरकारी कंपनियों के वित्तीय रिकॉर्ड की समीक्षा।
  • स्वायत्त निकाय: सरकार द्वारा वित्तपोषित संस्थानों के खातों की जाँच।

लेखा परीक्षा के प्रकार

  1. वित्तीय लेखा परीक्षा (Financial Audit) – वित्तीय विवरणों की सटीकता की पुष्टि करता है।
  2. अनुपालन लेखा परीक्षा (Compliance Audit) – यह सुनिश्चित करता है कि व्यय कानूनों और नियमों के अनुसार हो।
  3. प्रदर्शन लेखा परीक्षा (Performance Audit) – सरकारी कार्यक्रमों की दक्षता और प्रभावशीलता का मूल्यांकन करता है।
  4. संपत्ति लेखा परीक्षा (Propriety Audit) – व्यय की वैधता और उपयुक्तता की जाँच करता है।

रिपोर्टिंग (Reporting)

  • राष्ट्रपति को (केंद्रीय सरकार के लिए) और राज्यपालों को (राज्य सरकारों के लिए) लेखा परीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत करता है
  • ये रिपोर्टें संसद और राज्य विधानसभाओं में चर्चा के लिए रखी जाती हैं

CAG की स्वतंत्रता

  • CAG पूरी तरह से स्वतंत्र संवैधानिक प्राधिकरण है और कार्यपालिका या विधायिका के नियंत्रण में नहीं रहता
  • वेतन और खर्च भारत की संचित निधि (Consolidated Fund of India) से आते हैं, जिससे वित्तीय स्वतंत्रता सुनिश्चित होती है।
  • CAG को हटाने की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की तरह ही है, यानी केवल महाभियोग प्रक्रिया द्वारा हटाया जा सकता है।

यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु

GS Paper 2 (संविधान और शासन)

• संविधान के तहत CAG की भूमिका और शक्तियाँ।
• CAG की स्वतंत्रता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के उपाय।
• सुप्रीम कोर्ट का संभावित निर्णय और इसका प्रभाव।

GS Paper 3 (आर्थिक प्रशासन और पारदर्शिता)

• सरकारी वित्तीय प्रबंधन और ऑडिटिंग।
• CAG की रिपोर्ट और उनकी प्रभावशीलता।
• भ्रष्टाचार नियंत्रण में CAG की भूमिका।

बोड़ो समझौता (Bodo Accord)

बोड़ो समझौता (Bodo Accord)

समाचार में क्यों?

• केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 2020 के बोड़ो समझौते की 82% शर्तों को केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लागू किया जा चुका है और शेष प्रावधान अगले दो वर्षों में लागू किए जाएंगे
• यह समझौता असम में बोड़ो समुदाय की राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए किया गया था।


बोड़ो समझौता: एक परिचय

1. पहला बोड़ो समझौता (1993)

बोड़ो आंदोलन की पृष्ठभूमि में केंद्र और असम सरकार ने ऑल बोड़ो स्टूडेंट्स यूनियन (ABSU) के साथ समझौता किया
• इसके तहत बोड़ोलैंड स्वायत्त परिषद (BAC) का गठन किया गया।

2. दूसरा बोड़ो समझौता (2003)

• केंद्र सरकार और बोड़ो लिबरेशन टाइगर्स (BLT) के बीच हुआ।
• इसके तहत बोड़ोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (BTC) का गठन हुआ, जिसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया गया।

3. तीसरा बोड़ो समझौता (2020)

• यह समझौता केंद्र सरकार, असम सरकार, नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोड़ोलैंड (NDFB), ABSU और अन्य संगठनों के बीच हुआ
• इसने बोड़ो विवाद को हल करने के लिए राजनीतिक, आर्थिक और प्रशासनिक स्वायत्तता प्रदान की।


2020 के बोड़ो समझौते के प्रमुख प्रावधान

बोड़ो क्षेत्रीय परिषद (BTC) को और सशक्त बनाना।
बोड़ो समुदाय की सामाजिक, सांस्कृतिक और भाषाई पहचान की सुरक्षा।
बोड़ो भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करना।
NDFB उग्रवादियों का आत्मसमर्पण और मुख्यधारा में शामिल करना।
बोड़ो क्षेत्रों के विकास के लिए ₹1,500 करोड़ का पैकेज।
बोड़ो समुदाय को राजनीतिक प्रतिनिधित्व और नौकरियों में अवसर देना।


बोड़ो विवाद और इसका समाधान

कारणसमाधान
ऐतिहासिक असंतोष और स्वायत्तता की माँग2020 समझौते में राजनीतिक और प्रशासनिक सशक्तिकरण
पहचान और भाषा को लेकर चिंताबोड़ो भाषा को संवैधानिक मान्यता
आर्थिक पिछड़ापन और विकास की कमीविशेष विकास पैकेज और नौकरियों में अवसर
उग्रवाद और हिंसाNDFB का आत्मसमर्पण और पुनर्वास योजना

निष्कर्ष

• 2020 बोड़ो समझौता असम में शांति और स्थिरता लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
• अधिकांश प्रावधान लागू हो चुके हैं, और सरकार बचे हुए मुद्दों को भी जल्द हल करने के लिए प्रतिबद्ध है
• यदि समझौते का पूर्ण क्रियान्वयन होता है, तो यह पूर्वोत्तर में अन्य जातीय संघर्षों के समाधान के लिए एक मॉडल बन सकता है


यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु

GS Paper 2 (संविधान, शासन, और नीति निर्माण)

• छठी अनुसूची और स्वायत्त परिषदें।
• अल्पसंख्यक अधिकार और सांस्कृतिक संरक्षण।
• पूर्वोत्तर भारत में शांति और विकास से जुड़े प्रयास।

GS Paper 3 (आंतरिक सुरक्षा और उग्रवाद)

• पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद का समाधान।
• आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति।
• शांति प्रक्रिया और विकास नीतियाँ।


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