DAILY CURRENT AFFAIRS IN HINDI FOR UPSC IAS – Prelims And Mains Examination 2025 | 16 March 2025 – UPSC PRELIMS POINTER Fact Based Current Affairs.
DAILY Current Affairs Analysis For UPSC Pre And Mains Examination
Daily Archiveडुल्सिबेला कमांचाका (DULCIBELLA CAMANCHACA) : एक नई खोजी गई गहरे समुद्र की एम्फिपॉड प्रजाति
समाचार में क्यों?
• समुद्री जीवविज्ञानियों ने डुल्सिबेला कमांचाका (Dulcibella camanchaca) नामक एम्फिपॉड की एक नई प्रजाति की खोज की है।
• यह अटाकामा गर्त (Atacama Trench) में 8,000 मीटर से अधिक गहराई में पाई गई है, जो दुनिया के सबसे गहरे समुद्री गर्तों में से एक है।
• यह खोज गहरे समुद्र की जैव विविधता और समुद्री जीवों के अनुकूलन को समझने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।
डुल्सिबेला कमांचाका क्या है?
• यह एक एम्फिपॉड (छोटे समुद्री क्रस्टेशियन) है, जो गहरे समुद्री वातावरण में पाया जाता है।
• अत्यधिक गहराई में पाए जाने के बावजूद, यह प्रजाति अत्यधिक दबाव, कम तापमान और पोषण की कमी वाले वातावरण में जीवित रहने में सक्षम है।
• इसकी खोज से यह समझने में मदद मिलती है कि समुद्री जीवन चरम परिस्थितियों में कैसे विकसित होता है।
अटाकामा गर्त: एक परिचय
• स्थान: प्रशांत महासागर में, चिली और पेरू के तटों के पास।
• गहराई: लगभग 8,000 से 10,000 मीटर तक।
• महत्व: यह क्षेत्र जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण है और यहां अनुकूलित समुद्री जीवों की कई दुर्लभ प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
निष्कर्ष
- Dulcibella camanchaca एक एम्फीपॉड क्रस्टेशियन (छोटे समुद्री जीवों का एक समूह) की नई खोजी गई प्रजाति है।
- यह अटाकामा ट्रेंच (दक्षिण प्रशांत महासागर, चिली के पास) में लगभग 8,000 मीटर (26,000 फीट) की गहराई में पाई गई।
- अटाकामा ट्रेंच दुनिया के सबसे गहरे समुद्री क्षेत्रों में से एक है, जहाँ भीषण दबाव, अत्यधिक ठंड, और घना अंधकार रहता है।
शारीरिक विशेषताएँ
- आकार: यह प्रजाति लगभग 4 सेंटीमीटर (1.6 इंच) लंबी होती है, जो इस गहराई पर मिलने वाले अन्य एम्फीपॉड्स से बड़ी है।
- रूप-रंग: इसमें विशेष रूप से विकसित अंग होते हैं, जो इसे छोटे क्रस्टेशियंस को पकड़कर खाने में मदद करते हैं।
पारिस्थितिकीय भूमिका
✅ शिकारी व्यवहार
- अन्य गहरे समुद्र के एम्फीपॉड्स आमतौर पर मृत कार्बनिक पदार्थों पर निर्भर रहते हैं, लेकिन Dulcibella camanchaca एक सक्रिय शिकारी है।
- यह अपने विशेष अंगों का उपयोग करके छोटे समुद्री जीवों को पकड़ता और खाता है।
✅ अनुकूलन (Adaptations)
- यह प्रजाति हैडल ज़ोन में रहने के लिए अनुकूलित है, जो 6,000 से 11,000 मीटर की गहराई को कवर करता है।
- यह अब तक पहचाने गए सबसे गहरे-रहने वाले शिकारियों में से एक है।
• डुल्सिबेला कमांचाका की खोज यह दर्शाती है कि गहरे समुद्र में अभी भी कई अज्ञात प्रजातियाँ मौजूद हैं।
• यह अध्ययन समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और गहरे समुद्र में जीवन के अनुकूलन को समझने के लिए महत्वपूर्ण होगा।
यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु
GS Paper 3 (पर्यावरण एवं जैव विविधता)
• गहरे समुद्र की जैव विविधता और समुद्री पारिस्थितिकी।
• नए खोजे गए समुद्री जीवों का वैज्ञानिक और पर्यावरणीय महत्व।
• जलवायु परिवर्तन और समुद्री पारिस्थितिकी पर प्रभाव।
शरावती पंप्ड स्टोरेज परियोजना (Sharavathi Pumped Storage Project)
शरावती पंप्ड स्टोरेज परियोजना (Sharavathi Pumped Storage Project)
समाचार में क्यों?
• कर्नाटक राज्य वन्यजीव बोर्ड से जनवरी 2025 में मंजूरी मिलने के बाद, अब राज्य सरकार ने इस परियोजना को अंतिम स्वीकृति दे दी है।
• यह परियोजना पर्यावरणीय प्रभावों और जैव विविधता पर पड़ने वाले प्रभावों के कारण विवादों में रही है।
शरावती पंप्ड स्टोरेज परियोजना: एक परिचय
• स्थान: कर्नाटक में शरावती नदी घाटी।
• परियोजना प्रकार: पंप्ड स्टोरेज हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट (Pumped Storage Hydropower – PSH)।
• लक्ष्य: स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन और ग्रिड स्थिरता में सुधार।
• क्षमता: 2,000 मेगावाट (MW)।
पंप्ड स्टोरेज हाइड्रोपावर (PSH) कैसे काम करता है?
• यह एक ऊर्जा भंडारण तकनीक है जो जलविद्युत शक्ति के सिद्धांत पर आधारित होती है।
• जब अतिरिक्त बिजली उपलब्ध होती है, तो निचली जलाशय से पानी ऊपरी जलाशय में पंप किया जाता है।
• जब बिजली की मांग अधिक होती है, तो पानी को नीचे गिराकर टरबाइन के माध्यम से बिजली उत्पन्न की जाती है।
शरावती नदी घाटी का पारिस्थितिक महत्व
• यह क्षेत्र पश्चिमी घाटों (Western Ghats) के जैव विविधता हॉटस्पॉट में आता है।
• यहाँ कई दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जैसे:
- मालाबार सिवेट (Malabar Civet)
- लायन-टेल्ड मकाक (Lion-tailed Macaque)
- शरावती महसीर मछली (Sharavathi Mahseer Fish)
- एंडेमिक ऑर्किड प्रजातियाँ
• यह क्षेत्र युनेस्को विश्व धरोहर स्थल के अंतर्गत आता है।
परियोजना से जुड़े विवाद और पर्यावरणीय प्रभाव
मुद्दा | संभावित प्रभाव |
---|---|
वन्यजीव संरक्षण | यह परियोजना वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास को नुकसान पहुँचा सकती है। |
वनों की कटाई | 242 हेक्टेयर क्षेत्र में वन कटाई होगी, जिससे जलवायु परिवर्तन पर प्रभाव पड़ेगा। |
जल संसाधनों पर प्रभाव | शरावती नदी कर्नाटक की जल आपूर्ति और कृषि के लिए महत्वपूर्ण है। |
पारिस्थितिकी असंतुलन | पश्चिमी घाटों में जैव विविधता के नुकसान का खतरा। |
परियोजना के संभावित लाभ
लाभ | विवरण |
---|---|
स्वच्छ ऊर्जा | यह परियोजना ग्रीन एनर्जी (हरित ऊर्जा) को बढ़ावा देगी। |
ग्रिड स्थिरता | पंप्ड स्टोरेज तकनीक बिजली ग्रिड को स्थिर बनाने में मदद करेगी। |
ऊर्जा भंडारण | यह सौर और पवन ऊर्जा की निर्भरता को अधिक कुशल बनाएगी। |
राज्य की ऊर्जा सुरक्षा | कर्नाटक में बिजली आपूर्ति की मांग को पूरा करने में सहायक होगी। |
भारत में अन्य प्रमुख पंप्ड स्टोरेज परियोजनाएँ
परियोजना | राज्य | क्षमता (MW) |
---|---|---|
सिरुवानी पंप्ड स्टोरेज | तमिलनाडु | 2,000 |
चंबल पंप्ड स्टोरेज | मध्य प्रदेश | 1,500 |
कुंडाह पंप्ड स्टोरेज | तमिलनाडु | 500 |
शरावती पंप्ड स्टोरेज | कर्नाटक | 2,000 |
निष्कर्ष
शरावती पंप्ड स्टोरेज परियोजना भारत की स्वच्छ ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन इससे वन्यजीव और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
यह जरूरी है कि सरकार इस परियोजना को अधिक सतत और पर्यावरण-अनुकूल तरीके से लागू करे, जिससे जैव विविधता को न्यूनतम क्षति पहुँचे।
यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु
GS Paper 3 (पर्यावरण और ऊर्जा क्षेत्र)
• पंप्ड स्टोरेज हाइड्रोपावर की कार्यप्रणाली।
• जैव विविधता और विकास परियोजनाओं का प्रभाव।
• पश्चिमी घाटों की पारिस्थितिकीय संवेदनशीलता।
GS Paper 2 (नीतिगत मामले और शासन)
• भारत की अक्षय ऊर्जा नीति।
• सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण और विकास में संतुलन के प्रयास।
भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण (India’s Semiconductor Manufacturing)
समाचार में क्यों?
• भारत 2025 में पहली बार स्वदेशी रूप से निर्मित सेमीकंडक्टर चिप लॉन्च करने के लिए तैयार है।
• यह पहल भारत की आत्मनिर्भर चिप निर्माण नीति (Semiconductor Mission) का हिस्सा है, जिससे भारत वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सकेगा।
सेमीकंडक्टर क्या होते हैं?
• सेमीकंडक्टर ऐसे पदार्थ होते हैं जिनकी विद्युत चालकता धातुओं और अर्धचालकों के बीच होती है।
• ये इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे मोबाइल, लैपटॉप, कार, रक्षा प्रणालियों और चिकित्सा उपकरणों में उपयोग किए जाते हैं।
• सिलिकॉन सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाला सेमीकंडक्टर पदार्थ है।
भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण की स्थिति
• भारत सेमीकंडक्टर डिज़ाइन में मजबूत है, लेकिन मैन्युफैक्चरिंग (Fabrication) में पिछड़ा हुआ है।
• अब तक, भारत अधिकांश सेमीकंडक्टर आयात करता था, जिससे आपूर्ति शृंखला बाधित होने पर समस्या होती थी।
• भारत सरकार सेमीकंडक्टर उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 76,000 करोड़ रुपये की PLI (Production Linked Incentive) योजना लेकर आई है।
सेमीकंडक्टर निर्माण के प्रमुख केंद्र
1. सेमीकंडक्टर मिशन (India Semiconductor Mission – ISM)
• 2021 में भारत सरकार ने भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) शुरू किया।
• इसका लक्ष्य भारत को सेमीकंडक्टर निर्माण और डिजाइन का वैश्विक केंद्र बनाना है।
• इसके तहत FAB (Fabrication), OSAT (Outsourced Semiconductor Assembly and Test) और डिस्प्ले फैब्रिकेशन यूनिट स्थापित किए जा रहे हैं।
2. महत्वपूर्ण सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट्स
प्रोजेक्ट | राज्य | कंपनी |
---|---|---|
माइक्रोन टेक्नोलॉजी | गुजरात | माइक्रोन + भारत सरकार |
वेदांता-फॉक्सकॉन | गुजरात | वेदांता + फॉक्सकॉन |
ISMC (Intel-Tower) | कर्नाटक | Intel + Tower Semiconductor |
TATA Electronics | तमिलनाडु | टाटा समूह |
सेमीकंडक्टर निर्माण क्यों महत्वपूर्ण है?
कारण | महत्व |
---|---|
आर्थिक आत्मनिर्भरता | सेमीकंडक्टर उत्पादन से भारत आयात पर निर्भरता कम करेगा। |
राष्ट्रीय सुरक्षा | रक्षा और संचार उपकरणों में स्वदेशी चिप्स आवश्यक हैं। |
विनिर्माण उद्योग को बढ़ावा | इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल सेक्टर में ‘मेक इन इंडिया’ को मजबूती मिलेगी। |
वैश्विक सप्लाई चेन में स्थान | चीन और ताइवान पर निर्भरता कम होगी। |
भारत के लिए संभावित चुनौतियाँ
चुनौती | संभावित समाधान |
---|---|
उच्च लागत | सरकार द्वारा अधिक वित्तीय सहायता और PLI योजनाओं का विस्तार। |
तकनीकी विशेषज्ञता की कमी | सेमीकंडक्टर विशेषज्ञों के लिए प्रशिक्षण और अनुसंधान केंद्र स्थापित करना। |
वैश्विक प्रतिस्पर्धा | अमेरिका, चीन और ताइवान से प्रतिस्पर्धा के लिए अधिक निवेश आकर्षित करना। |
निष्कर्ष
भारत का सेमीकंडक्टर निर्माण 2025 से देश को आत्मनिर्भर बनाने और डिजिटल युग में मजबूती देने के लिए एक बड़ा कदम है।
इससे आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा।
यदि भारत इन चुनौतियों को पार कर लेता है, तो वह दुनिया के प्रमुख सेमीकंडक्टर निर्माताओं में शामिल हो सकता है।
यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु
GS Paper 3 (अर्थव्यवस्था और विज्ञान-प्रौद्योगिकी)
• भारत का सेमीकंडक्टर मिशन।
• उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना।
• आत्मनिर्भर भारत अभियान और विनिर्माण क्षेत्र।
GS Paper 2 (सरकारी नीतियाँ और अंतरराष्ट्रीय संबंध)
• सेमीकंडक्टर आपूर्ति शृंखला और वैश्विक व्यापार।
• भारत-ताइवान सेमीकंडक्टर साझेदारी।
• राष्ट्रीय सुरक्षा में सेमीकंडक्टर की भूमिका।
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