DAILY CURRENT AFFAIRS IN HINDI FOR UPSC IAS – Prelims And Mains Examination 2025 | 12 March 2025 – UPSC PRELIMS POINTER Fact Based Current Affairs.
DAILY Current Affairs Analysis For UPSC Pre And Mains Examination
Daily Archiveनुकसान और क्षति कोष (Loss and Damage Fund)
समाचार में क्यों?
• संयुक्त राज्य अमेरिका ने “नुकसान और क्षति कोष” (Loss and Damage Fund – LDF) से पीछे हटने की घोषणा की।
• यह कोष जलवायु परिवर्तन से प्रभावित विकासशील देशों को मुआवजा देने के लिए बनाया गया था।
• अमेरिका के इस फैसले को वैश्विक जलवायु न्याय (Climate Justice) के लिए झटका माना जा रहा है।
नुकसान और क्षति कोष (Loss and Damage Fund) क्या है?
• यह एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय कोष है, जिसे COP27 (शर्म अल-शेख जलवायु सम्मेलन, 2022) में स्थापित किया गया था।
• इसका उद्देश्य उन विकासशील देशों की मदद करना है, जो जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित हैं।
• यह जलवायु परिवर्तन से जुड़े नुकसान (बाढ़, सूखा, चक्रवात, समुद्र स्तर में वृद्धि आदि) की भरपाई के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
मुख्य विशेषताएँ:
• जलवायु परिवर्तन के कारण हुई क्षति का वित्तीय मुआवजा।
• प्राकृतिक आपदाओं और चरम जलवायु घटनाओं से प्रभावित देशों को सहायता।
• विकसित देशों से योगदान की उम्मीद, क्योंकि वे जलवायु परिवर्तन के लिए अधिक जिम्मेदार माने जाते हैं।
• संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (UNFCCC) के तहत कार्यान्वित।
अमेरिका के पीछे हटने के प्रभाव
प्रभाव क्षेत्र | संभावित परिणाम |
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जलवायु वित्तपोषण | विकासशील देशों को कम वित्तीय सहायता मिलेगी। |
जलवायु न्याय | गरीब देशों को नुकसान उठाना पड़ेगा, जबकि विकसित देश उत्सर्जन जारी रख सकते हैं। |
वैश्विक जलवायु वार्ताएँ | जलवायु परिवर्तन वार्ताओं में विकसित और विकासशील देशों के बीच मतभेद बढ़ सकते हैं। |
अन्य देशों का रुख | अमेरिका के इस कदम के बाद अन्य विकसित देश भी फंडिंग में कटौती कर सकते हैं। |
भारत और नुकसान व क्षति कोष
• भारत एक विकासशील देश है और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित देशों में शामिल है।
• भारत ने COP27 में इस कोष की स्थापना का समर्थन किया था और विकसित देशों से अधिक जिम्मेदारी लेने की मांग की थी।
• अमेरिका के पीछे हटने से भारत जैसे देशों के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है।
चुनौतियाँ और समाधान
चुनौती | संभावित समाधान |
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विकसित देशों का योगदान न देना | जलवायु वित्त पोषण के लिए सख्त नियम बनाना। |
फंड के वितरण में पारदर्शिता की कमी | संयुक्त राष्ट्र और अन्य संस्थानों के माध्यम से निगरानी बढ़ाना। |
राजनीतिक असहमति | जलवायु न्याय पर वैश्विक समझौते को मजबूत करना। |
निष्कर्ष
अमेरिका का “नुकसान और क्षति कोष” से पीछे हटना जलवायु न्याय के लिए एक झटका है।
विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से होने वाली क्षति की भरपाई के लिए इस कोष की सख्त जरूरत है।
भविष्य में, भारत और अन्य प्रभावित देशों को इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाना होगा, ताकि विकसित देश अपनी जिम्मेदारी से पीछे न हटें।
यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु
GS Paper 2 (अंतरराष्ट्रीय संबंध और नीतियाँ)
• जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक संधियाँ और भारत की भूमिका।
• विकसित और विकासशील देशों के बीच जलवायु वित्तपोषण विवाद।
GS Paper 3 (पर्यावरण और पारिस्थितिकी)
• जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाएँ।
• जलवायु वित्तीय तंत्र और वैश्विक न्याय।
• सतत विकास और अंतरराष्ट्रीय जलवायु वार्ताएँ।
बंगस घाटी (Bangus Valley)
समाचार में क्यों?
• जम्मू और कश्मीर सरकार ने बंगस घाटी के लिए नए नियमों की घोषणा की, ताकि इसे इको-टूरिज्म (ecotourism) स्थल के रूप में विकसित किया जा सके।
• यह क्षेत्र नियंत्रण रेखा (LoC) के पास उत्तर कश्मीर में स्थित है, और इसकी खूबसूरत प्राकृतिक विरासत के कारण इसे पर्यटन के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है।
बंगस घाटी: एक परिचय
• स्थान: यह कुपवाड़ा जिले में स्थित एक सुंदर घाटी है, जो 3000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर फैली हुई है।
• यह क्षेत्र लोलाब घाटी (Lolab Valley) और राजवार जंगलों (Rajwar Forests) के पास स्थित है।
• यहाँ हरे-भरे चारागाह, घने जंगल, और बर्फ से ढके पहाड़ हैं, जो इसे एक अनूठा पर्यटन स्थल बनाते हैं।
• बंगस घाटी में ग्रेटर बंगस (Greater Bangus) और छोटे बंगस (Lesser Bangus) नामक दो मुख्य भाग हैं।
नए नियमों का उद्देश्य:
• पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना और पारिस्थितिकी की रक्षा करना।
• स्थानीय समुदायों को पर्यटन से जोड़ना और उनकी आजीविका के अवसर बढ़ाना।
• अनियंत्रित पर्यटन गतिविधियों को रोकना, जिससे प्राकृतिक सौंदर्य और जैव विविधता सुरक्षित रहे।
• केंद्र सरकार की ‘इको-टूरिज्म नीति’ के अनुरूप विकास।
बंगस घाटी का पारिस्थितिक और रणनीतिक महत्व
• जैव विविधता (Biodiversity):
- यहाँ कस्तूरी मृग (Musk Deer), भूरा भालू (Brown Bear), हिम तेंदुआ (Snow Leopard) और विभिन्न पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
- यह वन्यजीव प्रेमियों और पक्षी दर्शन (bird watching) के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है।
• सैन्य और रणनीतिक दृष्टि से:
- यह घाटी नियंत्रण रेखा (LoC) के पास स्थित है, जिससे इसकी भू-राजनीतिक (Geopolitical) महत्ता भी बढ़ जाती है।
- सुरक्षा कारणों से इस क्षेत्र में पर्यटन सीमित रहा है, लेकिन अब इसे नियंत्रित तरीके से बढ़ावा दिया जा रहा है।
इको-टूरिज्म के तहत संभावित गतिविधियाँ
• ट्रेकिंग (Trekking) और कैंपिंग (Camping)।
• वाइल्डलाइफ सफारी (Wildlife Safari)।
• स्थानीय सांस्कृतिक पर्यटन (Cultural Tourism)।
• सस्टेनेबल टूरिज्म इंफ्रास्ट्रक्चर (Sustainable Tourism Infrastructure) का विकास।
बंगस घाटी को पर्यटन केंद्र बनाने से लाभ
✅ स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
✅ कुपवाड़ा जिले में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
✅ पर्यावरण-संवेदनशील पर्यटन (Eco-friendly Tourism) को बढ़ावा मिलेगा।
✅ भारत में एक नया प्रमुख पर्यटक स्थल विकसित होगा।
चुनौतियाँ और समाधान
चुनौती | संभावित समाधान |
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पर्यावरणीय क्षति | पर्यटन को नियंत्रित करना और सतत विकास को अपनाना। |
सुरक्षा संबंधी मुद्दे | सैन्य और प्रशासनिक सहयोग से सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करना। |
बुनियादी ढांचे की कमी | सस्टेनेबल टूरिज्म इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करना। |
स्थानीय समुदायों की भागीदारी | पर्यटन योजनाओं में स्थानीय लोगों को शामिल करना। |
निष्कर्ष
बंगस घाटी जम्मू-कश्मीर में पर्यटन को नई दिशा देने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है। इको-टूरिज्म के माध्यम से इसे विकसित करना पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय विकास के लिए एक संतुलित कदम हो सकता है।
सरकार को स्थानीय समुदायों, सुरक्षा एजेंसियों और पर्यावरणविदों के सहयोग से सतत विकास की रणनीति अपनानी चाहिए।
यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु
GS Paper 1 (भूगोल और संस्कृति)
• जम्मू-कश्मीर की भौगोलिक स्थिति और पर्यटन।
• पारिस्थितिकीय पर्यटन और इसका महत्व।
GS Paper 3 (पर्यावरण और आर्थिकी)
• सतत पर्यटन (Sustainable Tourism) के लाभ और चुनौतियाँ।
• जैव विविधता संरक्षण और पारिस्थितिकी।
• सरकार की पर्यावरण और पर्यटन नीतियाँ।
भारत-मॉरीशस संबंध (India-Mauritius Relations)
भारत-मॉरीशस संबंध (India-Mauritius Relations)
समाचार में क्यों?
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11-12 मार्च को मॉरीशस की आधिकारिक यात्रा करेंगे।
• यह दौरा भारत और मॉरीशस के गहरे और ऐतिहासिक संबंधों का उत्सव माना जा रहा है।
• इस यात्रा के दौरान विकास परियोजनाओं, व्यापार, रणनीतिक सहयोग और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने पर जोर रहेगा।
भारत-मॉरीशस संबंधों का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
• औपनिवेशिक युग:
- ब्रिटिश शासन के दौरान 19वीं शताब्दी में भारतीय श्रमिकों को मॉरीशस ले जाया गया, जिससे वहाँ भारतीय समुदाय की जड़ें मजबूत हुईं।
- मॉरीशस की कुल आबादी में भारतीय मूल के लोगों की संख्या 70% से अधिक है।
• राजनीतिक संबंध:
- 1968 में मॉरीशस की स्वतंत्रता के बाद से भारत इसका प्रमुख सहयोगी रहा है।
- 1970 और 1980 के दशक में भारत ने मॉरीशस की आर्थिक और रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने में मदद की।
- भारत ‘सागर नीति’ (Security and Growth for All in the Region – SAGAR) के तहत मॉरीशस को समुद्री सुरक्षा और विकास में सहयोग प्रदान कर रहा है।
मुख्य सहयोग क्षेत्र
1. आर्थिक और व्यापारिक सहयोग
• भारत मॉरीशस का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और निवेशक है।
• भारत-मॉरीशस व्यापक आर्थिक सहयोग साझेदारी (CECPA) 2021 के तहत व्यापार को बढ़ावा मिला है।
• मॉरीशस को भारत से निर्यात किए जाने वाले मुख्य उत्पाद: पेट्रोलियम उत्पाद, अनाज, दवाइयाँ, कपड़ा और मशीनरी।
• भारत मॉरीशस में बुनियादी ढांचे और अन्य विकास परियोजनाओं में निवेश कर रहा है।
2. रणनीतिक और रक्षा सहयोग
• भारत ने मॉरीशस को ‘डोर्नियर एयरक्राफ्ट’ और ‘फास्ट पेट्रोल वेसल’ जैसी सैन्य सहायता दी है।
• ‘सागर नीति’ के तहत समुद्री सुरक्षा में सहयोग, विशेष रूप से भारतीय महासागर क्षेत्र (IOR) में।
• 2015 में भारत ने मॉरीशस को ₹500 करोड़ की सहायता दी थी, जिससे वहाँ रक्षा क्षमताओं का विस्तार हुआ।
3. सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध
• भारत और मॉरीशस के बीच भाषा, धर्म, खानपान और परंपराओं में गहरी समानता है।
• भारतीय प्रवासी दिवस (Pravasi Bharatiya Diwas) में मॉरीशस की भागीदारी महत्वपूर्ण रहती है।
• बोझपुरि, हिंदी और तमिल भाषा मॉरीशस में व्यापक रूप से बोली जाती हैं।
• “विश्व हिंदी सचिवालय” मॉरीशस में स्थित है, जो हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में अहम भूमिका निभाता है।
4. विकास और सहायता परियोजनाएँ
• भारत मॉरीशस में कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का वित्तपोषण कर रहा है, जैसे –
- मेट्रो एक्सप्रेस प्रोजेक्ट।
- नया सुप्रीम कोर्ट भवन।
- स्वच्छ जल आपूर्ति और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएँ।
• भारत ने मॉरीशस को COVID-19 महामारी के दौरान वैक्सीन और चिकित्सा सहायता भी प्रदान की थी।
5. जलवायु और पर्यावरण सहयोग
• जलवायु परिवर्तन और समुद्र के स्तर में वृद्धि मॉरीशस के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
• भारत सौर ऊर्जा और सतत विकास परियोजनाओं में मॉरीशस का सहयोग कर रहा है।
चुनौतियाँ और समाधान
चुनौती | संभावित समाधान |
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चीन का बढ़ता प्रभाव | भारत को अपने निवेश और कूटनीतिक पहल को और मजबूत करना होगा। |
समुद्री सुरक्षा मुद्दे | रक्षा सहयोग बढ़ाने और मॉरीशस को नौसैनिक सहायता जारी रखने की जरूरत। |
कर-नीति विवाद | भारत और मॉरीशस को पारदर्शी कर संधि लागू करनी होगी। |
निष्कर्ष
भारत और मॉरीशस के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और रणनीतिक संबंध बेहद मजबूत हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा इन संबंधों को और प्रगाढ़ करेगी और भारतीय महासागर क्षेत्र में भारत की स्थिति को मजबूत करेगी।
मॉरीशस भारत के ‘सागर’ विजन में एक महत्वपूर्ण भागीदार बना रहेगा, जिससे हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिक बिंदु
GS Paper 2 (अंतरराष्ट्रीय संबंध)
• भारत-मॉरीशस रणनीतिक संबंध।
• हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की भूमिका।
• भारत की ‘सागर नीति’ और समुद्री सुरक्षा।
GS Paper 3 (अर्थव्यवस्था और पर्यावरण)
• भारत-मॉरीशस आर्थिक सहयोग और CECPA।
• जलवायु परिवर्तन और समुद्री पारिस्थितिकी में सहयोग।
• हिंद महासागर में भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा।
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