DAILY CURRENT AFFAIRS IN HINDI FOR UPSC IAS – Prelims And Mains Examination 2025 | 14 FEBRUARY 2025 – UPSC PRELIMS POINTER Fact Based Current Affairs.
DAILY Current Affairs Analysis For UPSC Pre And Mains Examination
Daily Archiveअभ्यास साइक्लोन (EXERCISE CYCLONE) – UPSC Daily Current Affairs
भारत-मिस्र संयुक्त विशेष बल अभ्यास “साइक्लोन”
हालिया घटनाक्रम
भारत और मिस्र के बीच सैन्य सहयोग को मजबूत करने के लिए संयुक्त विशेष बल अभ्यास “साइक्लोन” राजस्थान में शुरू हुआ। यह अभ्यास आतंकवाद विरोधी अभियानों, सैन्य रणनीतियों और अंतर-संचालन क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य से किया जा रहा है।
1. भारत-मिस्र रक्षा संबंधों की पृष्ठभूमि
भारत और मिस्र के बीच ऐतिहासिक रूप से मजबूत रक्षा संबंध रहे हैं। दोनों देश गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) के संस्थापक सदस्य थे और रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग में निरंतर वृद्धि कर रहे हैं।
(A) प्रमुख रक्षा सहयोग:
- 2023 में भारत के गणतंत्र दिवस पर मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सीसी मुख्य अतिथि थे, जिससे दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को और मजबूती मिली।
- 2022 में मिस्र ने भारत के तेजस लड़ाकू विमान में रुचि दिखाई और दोनों देशों के बीच सैन्य हार्डवेयर सहयोग की संभावनाएँ बढ़ीं।
- भारत और मिस्र की नौसेनाओं और वायु सेनाओं ने पहले भी कई संयुक्त अभ्यास किए हैं, जिससे द्विपक्षीय रक्षा संबंध मजबूत हुए हैं।
2. साइक्लोन सैन्य अभ्यास की प्रमुख विशेषताएँ
(A) स्थान और भागीदारी:
- यह अभ्यास राजस्थान के थार रेगिस्तान में आयोजित किया जा रहा है, जो विशेष रूप से रेगिस्तानी युद्धकला और आतंकवाद विरोधी रणनीतियों के लिए महत्वपूर्ण है।
- इसमें भारत के विशेष बल (Special Forces) और मिस्र के विशेष बल इकाइयाँ भाग ले रही हैं।
(B) उद्देश्य:
- आतंकवाद विरोधी अभियानों में समन्वय और रणनीतिक कौशल विकसित करना।
- विशेष बलों की युद्धकला, निगरानी, और घुसपैठ विरोधी रणनीतियों का आदान-प्रदान।
- अत्याधुनिक हथियारों और सैन्य उपकरणों के उपयोग में दक्षता बढ़ाना।
- रेगिस्तानी युद्ध और शहरी आतंकवाद से निपटने के लिए दोनों सेनाओं की क्षमताओं को सुदृढ़ करना।
- मानवीय सहायता और आपदा प्रबंधन (HADR) पर सहयोग को बढ़ावा देना।
3. सैन्य अभ्यास “साइक्लोन” का रणनीतिक महत्व
(A) भारत के लिए लाभ:
- मध्य पूर्व और अफ्रीका में भारत की रणनीतिक स्थिति को मजबूत करना।
- मिस्र के साथ मजबूत रक्षा साझेदारी विकसित करना, जिससे भारत को पश्चिम एशियाई क्षेत्र में अधिक कूटनीतिक और सुरक्षा लाभ मिलेगा।
- आतंकवाद और उग्रवाद से निपटने की क्षमता में सुधार।
- रेगिस्तानी युद्धकला में विशेष बलों की दक्षता बढ़ाना।
(B) मिस्र के लिए लाभ:
- भारतीय विशेष बलों से उच्च स्तरीय सैन्य रणनीतियाँ सीखने का अवसर।
- भारत के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाकर अपनी सैन्य क्षमताओं में वृद्धि करना।
- द्विपक्षीय व्यापार और रक्षा उद्योग साझेदारी को मजबूत करना।
4. भारत-मिस्र सैन्य अभ्यासों की सूची
भारत और मिस्र पहले भी कई संयुक्त सैन्य अभ्यास कर चुके हैं:
अभ्यास का नाम | सेना / नौसेना / वायुसेना | वर्ष |
---|---|---|
साइक्लोन 2025 | विशेष बल | 2025 |
EX TACTICAL LEADERSHIP PROGRAM (TLP) | वायुसेना | 2023 |
भारतीय और मिस्र की नौसेना का PASSEX | नौसेना | 2021 |
COP EXERCISE (Anti-Piracy drill) | नौसेना | 2020 |
5. भारत-मिस्र रक्षा सहयोग के प्रमुख पहलू
क्षेत्र | सहयोग के पहलू |
---|---|
रक्षा उपकरण | मिस्र भारतीय रक्षा उपकरण, विशेषकर तेजस लड़ाकू विमान, ब्रह्मोस मिसाइल और अन्य सैन्य हार्डवेयर में रुचि रखता है। |
सैन्य अभ्यास | नियमित रूप से साझा युद्धाभ्यास आयोजित किए जाते हैं, जिससे दोनों देशों की सैन्य क्षमताओं में सुधार होता है। |
समुद्री सुरक्षा | हिंद महासागर और लाल सागर में सामरिक स्थिरता बनाए रखने के लिए नौसेना सहयोग। |
आतंकवाद विरोधी रणनीति | दोनों देश आतंकवाद और उग्रवाद से निपटने के लिए सामूहिक ऑपरेशन और इंटेलिजेंस साझा करने पर काम कर रहे हैं। |
6. साइक्लोन अभ्यास के संभावित प्रभाव
(A) भारत के रक्षा क्षेत्र पर प्रभाव:
- विशेष बलों की युद्धकला में सुधार और नई रणनीतियों का विकास।
- भारत की डिफेंस इंडस्ट्री के लिए मिस्र के साथ नए अवसर खुल सकते हैं।
- मध्य पूर्व और अफ्रीका में भारतीय प्रभाव को बढ़ावा।
(B) अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक प्रभाव:
- भारत और मिस्र के बीच मजबूत सैन्य सहयोग से पश्चिम एशिया और अफ्रीका में सुरक्षा स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा।
- अमेरिका, रूस और फ्रांस जैसे देशों के साथ भारत और मिस्र की साझेदारी को और अधिक मजबूती मिलेगी।
- हिंद महासागर और लाल सागर में नौसैनिक सहयोग को और अधिक मजबूत किया जा सकता है।
7. संभावित चुनौतियाँ और समाधान
चुनौती | संभावित समाधान |
---|---|
भारत और मिस्र के सैन्य सिद्धांतों में अंतर | संयुक्त अभ्यास और सामरिक संवाद को बढ़ावा देना |
हथियार प्रणालियों और उपकरणों की संगतता | रक्षा तकनीकों के आदान-प्रदान और रक्षा खरीद साझेदारी को बढ़ावा देना |
क्षेत्रीय भू-राजनीतिक तनाव | संतुलित कूटनीति और रणनीतिक साझेदारी का विस्तार |
8. निष्कर्ष और आगे की राह
संयुक्त विशेष बल अभ्यास “साइक्लोन” भारत और मिस्र के रक्षा संबंधों को नई ऊँचाइयों तक ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
भविष्य की संभावनाएँ:
- भारत मिस्र को “मेक इन इंडिया” पहल के तहत सैन्य उपकरण बेच सकता है।
- साझा रक्षा उत्पादन और हथियार निर्माण परियोजनाओं पर काम किया जा सकता है।
- साइबर सुरक्षा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सैन्य रणनीतियों में सहयोग बढ़ाया जा सकता है।
“साइक्लोन” भारत के वैश्विक रक्षा सहयोग को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और यह भारत को मध्य पूर्व एवं अफ्रीका में एक प्रभावशाली सैन्य शक्ति के रूप में स्थापित करने में सहायक होगा।
स्वायत्त जिला परिषदें (AUTONOMOUS DISTRICT COUNCILS) – Daily Current Affairs
खासी हिल्स और जैंतिया हिल्स स्वायत्त जिला परिषद चुनाव 2025:
सुर्खियों में क्यों
मेघालय में खासी हिल्स स्वायत्त जिला परिषद (KHADC) और जैंतिया हिल्स स्वायत्त जिला परिषद (JHADC) के चुनाव 21 फरवरी 2025 को आयोजित किए जाएंगे। ये चुनाव राज्य की स्वायत्त शासन व्यवस्था, जनजातीय अधिकारों और स्थानीय शासन के संदर्भ में महत्वपूर्ण हैं।
1. स्वायत्त जिला परिषद (Autonomous District Council – ADC) का परिचय
भारत के छठे अनुसूची (Sixth Schedule) के तहत, पूर्वोत्तर राज्यों में जनजातीय समुदायों को विशेष अधिकार और स्वायत्त शासन प्रदान किया गया है। मेघालय, असम, त्रिपुरा और मिजोरम में स्वायत्त जिला परिषदों (ADCs) की स्थापना की गई है, जो आदिवासी समुदायों के पारंपरिक अधिकारों और संसाधनों की सुरक्षा करती हैं।
(A) ADC का मुख्य कार्य:
- भूमि और संसाधनों पर जनजातीय समुदायों के अधिकारों की रक्षा करना।
- रिवाजों, परंपराओं और जनजातीय कानूनों को लागू करना।
- स्थानीय प्रशासन, कराधान, भूमि उपयोग, वन संरक्षण और विकास कार्यों का संचालन करना।
- शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण से संबंधित योजनाओं का प्रबंधन।
(B) KHADC और JHADC की विशेषताएँ:
- खासी हिल्स स्वायत्त जिला परिषद (KHADC): खासी समुदाय के हितों की रक्षा के लिए कार्यरत।
- जैंतिया हिल्स स्वायत्त जिला परिषद (JHADC): जैंतिया जनजाति के अधिकारों को संरक्षित करने के लिए स्थापित।
- दोनों परिषदें राज्य सरकार से स्वतंत्र रूप से कार्य करने की शक्तियाँ रखती हैं और इनके अपने कानून, न्यायिक प्रक्रियाएँ और प्रशासनिक ढाँचे होते हैं।
2. चुनाव 2025: मुख्य बिंदु
(A) चुनाव की तिथियाँ और प्रक्रिया:
- 21 फरवरी 2025 को मतदान होगा।
- चुनाव प्रक्रिया मेघालय राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा संचालित की जाएगी।
- प्रत्येक परिषद में 29 सीटें होती हैं, जिनके लिए विभिन्न राजनीतिक दल और स्वतंत्र उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे।
- चुनाव में स्थानीय मुद्दे, पारंपरिक अधिकार, भूमि स्वामित्व और विकास योजनाएँ प्रमुख भूमिका निभाएँगी।
(B) प्रमुख राजनीतिक दल और संभावित दावेदार:
- नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP): वर्तमान में मेघालय की सत्ताधारी पार्टी, जो इन चुनावों में मुख्य रूप से प्रतिस्पर्धा करेगी।
- भारतीय जनता पार्टी (BJP): राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए चुनाव में सक्रिय भागीदारी कर रही है।
- कांग्रेस (INC): अपनी पारंपरिक राजनीतिक आधार को पुनः मजबूत करने के लिए चुनाव में उतर रही है।
- यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (UDP) और अन्य क्षेत्रीय दल: क्षेत्रीय स्वायत्तता और जनजातीय अधिकारों की रक्षा के मुद्दे पर चुनाव लड़ेंगे।
3. चुनाव के प्रमुख मुद्दे और चुनौतियाँ
मुख्य मुद्दा | विवरण |
---|---|
भूमि और संसाधन अधिकार | स्थानीय जनजातीय समुदायों के भूमि अधिकारों और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा का मुद्दा प्रमुख रहेगा। |
राजनीतिक स्वायत्तता | ADC को और अधिक शक्तियाँ देने की माँग जोर पकड़ सकती है। |
विकास और बुनियादी ढाँचा | सड़क, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार ADC चुनावों का प्रमुख मुद्दा होगा। |
खनन और पर्यावरण संरक्षण | अवैध खनन (कोयला और चूना पत्थर) को रोकने और पर्यावरण संतुलन बनाए रखने पर चर्चा होगी। |
परंपरागत अधिकार और आदिवासी संस्कृति | स्वायत्त परिषदों द्वारा स्थानीय रीति-रिवाजों को संरक्षित करने की दिशा में नीतियाँ बनेंगी। |
4. संभावित प्रभाव और परिणाम
(A) स्थानीय प्रशासन पर प्रभाव:
- चुनी गई ADC परिषदें अगले 5 वर्षों तक स्थानीय प्रशासन और विकास कार्यों में अहम भूमिका निभाएँगी।
- नए नेतृत्व के तहत परंपरागत कानूनों में बदलाव और विकास परियोजनाओं पर निर्णय लिए जाएँगे।
- विकास बनाम संरक्षण की बहस तेज हो सकती है, क्योंकि कुछ क्षेत्र तेजी से शहरीकरण की ओर बढ़ रहे हैं।
(B) राज्य और राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव:
- ADC चुनावों के परिणाम राज्य में 2028 के विधानसभा चुनावों की दिशा तय कर सकते हैं।
- यदि NPP या BJP को अधिक सीटें मिलती हैं, तो राज्य सरकार का ADCs पर नियंत्रण बढ़ सकता है।
- क्षेत्रीय दलों की मजबूती स्थानीय स्वायत्तता को और अधिक बढ़ाने की माँग को तेज कर सकती है।
(C) आर्थिक और सामाजिक प्रभाव:
- यदि परिषदें प्रभावी निर्णय लें, तो स्थानीय रोजगार, बुनियादी ढाँचे और शिक्षा के स्तर में सुधार हो सकता है।
- खनन और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन बनाम संरक्षण को लेकर बड़े निर्णय लिए जा सकते हैं।
- स्वायत्त शासन के बेहतर क्रियान्वयन से जनजातीय समुदायों की संस्कृति और परंपराएँ सुरक्षित रह सकती हैं।
5. निष्कर्ष और आगे की राह
(A) चुनाव का महत्व:
खासी हिल्स और जैंतिया हिल्स स्वायत्त जिला परिषदों के चुनाव न केवल स्थानीय शासन बल्कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर की राजनीति पर भी प्रभाव डालेंगे। ये चुनाव जनजातीय समुदायों के अधिकारों, संसाधन प्रबंधन और विकास कार्यों को प्रभावित करेंगे।
(B) भविष्य की संभावनाएँ:
- आदिवासी स्वायत्तता और राज्य सरकार के बीच तालमेल बढ़ाने के प्रयास किए जा सकते हैं।
- नए नीतिगत सुधारों के तहत ADCs को और अधिक स्वायत्त शक्तियाँ मिल सकती हैं।
- स्थानीय नेताओं की प्राथमिकताओं के आधार पर बुनियादी ढाँचे, पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास पर नए निर्णय लिए जा सकते हैं।
यदि इस चुनाव में जनता सही नेतृत्व को चुनती है, तो यह खासी और जैंतिया हिल्स क्षेत्रों के लिए एक सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक हो सकता है।
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